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सोच बदलनी होगी, पोलिथिन व्यापार नहीं जहर : धीरज कुमार

शहर में 60 प्रतिशत तक पोलिथिन बंद हो चुका है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 08:51 AM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 08:51 AM (IST)
सोच बदलनी होगी, पोलिथिन व्यापार नहीं जहर : धीरज कुमार
सोच बदलनी होगी, पोलिथिन व्यापार नहीं जहर : धीरज कुमार

जागरण संवाददाता, करनाल

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शहर में 60 प्रतिशत तक पोलिथिन बंद हो चुका है। हमने लोगों के सहयोग से एक अच्छा प्रयास किया है, उसके परिणाम सकारात्मक सामने आए हैं। जिन लोगों ने निगम की सख्ती के बाद भी पॉलीथिन बंद नहीं किए हैं, उनको सोच बदलने की जरूरत है। मैं बताना चाहता हूं कि पोलिथिन व्यापार नहीं है, जहर है। पोलिथिन इस्तेमाल करने की जिद नहीं छोड़ेंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं कर पाएगी। यह बात नगर निगम के डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर धीरज कुमार ने दैनिक जागरण से सप्ताह के साक्षात्कार के दौरान कही। उन्होंने कहा कि हर माह 25 से 30 टन प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। सब्जी मंडी को शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा 40 टन तक पहुंच जाता है। यह हमारे लिए चिता का विषय है। एनजीटी इस मामले को लेकर सख्त है। होना भी चाहिए, क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा सवाल है। धीरज कुमार ने दैनिक जागरण की ओर से पूछे और भी कई सवालों के जवाब दिए जो इस प्रकार हैं। 0 एनजीटी के यह आदेश पहले से हैं, अभी तीन माह से सख्ती क्यों?

- डीएमसी ने कहा, यह बात सही है पोलिथिन बंद करने को लेकर एनजीटी के यह आदेश पहले से हैं। जब मुझे पता लगा कि प्लास्टिक 80 प्रतिशत कैंसर का कारक है, इस पर मंथन किया। प्लास्टिक हमारे पर्यावरण में तो जहर घोल ही रहा है, साथ ही प्लास्टिक से बनने वाले बर्तनों के इस्तेमाल से हम सीधे कैंसर को बुलावा दे रहे हैं। हमने इस मामले में टीम बनाकर सख्ती की है। तीन माह में शहर में 60 प्रतिशत तक पोलिथिन मुक्त करने में कामयाब रहे हैं। व्यापारियों, समाजसेवी संस्थाओं ओर लोगों का सहयोग ऐसे ही मिलता रहा तो जल्द पोलिथिन को पूर्ण रूप से बंद कर देंगे। 0 पोलिथिन बंद किए जा रहे हैं, विकल्प भी लोगों को देना जरूरी है उसके लिए क्या कर रहे हैं?

- कंपोस्टेबल कैरीबग ही पोलिथिन का विकल्प है। लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि वह घर से सामान लेने जाते हैं तो थैला लेकर जाएं, मजबूरी है तो दुकानदार से कंपोस्टेबल कैरीबैग लेने का आग्रह करें, जो पोलिथिन देता है उससे सामान ना खरीदें। हालांकि पोलिथिन की तुलना में कंपोस्टेबल कैरीबैग कुछ महंगे जरूर हैं, लेकिन इतने भी नहीं है कि लोग अफोर्ड ना कर सकें। हमारी प्राथमिकता है कि लोगों को सब्सिडी पर या फिर समाजसेवी संस्थाओं के माध्यम से सस्ते कैरीबैग दुकानदारों, रेहड़ी-फड़ी वालों को दिए जाए। 0 एनजीटी तो पोलिथिन बंद करने के पक्ष में है, लेकिन इसका कारोबार क्यों बढ़ रहा है?

- दो साल पहले देशभर में 60 हजार टन रोजाना पोलिथिन की खपत होती थी, अब यह आंकड़ा चार गुना तक बढ़ चुका है। यह केवल अधिकारियों की सख्ती से नहीं जागरूकता से ही अभियान सफल होगा। पोलिथिन पर रोक लगानी होगी। तंबाकू उत्पाद को लेकर तो एनजीटी ने हिदायत दी है कि वह पोलिथिन के बजाय पेपर पैकिग में गुटखा, पान मसाले की पैकिग करेंगे। पोलिथिन के लिए देश में खराब हो रही हालत पर एनजीटी ने 200 से कंपनियों को नोटिस दिया है, अगर हालात नहीं सुधरे तो उन्हें सील भी किया जा सकता है। संक्षिप्त परिचय

डिप्टी म्यूनिसिपल धीरज कुमार का जन्म रोहतक के गांव संडाना में हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा वहीं पर हुई। उच्च शिक्षा एमबीए और एलएलबी एमडीयू रोहतक से पूरी की। 13 मई 2013 को सरकारी सेवाओं में आए। फतेहाबाद में एग्जीक्यूटिव आफिसर पद पर ज्वाइन किया। हाल ही में डीएमसी पद पर पदोन्नत होकर करनाल निगम में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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