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वार्ड एक पर याचिकाकर्ता का सवाल एससी के लिए आरक्षित क्यों? हाईकोर्ट के आदेश पर प्रशासन की सुनवाई

जागरण संवाददाता, करनाल वार्ड-एक को एससी वर्ग के लिए आरक्षित करने पर विरोध जता रहे याचिकाकर्ता भूपेंद्र पोसवाल के तर्क मंगलवार को प्रशासन को सुनने ही पड़े। हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने स्पी¨कग आर्डर की कार्रवाई शुरू करते हुए याचिकाकर्ता को अपनी बात रखने का मौका दिया। भूपेंद्र ने प्रशासन को जमकर घेरा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Oct 2018 01:46 AM (IST)Updated: Wed, 24 Oct 2018 01:46 AM (IST)
वार्ड एक पर याचिकाकर्ता का सवाल एससी के लिए आरक्षित क्यों? हाईकोर्ट के आदेश पर प्रशासन की सुनवाई
वार्ड एक पर याचिकाकर्ता का सवाल एससी के लिए आरक्षित क्यों? हाईकोर्ट के आदेश पर प्रशासन की सुनवाई

जागरण संवाददाता, करनाल

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वार्ड-एक को एससी वर्ग के लिए आरक्षित करने पर विरोध जता रहे याचिकाकर्ता भूपेंद्र पोसवाल के तर्क मंगलवार को प्रशासन को सुनने ही पड़े। हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने स्पी¨कग आर्डर की कार्रवाई शुरू करते हुए याचिकाकर्ता को अपनी बात रखने का मौका दिया। भूपेंद्र ने प्रशासन को जमकर घेरा। खुला आरोप लगाया कि वार्ड एक को इसलिए एससी वर्ग के लिए आरक्षित किया गया, जिससे किसी दूसरे को लाभ पहुंचाया जा सके। उनसे पूछा जब इंदिरा कॉलोनी वार्ड-20 में दर्शाई गई तो वार्ड-एक में उसकी जनसंख्या क्यों दिखाई गई। इससे ही आरक्षण का समीकरण बदल गया। पहले यह वार्ड बीसी के लिए आरक्षित होता, लेकिन अब एससी के लिए हो गया। 66 दिन हाई कोर्ट में धक्के खाने के बाद प्रशासन ने सुनी बात

याचिकाकर्ता वार्ड नंबर एक निवासी भूपेंद्र ¨सह पोसवाल, बसंत विहार निवासी रवि, अमर ¨सह और रणबीर पांचाल शुरू से ही आरक्षण प्रक्रिया पर रोष जता रहे हैं। प्रशासन के सामने बात रखी। सुनी नहीं गई। तब 17 सितंबर को हाईकोर्ट गए। वार्ड-एक को एससी श्रेणी में आरक्षित किए जाने पर याचिका दायर की थी। इसी दिन कोर्ट ने निर्णय दिया था कि प्रशासन बताए कि इस कॉलोनी को वार्ड-एक में कैसे शामिल किया है। इसे लेकर उनकी आपत्ति दर्ज की जाए और उन्हें संतुष्ट किया जाए। इस आदेश की प्रति 21 सितंबर को डीसी कार्यालय और 24 सितंबर को स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक को सौंप दी थी। इसकी डायरी भी करवाई थी। बावजूद इसके इन आदेशों को नजरअंदाज करके 26 सितंबर को वार्ड आरक्षित करने की घोषणा कर दी गई। उनकी आपत्ति दर्ज नहीं की। इस पर डीसी और निदेशक को एक अक्टूबर को नोटिस भिजवाया गया, लेकिन इसका जवाब नहीं आया। 15 अक्टूबर को हाई कोर्ट में अवमानना का केस दायर कर दिया गया था। आदेशों की पालना होने पर केस वापस ले लिया। कानूनी सलाह के बाद आर्डर करने को कहा

डीसी ऑफिस की ओर से याचिकाकर्ता कैलाश गांव निवासी भूपेंद्र पोसवाल, बसंत विहार निवासी रवि, अमर ¨सह और रणबीर पांचाल को पत्र लिखकर सूचित किया था कि हाई कोर्ट से पारित आदेश दिनांक 17-09-2018 की पालना में स्पी¨कग आदेश दिए जाने हैं। इस संबंध में मंगलवार को निजी सुनवाई के लिए वे पहुंचे। इस केस से संबंधित रिकार्ड सहित नगर निगम के ईओ धीरज कुमार, निगम के सचिव बाल ¨सह, निगम भवन निरीक्षक राजेश और विकास भी आए। उनकी आपत्ति को सुनने के बाद डीसी आदित्य दहिया ने कहा कि इस मामले में कानूनी सलाह ली जाएगी। इसके बाद आर्डर किया जाएगा। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि डीसी ने आपत्ति दर्ज कर ली है। दो-तीन दिन में आर्डर जारी करने की बात कही है। चुनाव टालना चाहती है सरकार : एडवोकेट

याचिकाकर्ताओं के वकील प्रवीण पोसवाल ने कहा कि वार्ड आरक्षण के लिए जानबूझकर गलती की है, क्योंकि प्रशासन को पता था कि इस गलती के लिए कोई न्यायालय जा सकता है। इसका सीधा असर निगम चुनाव पर आना है। सरकार निगम चुनाव से बचना चाह रही है। इस वजह से ही यह कार्रवाई की है। तो बदल जाएगा वार्ड आरक्षण का नक्शा

याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला आने पर वार्ड आरक्षण का नक्शा बदल जाएगा। वार्ड-एक बीसी श्रेणी और वार्ड नंबर दो एससी के लिए आरक्षित होगा। वार्ड 20 सामान्य श्रेणी के लिए आरक्षित हो जाएगा। ऐसे समझा जाएगा गणित

यह गणित इस तरह से समझा जा सकता है कि इस समय हाईवे स्थित इंदिरा कॉलोनी की 1375 जनसंख्या वार्ड एक में शामिल है। इससे इस वार्ड की एससी श्रेणी की जनसंख्या 5985 बन जाती है। एससी श्रेणी की ज्यादा जनसंख्या उनके वार्ड में होने से यह वार्ड आरक्षित है। इंदिरा कॉलोनी की जनसंख्या इस वार्ड से हटती तो एससी श्रेणी की जनसंख्या घटकर 4610 रह जाती है। जनसंख्या के लिहाज से यह वार्ड एससी श्रेणी में आरक्षित होने के दायरे से बाहर आ जाएगा। इस वार्ड में बीसी श्रेणी की जनसंख्या 9218 है। इस समय बीसी श्रेणी के लिए वार्ड नंबर 20 आरक्षित है। इस वार्ड में बीसी श्रेणी की जनसंख्या 9156 है। तुलनात्मक तौर पर वार्ड नंबर एक में वार्ड नंबर 20 के मुकाबले बीसी श्रेणी के 62 लोग ज्यादा हैं। इस तरह से वार्ड-एक बीसी श्रेणी के लिए आरक्षित होगा। इसके चलते वार्ड नंबर 20 बीसी श्रेणी के आरक्षण से बाहर आकर सामान्य श्रेणी में आ जाएगा। इन वार्डो के प्रत्याशी संशय में

वार्ड-एक, दो और 20 में महीनों से चुनाव की तैयारी कर रहे प्रत्याशी सांसत में हैं। यदि वार्ड आरक्षण में फेरबदल होता है तो उनकी मेहनत बेकार जाएगी। चुनाव प्रचार पर खर्च राशि भी व्यर्थ चली जाएगी। अब सबकी निगाहें डीसी के आदेश पर टिकी हैं। अभी ये वार्ड हैं आरक्षित

इस समय वार्ड एक, छह, 14 व 16 एससी श्रेणी के लिए आरक्षित है। इनमें से वार्ड छह और 16 एससी महिलाओं के लिए आरक्षित है। बीसी के लिए वार्ड 17 और 20 आरक्षित हैं। महिलाओं के लिए वार्ड तीन, चार, आठ, 11 और 12 आरक्षित हैं। इसलिए किया स्पी¨कग आर्डर शब्द का इस्तेमाल

इस मामले में हाई कोर्ट ने स्पी¨कग आर्डर शब्द का इस्तेमाल किया है। इसके तहत प्रशासन याचिकाकर्ता सहित दूसरे पक्षों की बात सुनने के बाद फैसला सुनाएगा। यदि वह याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला देता है तो उसके बारे में विस्तृत तौर पर बताए। यदि उसकी आपत्ति को सही नहीं ठहराया जाता है तो उसके बारे में भी विस्तार से लिखित में बताए।


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