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मतदाताओं की चुप्पी से नेता हो रहे परेशान

इस चुनावी मौसम में अभी ठंडक है लेकिन इस ठंडक ने नेताओं के दिमाग को गर्म किया हुआ है। फिर चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष। दोनों ही इस सोच में हैं कि आखिर वोटर के मन में क्या है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 08:30 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 08:30 AM (IST)
मतदाताओं की चुप्पी से नेता हो रहे परेशान
मतदाताओं की चुप्पी से नेता हो रहे परेशान

मनोज ठाकुर, करनाल :

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करनाल संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने अजीब सी राजनीतिक चुप्पी साधी हुई है। सीधे तौर पर किसी का पक्ष नहीं ले रहे हैं तो किसी की खिलाफत में भी नहीं हैं। टटोलने पर मन नहीं देते। ऊपर से सवाल दाग देते हैं कि आप ही बताओ इस बार क्या करना है, ताकि दूसरे के दिल की थाह ली जा सके। अभी गली के नुक्कड़ पर चुनावी चर्चाओं का दौर भी शुरू नहीं हुआ है। ना ही चाय की चुस्की लेते लोग एक-दूसरे से राजनीतिक बहस करते हुए उलझ रहे हैं। इस चुनावी मौसम में अभी ठंडक है, लेकिन इस ठंडक ने नेताओं के दिमाग को गर्म किया हुआ है। फिर चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष। दोनों ही इस सोच में हैं कि आखिर वोटर के मन में क्या है। उसी अनुसार अपनी रणनीति बनाएं।

अभी चुनाव प्रचार भी सुस्त

चुनावी माहौल के गर्म नहीं होने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि अभी तक राजनीतिक दल पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार में नहीं उतरे हैं। सबसे पहले करनाल में भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया था। इसके बाद इनेलो और फिर जजपा-आप गठबंधन का प्रत्याशी आया। कांग्रेस का उम्मीदवार अभी तक सामने नहीं आया है। शुरुआत में भाजपा ही चुनाव प्रचार में आगे आई। इनेलो और जजपा-आप गठबंधन के पांव भी प्रचार की ओर तेज नहीं हुए हैं। लिहाजा चुनाव प्रचार शबाब पर जाने के साथ ही आहिस्ता-आहिस्ता मतदाता भी चुनाव पर खुलकर अपनी बात रखनी शुरू करेंगे। इसके बाद यह अनुमान लगाना शुरू किया जाएगा कि करनाल का चुनाव किस दिशा में आगे जा रहा है।

दलों को रहेगा अपने स्टार प्रचारकों का इंतजार

राजनीतिक दलों को चुनाव आगे बढ़ने के साथ ही अपने स्टार प्रचारकों का इंतजार रहेगा। भाजपा के स्टार प्रचारक तौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह मई के पहले सप्ताह में हरियाणा आएंगे। मोदी या शाह करनाल संसदीय क्षेत्र में भी चुनावी रैली को संबोधित करेंगे। इसके अलावा कांग्रेस का जोर रहेगा कि हरियाणा और खासकर सीएम मनोहर लाल के विधानसभा क्षेत्र करनाल में आकर राहुल गांधी या प्रियंका गांधी चुनावी रैली करेंगे।

जजपा-आप गठबंधन के स्टार प्रचारक के तौर पर दिल्ली के सीएम अरविद केजरीवाल आ सकते हैं। लिहाजा स्टार प्रचारक आने के बाद लोग अपने अपने पसंद के नेता के पक्ष में लामबंद होना शुरू होंगे। इसके साथ ही लोगों की खामोशी टूटनी शुरू हो जाएगी।

मतदाता अब नहीं देते अब अपने मन की थाह

डीएवी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. बलराम शर्मा मानते हैं कि मतदाता जब यह मान लें कि उन्हें किसी खास मुद्दे पर वोट देना है या फिर किसी के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करनी है तो वह खामोशी धारण कर लेते हैं। अभी मतदान में कई दिन शेष हैं। ऐसे में अभी वोटर की खामोशी को ज्यादा तूल भी नहीं देना चाहिए। क्योंकि वह अभी इस सोच में भी रह सकते हैं कि किस प्रत्याशी का चयन करें या किस राजनीतिक दल के साथ जाएं। यह खामोशी मतदान के समीप तक रही तो इससे राजनीतिक दलों का चिता बढ़ेगी। क्योंकि उन्हें भी समझ नहीं आएगा कि आखिर मतदाता किस सोच के साथ इस चुनाव को लेकर जा रहे हैं।


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