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बिना मान्यता के चल रहे जिले के 68 स्कूल

जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र न भवन न स्टाफ न प्ले ग्राउंड बस एक धर्मशाला किराए पर ली और स्कूल शुरू।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 07:45 AM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 07:45 AM (IST)
बिना मान्यता के चल रहे जिले के 68 स्कूल
बिना मान्यता के चल रहे जिले के 68 स्कूल

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : न भवन न स्टाफ न प्ले ग्राउंड बस एक धर्मशाला किराए पर ली और स्कूल शुरू। ऐसी ही स्थिति है

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निजी स्कूल खुलने की। मान्यता

तो दूर, आधे से ज्यादा संख्या में स्कूलों के पास अनुमति भी नहीं है। ये स्कूल गांव के बीच में निजी भवनों में या फिर धर्मशालाओं में भी चल रहे हैं। कुरुक्षेत्र जिले में शिक्षा विभाग की ओर से जारी सूची में 68 स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास मान्यता नहीं है। असल में सच्चाई इससे भी भयावह है। ये तो वो स्कूल हैं जो विभाग के पास परमिशन के लिए आ गए हैं और विभाग ने उनको रिजेक्ट कर दिया। इनके अलावा ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो हर गांव में एक या दो स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास कोई मान्यता और शिक्षा प्रदान करने के लिए सुविधाएं नहीं हैं। बाक्स

मान्यता प्राप्त स्कूल भी कर रहे हैं मोटी कमाई ग्रामीण क्षेत्र में बनने वाले गैर-मान्यता प्राप्त स्कूल मान्यता प्राप्त स्कूलों की सहायता से ही चलते हैं। मान्यता प्राप्त स्कूल इन स्कूलों से मोटी कमाई करते हैं। गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों के संचालकों की मानें तो मान्यता प्राप्त स्कूल ऐसे छात्रों के प्रति छात्र दो से तीन हजार रुपये वसूल लेते हैं। इसमें न तो बच्चों को पढ़ाना और न ही इनके लिए स्टाफ की व्यवस्था करना। केवल कागजी कार्रवाई को पूरा करना होता है। गैर बोर्ड की कक्षाओं के पैसे कुछ कम लिए जाते हैं। बाक्स

शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जानकारी में चलते हैं ये स्कूल जिले में गांव में खुलने वाले इन स्कूलों की पूरी जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को होती है, लेकिन विभाग की ओर से इनके खिलाफ शायद ही कोई कार्रवाई होती हो। यहीं इन स्कूलों के लिए संजीवनी का कार्य करती हैं। इन स्कूलों में ग्रामीण क्षेत्र के छात्र ही शिक्षा प्राप्त करते हैं। बाक्स

सस्ती शिक्षा मुहैया कराते हैं ये स्कूल गांव में इस प्रकार से खोले गए स्कूल गांव के मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों के लिए बनाए जाते हैं। जो अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में तो पढ़ा नहीं चाहते और शहर में भेजें इतनी की कमाई नहीं होती। ऐसे में अभिभावक ऐसे में स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिला कराते हैं। इनमें कम बच्चे होने के कारण शिक्षक ज्यादा ध्यान देता है। बाक्स

ऑनलाइन होने के बाद आई ज्यादा दिक्कत पहले ये स्कूल पांचवीं तक के बच्चों को गांव या नजदीक के सरकारी स्कूल के रिकार्ड में भी चढ़ा देते थे। प्रदेश में भाजपा सरकार आते ही सरकारी स्कूलों के बच्चों के दाखिले को आनलाइन कर दिया गया था। उसके बाद इनकी पोल खुल गई थी। जिसमें सरकारी स्कूलों में भी बच्चों की संख्या एकदम कम हुई थी और कई स्कूलों में बच्चों की कमी के कारण शिक्षकों के पद सरप्लस हो गई थी। बाक्स

शहरों में हर गली में खुला प्ले वे स्कूल शहरों में इन स्कूलों ने प्ले वे स्कूल का नाम ले लिया है। जिसमें प्री नर्सरी से तीसरी तक के बच्चों को रखा जाता है। उसके बाद थोड़े दिनों के बाद चौथी और पांचवीं तक ये स्कूल खूब चलते हैं। शहर में मौजूदा समय में ऐसे स्कूलों की संख्या 50 से अधिक है। जिनका नाम शिक्षा विभाग के रिकार्ड में कहीं नहीं है। नहीं चलाया जा सकता बिना मान्यता के स्कूल : अरुण आश्री जिला शिक्षा अधिकारी अरुण आश्री का कहना है कि बिना मान्यता और सुविधाओं के स्कूल को नहीं चलने दिया जाएगा। जल्द ही इस मामले में विभाग कार्रवाई करेगा। गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची भी विभाग ने ही जारी की है।


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