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आउटसोर्सिंग से डॉक्टर रखने की पावर से सुधरेंगी स्वास्थ्य सेवाएं

जीटी रोड स्थित घरौंडा तरावड़ी और नीलोखेड़ी में ट्रॉमा सुविधाएं तो दूर पर्याप्त डॉक्टर तक नहीं

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 07:11 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 07:11 AM (IST)
आउटसोर्सिंग से डॉक्टर रखने की पावर से सुधरेंगी स्वास्थ्य सेवाएं
आउटसोर्सिंग से डॉक्टर रखने की पावर से सुधरेंगी स्वास्थ्य सेवाएं

जागरण संवाददाता, करनाल : डॉक्टरों की कमी में वेंटीलेटर पर जा चुकीं स्वास्थ्य सेवाओं को संजीवनी मिलने की उम्मीद जगी है। हाल ही में सिविल सर्जन को आउटसोर्सिंग के तहत नए डॉक्टर लगाने की पावर दी गई है। जिले में कुछ डॉक्टरों की ज्वाइनिग की तैयारी चल रही है। नागरिक अस्पताल के अलावा जिलेभर की सीएचसी व पीएचसी में डॉक्टरों की कमी है। इसके लिए लोग सरकार की पॉलिसी को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस समय कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज व नागरिक अस्पताल सहित 40 हेल्थ सेंटर हैं। इन संस्थानों में डॉक्टरों के स्वीकृत पद 295 हैं। लेकिन सीएम सिटी होने के बाद भी यहां पर 88 डॉक्टरों की कमी खल रही है। जिले में ज्यादातर सेंटर ऐसे हैं जहां पर जिले में डॉक्टरों की चल रही बड़ी कमी के कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। नियमों के मुताबिक 15 हजार की आबादी पर एक सरकारी डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन यहां पर कुछ एरिया ऐसा है जहां पर 30 हजार की आबादी पर भी डॉक्टर नहीं मिल पा रहे हैं। जीटी रोड पर हालात ज्यादा खराब

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जीटी रोड पर हादसे होते रहते हैं। हादसे में घायल को तुरंत उपचार दिलाया जाए, इसी सोच के साथ घरौंडा, तरावड़ी और नीलोखेड़ी सेंटर बनाए थे, यहां पर इमरजेंसी सेवाएं होनी चाहिए। यहां इमरजेंसी तो दूर डॉक्टर तक पूरे नहीं है। लचर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण घायलों की जान भी जा रही है। केसीजीएमसी में सुपर स्पेशलिटी नहीं, रोजाना रेफर होते पांच मरीज

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिटी की सुविधा नहीं है। हेड इंजरी के ज्यादातर केस रेफर किए जाते हैं। औसत पांच मरीज मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी से रोजाना पीजीआइ रोहतक या चंडीगढ़ रेफर हो रहे हैं। अस्थाई तौर पर स्थानीय न्यूरो सर्जन से टाइअप किया था, लेकिन यह योजना सिरे नहीं चढ़ी। कुछ समय के बाद प्राइवेट न्यूरो सर्जन ने आना बंद कर दिया। सिविल सर्जन कार्यालय व अर्बन हेल्थ सेंटरों पर डॉक्टरों की स्थिति

पद का नाम स्वीकृत पद खाली पद

डिप्टी सिविल सर्जन 08 00

आरबीटीओ एसएमओ 01 01

एसएमओ पॉली क्लीनिक 01 01

एमओ पॉलीक्नीनिक 02 01

पीपीसी करनाल 02 02 नीलोखेड़ी क्षेत्र के अंर्तगत आने वाले हेल्थ सेंटरों की हालात

जीएच नीलोखेड़ी 11 02

सीएचसी तरावड़ी 05 04

पीएचसी निगदू 02 01 निसिग क्षेत्र के अंर्तगत आने वाले हेल्थ सेंटरों की हालात

सीएचसी निसिग 03 02

पीएचसी बड़ौता 02 01

पीएचसी जुंडला 02 01

पीएचसी सांभली 02 01 बल्ला क्षेत्र के अंर्तगत आने वाले हेल्थ सेंटरों की हालात

सीएचसी बल्ला 03 03

पीएचसी पाढ़ा 01 01

पीएचसी सालवन 01 01 घरौंडा क्षेत्र के अंर्तगत आने वाले हेल्थ सेंटरों की हालात

सीएचसी घरौंडा 07 07

पीएचसी कुटेल 02 02

पीएचसी गगसीना 02 02

पीएचसी बरसत 02 01 असंध क्षेत्र के अंर्तगत आने वाले हेल्थ सेंटरों की हालात

जीएच असंध 14 10

पीएचसी पोपड़ा 02 02

पीएचसी उपलाना 02 02

पीएचसी जलमाना 02 01 इंद्री क्षेत्र के अंर्तगत आने वाले हेल्थ सेंटरों की हालात

सीएचसी इंद्री 08 04

पीएचसी घीड़ 02 01

पीएचसी खुखनी 02 00

पीएचसी कुंजपुरा 02 02

पीएचसी मधुबन 02 01 नए पीएचसी व सीएचसी मिली, मगर डॉक्टर नहीं

जिले को पांच नई पीएचसी व एक नई सीएचसी मिली हैं। इसके अलावा घरौंडा में इमरजेंसी भवन की सौगात मिली है। इनका निर्माण कार्य अंतिम चरण मे है। नियमों के मुताबिक 30 हजार की आबादी पर एक पीएचसी और एक लाख की आबादी पर एक सीएचसी होनी चाहिए। पीएचसी में दो और सीएचसी में सात डॉक्टर होने चाहिए, लेकिन जिले की स्थिति बेहद दयनीय है। पीएचसी व सीएचसी तो मिली है, लेकिन डॉक्टरों की कमी पूरी नहीं हो पाई है। वर्जन

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आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत स्थिति सुधारने के रहेंगे प्रयास

हाल ही में आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत चिकित्सकों की भर्ती करने पर बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि स्थिति में सुधार होगा। नए डॉक्टरों की ज्वाइनिग होगी। कई जगह पर हालात बेहद खराब हैं। हमारे पास डॉक्टरों की बड़ी कमी है। इस बारे में विभाग के उच्चाधिकारियों को लिखा गया है। अगली बार जब भी लिस्ट आएगी देखना अब यह है कि हमारे हिस्से में कितने डॉक्टर आएंगे। फिलहाल काम चलाया जा रहा है। नागरिक अस्पताल में डॉक्टरों की कमी को लगभग पूरा कर लिया गया है। फिल्ड के डॉक्टरों की कमी ज्यादा है।

डॉ. रमेश कुमार, सिविल सर्जन करनाल।


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