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वुमेन फ्रेंडली नहीं पब्लिक टॉयलेट, सामान टांगने के नहीं लगे हुक, छोटे बच्चे भी नहीं कर सकते इस्तेमाल

करनाल नगर निगम एरिया के पब्लिक टॉयलेट कितने वुमेन फ्रेंडली हैं? यह जानने के लिए दैनिक जागरण ने 10 अलग-अलग जगहों के शौचालयों के हालात जाने। 64 प्रतिशत शौचालय महिलाओं को ध्यान रखकर बनाए पैरामीटर पर खरे नहीं उतरते हैं। दो मुख्य बिदुओं में से एक किसी भी शौचालय में हुक नहीं लगा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Feb 2019 09:43 AM (IST)Updated: Thu, 28 Feb 2019 09:43 AM (IST)
वुमेन फ्रेंडली नहीं पब्लिक टॉयलेट, सामान टांगने के नहीं लगे हुक, छोटे बच्चे भी नहीं कर सकते इस्तेमाल
वुमेन फ्रेंडली नहीं पब्लिक टॉयलेट, सामान टांगने के नहीं लगे हुक, छोटे बच्चे भी नहीं कर सकते इस्तेमाल

जागरण पड़ताल: जागरण संवाददाता, करनाल: नगर निगम एरिया के पब्लिक टॉयलेट कितने वुमेन फ्रेंडली हैं? यह जानने के लिए दैनिक जागरण ने 10 अलग-अलग जगहों के शौचालयों के हालात जाने। 64 प्रतिशत शौचालय महिलाओं को ध्यान रखकर बनाए पैरामीटर पर खरे नहीं उतरते हैं। दो मुख्य बिदुओं में से एक किसी भी शौचालय में हुक नहीं लगा हुआ है। जहां महिलाएं अपने दुपट्टे व हैंड बैग आदि को टांग सके। इसके अलावा 90 प्रतिशत शौचालयों में सीट और वाशबेसिन अधिक ऊंचाई पर हैं, जिन्हें छोटे बच्चे आसानी से इस्तेमाल नहीं कर सकते।

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करनाल नगर निगम एरिया में 168 पब्लिक टॉयलेट हैं। कितने शौचालय वुमेन फ्रेंडली हैं, इसे जानने के लिए सरकार के जागृति कार्यक्रम के तहत सक्षम युवा इनका सर्वे करने फील्ड में उतरे हैं। छह सक्षम युवाओं की टीम सभी शौचालयों को कार्यक्रम के तहत निर्धारित किए गए पैरामीटर के 13 बिदुओं पर जांचेगी। सक्षम युवाओं से पहले बुधवार को दैनिक जागरण ने भी अलग-अलग हिस्सों में बने पब्लिक टॉयलेट के हालात का जायजा लिया। इन 10 शौचालयों के हालात जाने। पेश है उनकी रिपोर्ट- पेड होने की वजह से दोनों सुलभ शौचालय ठीक, फिर भी हुक नहीं

पुरानी सब्जी मंडी में बीज मार्केट के नजदीक और दुपट्टा मार्केट के शौचालय के हालात 13 में से 10 बिदुओं पर ठीक मिले। जबकि मुगल कैनाल स्थित शौचालय पर ताला लटका मिला। यहां आस-पास के लोगों ने महज पांच बिदुओं पर ही हालात ठीक बताए। लोगों का कहना है कि इन शौचालयों के हालात इसलिए ठीक हैं, क्योंकि यहां कर्मचारी तैनात है। लेकिन शौचालय के इस्तेमाल पर पैसे लेता है। इसलिए यहां सफाई भी है। लेकिन सामान टांगने के लिए हुक नहीं है। तो ऐसे में महिलाएं अपना सामान या तो शौचालय की दीवार पर रखती हैं या किसी अन्य के पास रखकर जाती हैं। तीन एडवर्टाइजिग शौचालयों में नहीं बिजली-पानी का कनेक्शन

पड़ताल में बस स्टैंड, रेलवे रोड स्थित चर्च और एसडी मॉडल स्कूल के सामने बने तीन एडवर्टाइजिग शौचालय भी पूरी तरह से गंदगी से अटे मिले। ये तीनों शौचालय 13 में से महज 3 ही बिदुओं पर खरा उतरते पाए गए। किसी भी शौचालय में अन्य सुविधाएं होना, तो दूर यहां सबसे जरूरी बिजली-पानी भी नहीं था। चर्च के सामने वाले शौचालय पर तो ताला लटका हुआ था। लेकिन यहां की बदबू शौचालय के हालात बयान कर रही थी। दो माह से नहीं भरा था बिजली बिल, इसलिए कट गए कनेक्शन

गंदगी से अटे शौचालयों में बिजली-पानी न होने का कारण जानने की कोशिश की तो पता चला कि दो माह पहले बस स्टैंड, चर्च और एसडी स्कूल के सामने बने शौचालय का बिजली कनेक्शन कटा था। क्योंकि निगम ने इनका बिजली बिल नहीं भरा था। बस स्टैंड स्थित शौचालय पर कर्मचारी तैनात है। वो बस स्टैंड से पानी लाकर शौचालय की दिन में एक बार सफाई करता है। जबकि अन्य दोनों जगह कोई भी कर्मचारी तैनात नहीं मिला। नहीं पता कौन सा मेल है या फीमेल

इसके बाद कुंजपुरा रोड, सेक्टर-12 मार्केट व संडे मार्केट के हालात जाने। यहां सीमेंटेड शौचालय हैं। लेकिन किसी भी शौचालय के बाहर यह नहीं लिखा कि कौन-सा शौचालय मेल के लिए है और कौन-सा फीमेल के लिए। पेड न होने के कारण यहां भी हालात काफी खराब है। किसी भी शौचालय में यूज के बाद हाथ धोने के इंतजाम नहीं है। गंदगी से अटे पड़े यूरिनल पॉट

सेक्टर-12 चौक पर दिसंबर माह में ही नगर निगम की ओर से दो यूरिनल पॉट स्थापित किए गए हैं। होना तो ये चाहिए था कि नए होने और स्वच्छ सर्वेक्षण के समय में लगे ये दोनों पॉट पूरी तरह से साफ और सुविधा जनक होने चाहिए थे। लेकिन ये गंदगी से अटे पड़े थे। लघु सचिवालय के शौचालय बने स्टोर रूम, वॉशबेसिन टूटे

शहर को स्वच्छ बनाने और खराब शौचालयों को ठीक करने के लिए डीसी के नेतृत्व में अधिकारी जहां बैठकर योजना बनाते हैं। वहीं के हालात सबसे ज्यादा खराब मिले। शहर के शौचालयों के अलावा लघु सचिवालय के डीसी कार्यालय वाले भवन के हर फ्लोर पर शौचालयों का जायजा लिया गया। यहां कई टॉयलेट स्टोर रूम बने दिखाई दिए। जहां सफाई कर्मचारियों का सामान, टूटी कुर्सियां व टेबल आदि पड़े थे। डीआईपीआरओ कार्यालय के नजदीक बने शौचालय में भी चार में से तीन वॉशबेसिन खराब हालत में हैं। महिलाओं को ध्यान में रखकर तय किए गए इन बिदुओं पर सक्षम युवा करेंगे जांच, जागरण ने भी इसी आधार पर की पड़ताल

1. जेंडर सेंसिटिव

2. शौचालय की दीवारें साफ या पेंट हुए हैं?

3. डस्टबिन रखा है?

4. क्या टॉयलेट सीट पूरी तरह से ठीक है?

5. टैब एंड वर्किंग फ्लैश

6. क्या टॉयलेट सीट और वॉशबेशन चाइल्ड फ्रें डली है?

7. क्या टॉयलेट में आने के लिए रैंप आदि बना है?

8. टॉयलेट में दिन और रात के समय पूरी तरह से रोशनी के इंतजाम

9. वॉशबेसिन पर हैंडवॉश और साबुन है?

10. शौचालय में लॉक काम करता है?

11. शौचालय के प्रति आम नागरिक से फीडबैक लेने के इंतजाम

12. महिला व पुरुष शौचालय का साइन बोर्ड

13. शौचालय में महिलाओं को अपना दुपट्टा व हैंड बैग आदि टांगने के लिए हुक्क लगा है? जिम्मेदारों के बोले-

1. सेनेटरी इंस्पेक्टर सुरेंद्र चौपड़ा : इनका कहना है कि एडवर्टाइजिग टॉयलेट में गंदगी होने के कारण बिजली कनेक्शन न होना है। कई बार जेई प्रदीप को इसकी शिकायत कर चुके हैं। लेकिन समाधान नहीं हुआ। 2. जेई प्रदीप : जब इनसे इस बारे पूछा गया तो कुछ मिनट सोचकर बोले। यह काम तो जेई राजकुमार का है। उन्हें पता होगा। 3. जेई राजकुमार : जब इनसे इस बारे पूछा गया तो जवाब मिला यह काम उनके पास नहीं है, जेई कुलभूषण देखते हैं। 4. जेई कुलभूषण : इनसे जब जानने की कोशिश की गई तो पहले तो कॉल रिसिव नहीं की। बाद में नंबर स्विच आफ हो गया। एडवर्टाइजिग टॉयलेट के बिजली कनेक्शन कटे होने का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। इसकी जांच कराकर ही कुछ कह पाएंगे। उन्होंने कहा कि जिन शौचालयों में गंदगी है। वहां सफाई करवा दी जाएगी।

-धीरज कुमार, डीएमसी नगर निगम।


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