आइपीएल की तर्ज पर वालीबॉल लीग करवाए जाने की जरूरत- डा.दलेल सिंह
कहीं सरकार के स्तर पर पर बरती गई बेरुखी तो कहीं फेडरेशन दो फाड़ हो जाने के चलते वालीबॉल खेल के प्रति खिलाड़ियों का लगातार उत्साह गिरा है।
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भारतीय वॉलीबाल टीम के कप्तान रहे अर्जुन अवार्डी दलेल सिंह ने दैनिक जागरण से की बातचीत करनाल: कहीं सरकार के स्तर पर पर बरती गई बेरुखी तो कहीं फेडरेशन दो फाड़ हो जाने के चलते वालीबॉल खेल के प्रति खिलाड़ियों का लगातार उत्साह गिरा है। ऐसे में खेल का स्तर नीचे आया है। आज जरूरत है, इस खेल को भी क्रिकेट की तर्ज पर बढ़ावा देने की। इसके लिए सरकार के साथ-साथ इससे जुड़े संगठनों को पहल करने की। इसके लिए ग्रामीण स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक योजनाबद्ध कार्य करना होगा। यह विचार भारतीय वालीबॉल टीम के पूर्व कप्तान और अर्जुन अवार्डी डा. दलेल सिंह ने हमारे संवाददाता सेवा सिंह से बातचीत में व्यक्त किए। पेश से उनसे बातचीत के प्रमुख अंश। आपकी नजर में वॉलीबॉल का स्तर इस समय कैसा है?
वर्तमान समय में वॉलीबॉल खेल के स्तर में गिरावट आई है। एक समय था जब यह खेल हमारे देश का सिरमौर बन चुका था, लेकिन अब फिर इसे बढ़ावा देने की जरूरत है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जाना बेहद जरूरी है। तभी इस खेल को आगे बढ़ा सकते हैं। वॉलीबॉल को बढ़ावा देने के लिए क्या करने की जरूरत है?
जिस तरह से एक जमाने में क्रिकेट भी एक दायरे तक सीमित था, लेकिन आइपीएल ने इस खेल को नई उड़ान प्रदान की। यही स्थिति कबड्डी में हुई। प्रो. कबड्डी लीग को व्यापक स्तर पर शुरू किया गया तो इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। पिछले साल इसी तर्ज पर वॉलीबॉल लीग शुरू की गई थी, लेकिन इसे भी आइपीएल की तर्ज पर व्यापक रूप दिए जाने की जरूरत है। इससे खिलाड़ियों को करियर भी दिखाई देने लगेगा। इस खेल के प्रति प्रोफेशनलिज्म को बढ़ावा देना होगा। खेलों का जीवन के प्रति कैसा जुड़ाव देखते हैं आप?
आज हर विभाग के कर्मचारी किसी न किसी स्तर पर मानसिक दबाव झेल रहे है। कहीं कार्यालय का दबाव तो कहीं परिवारिक परिस्थितियों के चलते शारीरिक रूप से कमजोर होते जा रहे कर्मचारियों को तंदुरुस्त रखने के लिए हर विभाग को खेलों का आयोजन करना चाहिए। वॉलीबॉल जैसे खेलों से उनकी सेहत बेहतर रहेगी तो मानसिक तौर पर भी दबाव कम महसूस करेंगे। ऐसे में कार्य बेहतर ढंग से कर सकेंगे। युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे ?
युवा नशे से दूर रहें। युवाओं को किसी न किसी खेल के प्रति रुचि बनानी चाहिए और इसमें अपनी प्रतिभा साबित करने के लिए कड़ी प्रेक्टिस करें। खिलाड़ी अपना लक्ष्य हमेशा सामने रखें और हर स्तर पर खेल में ईमानदारी और कड़ी मेहनत का परिणाम दिखाई देना चाहिए। माता-पिता को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करें। संक्षिप्त परिचय
नाम-दलेल सिंह
पता-गांव अमीन, कुरुक्षेत्र
शिक्षा-पंजाब विश्वविद्यालय से पीएचडी
सम्मान-अर्जुन अवार्ड, भीम अवार्ड संक्षेप में दलेल सिंह की उपलब्धियां
- 1984, 1987, 1988 में भारतीय टीम के कप्तान तो लगातार 12 वर्षों तक वॉलीबॉल में चमकाया देश का नाम।
- 2005 से 2016 तक कुरुक्षेत्र विश्विवद्यालय के खेल विभाग के निदेशक रहे।
- 1984 में हरियाणा सरकार से भीम अवार्ड तो 1990 में केंद्र सरकार से अर्जुन अवार्ड से सम्मानित।
- 1982 में दिल्ली में हुए एशियन गेम्स में चौथा स्थान ।
- 1986 में सियोल में हुए एशियन गेम्स में ब्रांज मेडल।