क्षेत्र में ड्रिल मशीन से गेहूं बिजाई का काम जोरों पर
संवाद सूत्र निसिग दो फसलों का सीजन एक साथ होने से किसान कृषि कार्य में पूरी तरह व्यस्त है।
संवाद सूत्र, निसिग : दो फसलों का सीजन एक साथ होने से किसान कृषि कार्य में पूरी तरह व्यस्त है। धान की फसल समेटने के साथ ही किसान गेहूं की बिजाई में जुटा है। खेतों में महज किसानों की बासमती धान ही बची है। क्षेत्र में एक सप्ताह तक जिसका निपटान संभव है। बारीक धान के खेत में किसान जीरो ड्रील से सीधी बिजाई कर रहा है। जबकि एक सप्ताह या इससे पहले कटाई की गई धान के खेतों की सिचाई के बाद गेहूं की बिजाई की जा रही है। गेंहू बिजाई के उचित समय के चलते किसान रात दिन बिजाई कार्य में जुटा है।
क्षेत्र में 50 फीसद गेहूं बिजाई की जा चुकी है। 20 नवंबर तक गेहूं बिजाई के निपटान की उम्मीद है। क्षेत्र में अधिकतर बिजाई खेतों की जुताई कर ड्रिल मशीन से की जा रही है। गेहूं के साथ ही सब्जी की फसलें उगाने वाले किसान आलू की बिजाई भी कर रहे है। चिड़ाव निवासी प्रगति किसान प्रवीन नरवाल ने बताया कि महज एक सप्ताह में उनकी ओर से गेहूं बिजाई का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। वहीं उसकी ओर से हर वर्ष 50 एकड़ खेत में आलू की बिजाई भी की जा रही है। एक वर्ष में तीन फसलें उगाकर खेती को बनाते फायदे का सौदा
किसान प्रवीन नरवाल ने बताया किे वह एक वर्ष में तीन फसलें लेते हैं। फसल उनके लिए घाटे का सौदा नहीं बनती। आलू वाले खेत में मक्की, मूंग, ककडी, तरबूज, खीरा व चारे के बाद धान रोपाई की जाती है। सौ से 120 दिनों में पकने वाले आलू सीधे कंपनी को बेचे जाते हैं। चिप्सोना, आरएल व हिमसोना, चोरिया व संताना सहित कई अन्य किस्में शामिल है। प्रति एकड़ जिनकी पैदावार 120 से 150 क्विटल रहती है। 15 नवंबर तक करें अगेती गेहूं की बिजाई
बीएओ डा. राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि गेहूं बिजाई का उचित समय चल रहा है। किसान 15 नवंबर तक एचडी 2967, एचडी 3086, डब्ल्यूएच1105, 222, 187 किस्म के गेहूं की बिजाई करें। पीबीडब्ल्यू 550 व 711, की बिजाई 25 नवंबर तक कर सकते है। इसके बाद लेट वैरायटी में किसान 173,273, पीबीडब्ल्यू 509, 373, डीबीडब्ल्यू 173, एचडी 2851, एचडी 2059 शामिल है। बिजाई से पूर्व करें बीजोपचार
डा. राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि किसान बिजाई से पूर्व बिजोपचार जरूर करें। दीमक वाले खेत में क्लोरोपाईरिफास के साथ बीजोपचार करें। वहीं गेहूं में फंगस रोगों की रोकथाम के लिए रेक्सिल, वीटावैक्स, बावस्टीन नामक दवा से बीजोपचार करें। जो बाजार में हर जगह व सस्ती मिलती है। बीजोपचार से गेहूं में करनाल बंट नामक रोग भी नही आता।