82 साल की उम्र में क्या कर सकते हैं सीखिए इस युवा बुजुर्ग से, जज्बा और कारनामा कर देगा हैरान
करनाल के चौधरी राम सिंह ने साबित किया है कि 82 साल की उम्र में भी जीवन में बहुत कुछ किया जा सकता है। राम सिंह को अपने जज्बे और कारनामों के कारण युवा बुजुर्ग कहा जाता है।
करनाल, [मनोज ठाकुर]। चौधरी राम सिंह, उम्र 82 साल। रिटायर्ड पुलिसकर्मी। ..लेकिन जरा ठहरिए। इन्हें इस तरह के कोई नहीं जानता। इनकी पहचान है तेज दौड़ने वाले 'बुजुर्ग युवा' की। जिस उम्र में ज्यादातर बुजुर्गो को चलने तक में दिक्कत होने लगती है, राम सिंह 28 साल के युवा की तरह दौड़ लगाते हैं। ऐसा लगता है उम्र उनसे मात खा चुकी है।
82 साल की उम्र और पांच हजार मीटर की रेस में गोल्ड मेडल
चौधरी राम सिंह कहते हैं, 82 साल का हो गया हूं, लेकिन इस बारे में भी नहीं सोचता। क्यों सोचूं। मैं खुद को 28 साल का मानता हूं। आखिर 82 और 28 में बस अंकों का उलट फेर ही तो है। अब इससे क्या फर्क पड़ता है कि दो पहले लिखा है या आठ। उम्र सिर्फ एक अंक है। राम सिंह की यही सोच उन्हें युवा बनाए हुए है।
उनके घुटनों में अब भी इतनी ताकत है कि वह जयपुर मास्टर एथेलेटिक्स चैंपियनशिप में 200 मीटर और पांच हजार मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीतकर लौटे। यह प्रतियोगिता 2 से 4 फरवरी तक आयोजित की गई थी। प्रदेश से बाहर इस लेवल की किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का यह उनका पहला अनुभव रहा। हालांकि इससे पहले पुलिस की सेवा में रहते हुए 26 किलोमीटर के मैराथन में हर बार पहले नंबर पर आते रहे हैं।
चौधरी राम सिंह रोज दौड़ का अभ्यास करते हैं। क्षेत्र के लोग उन्हें धावक राम सिंह के नाम से ही पुकारते हैं। इस उम्र में भी इस तरह कैसे दौड़ लेते हैं के सवाल पर उन्होंने कहा, सोच और उसके मुताबिक अभ्यास इंसान की सबसे बड़ी ताकत है। जिसने एक बार अभ्यास करना शुरू कर दिया, उसने समझो उम्र को पीछे छोड़ दिया। उम्र कितनी है इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, फर्क पड़ता है सोच से। आप सोचते क्या हैं, उसे किस तरह से लेते हैं। ये बातें असर डालती हैं। बस यही एक मंत्र है, जो उन्हें हर रोज दौड़ने के लिए प्रेरित करता है।
ठंड में भी अभ्यास जारी : उन्होंने बताया कि इन दिनों ठंड थोड़ी ज्यादा है, फिर भी एक माह से वह लगातार सुबह व शाम कड़ा अभ्यास कर रहे थे। इसी का परिणाम है कि वह प्रतियोगिता में मेडल जीतने में कामयाब हुए।
पुलिस में रहते हुए ही रेस का शौक हो गया था
चौधरी राम सिंह कहते हैं कि उन्हें पुलिस में रहते हुए ही दौड़ लगाने का शौक था। उस वक्त पुलिस में 26 किलोमीटर की मैराथन रेस होती थी। अपने वर्ग में वह लगातार पहले नंबर पर आए। नौकरी के बाद भी दौड़ से जुड़ाव बनाए रखा, लेकिन इस तरह की किसी प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका नहीं मिल पाया। वह कहते हैं, 'इस बार पता चला कि जयपुर में प्रतियोगिता हो रही है तो तैयारी की और परिणाम सामने हैं।'
सादा भोजन करते हैं, जितना हो सके पैदल चलते हैं
चौधरी राम सिंह पैदल चलना ही पसंद करते हैं। उन्होंने बताया कि इससे शरीर में ताजगी बनी रहती है। यह महसूस ही नहीं होता कि शरीर बूढ़ा हो रहा है। सादा खाना, वह भी घर का बना हुआ ही खाते हैं। इसके साथ नियमित रूप से योग भी करते हैं। उनका कहना है कि फास्ट फूड जिस तरह से शरीर को खराब करता है, उसी तरह से भ्रष्टाचार मन को बीमार कर देता है। स्वस्थ रहना है तो भ्रष्टाचार से भी दूर होना होगा।