59 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया की शिकार : डॉ. प्रेमलता
कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से गांव पलवल में एनीमिया प्रबंधन विषय पर शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में सैकडों ग्रामीण महिलाओं ने भाग लिया। शिविर में वरिष्ठ गृह विज्ञान वैज्ञानिक डॉ. प्रेमलता ने महिलाओं को बताया कि एनीमिया यानी खून की कमी महिलाओं में मुख्य स्वास्थ्य समस्या है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार 59 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं 63 प्रतिशत स्तनपान कराने वाली माताएं 56 प्रतिशत किशोरियां एवं 70 प्रतिशत 6 माह से 59 माह तक के छोटे बच्चे एनीमिया से ग्रस्त हैं।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से गांव पलवल में एनीमिया प्रबंधन विषय पर शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में सैकडों ग्रामीण महिलाओं ने भाग लिया। शिविर में वरिष्ठ गृह विज्ञान वैज्ञानिक डॉ. प्रेमलता ने महिलाओं को बताया कि एनीमिया यानी खून की कमी महिलाओं में मुख्य स्वास्थ्य समस्या है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार 59 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं, 63 प्रतिशत स्तनपान कराने वाली माताएं, 56 प्रतिशत किशोरियां एवं 70 प्रतिशत 6 माह से 59 माह तक के छोटे बच्चे एनीमिया से ग्रस्त हैं। शहरों की अपेक्षा ग्रामीणों में एनीमिया की लक्षण ज्यादा पाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि यदि महिला के खून में 100 ग्राम में से 12 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन हो तो उस स्थिति को एनीमिया कहा जाता है। डा. प्रेमलता ने बताया कि भोजन में लौह तत्व की कमी एनीमिया का मुख्य कारण है। एनीमिया से बचाव के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आहार मे लौह तत्व से भरपूर खाद्य पदार्थ जिसमें हरी सब्जियां, पालक, चौलाई, मेथी, धानिया व पुदीने का सेवन करें। इसके अलावा अंकुरित दालें, खजूर, किशमिश, मुक्का, गुड व भूना चना के सेवन से एनीमिया से बचा जा सकता है। इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हरिओम ने महिलाओं को कहा कि हमें चाहिए कि हम लगातार अपने स्वास्थ्य का ठीक से ध्यान रखें ताकि कोई बीमारी शरीर में पनप न सके।