हल्दाहेड़ी के प्रिंस के बाद शिवानी क्यों?
शिवानी के बोरवेल मे गिरने के बाद सवाल उठता है कि वर्षो पहले कुरुक्षेत्र के हल्दाहेड़ी गाव के प्रिंस के साथ घटना के बाद भी सरकार ने सबक नहीं लिया।
जागरण संवाददाता, करनाल
शिवानी के बोरवेल मे गिरने के बाद सवाल उठता है कि वर्षो पहले कुरुक्षेत्र के हल्दाहेड़ी गाव के प्रिंस के साथ घटना के बाद भी सरकार ने सबक नहीं लिया। यही कारण है कि अब शिवानी गढ्डे में गिर गई। यह सवाल सरकार से भी है और प्रशासन से भी। इसके जवाबदेह स्थानीय जनप्रतिनिधि भी हैं। फिर चाहे वह विधायक हैं। ब्लॉक समिति सदस्य हों या जिला परिषद चेयरमैन। मासूम की जिंदगी बचाने के लिए ग्रामीणों ने ही अपनी पूरी कोशिश की। जिस बोरवेल में शिवानी गिरी है, वह पिछले करीब चार साल से खुला था, लेकिन किसी ने भी इस पर संज्ञान नहीं लिया, क्योंकि अब बोरवेल के प्रति ना तो कृषि विभाग गंभीर है और ना ही स्थानीय प्रशासन। कहां गए बोरवेल बंद करने के आदेश
वर्ष 2006 में कुरुक्षेत्र के गाव हल्दाहेड़ी में मासूम प्रिंस बोरवेल में गिरा तो राष्ट्रीय सुर्खिया बन गईं। सेना ने प्रिंस को बचा लिया था। इसके बाद सरकार ने खेतों, गावों और शहरों में खुले बोरवेल को बंद करने के आदेश दिए। सरकार के आदेश के बाद प्रशासन सजग हुआ, लेकिन कुछ समय बाद उसी ढर्रे पर काम चल पड़ा। इसी वजह से प्रदेश में कई जगह से बोरवेल में गिरने की घटनाएं सामने आने लगी। कुछ माह पहले हिसार में फंसा था नदीम
22 मार्च 2019 को हिसार के गाव बालसमंद में भी इसी तरह की घटना सामने आई थी। उस समय 15 महीने का बच्चा नदीम बोरवेल में गिर गया था, लेकिन प्रशासन की ओर से मिली त्वरित मदद के चलते उसे सुरक्षित बचा लिया गया। इस हादसे से यह भी पता चलता है कि प्रशासन की भूमिका कितनी अहम हो जाती है। हरिसिंहपुरा में 15 फुट के बाद निकलता है रेत
हरिसिंहपुरा गाव में जमीन में 15 फीट के बाद रेत निकलना शुरू हो जाता है। जिस जगह बोरवेल है, वहा कुछ साल पहले बोरवेल 144 फीट तक खोद गया था, लेकिन बोरवेल फेल हो गया। इसके बाद उसे रेत से भर दिया गया। लेकिन बोरवेल का 50 फीट का हिस्सा अभी भी रिक्त था।