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टिकट फर्जीवाड़े में विजिलेंस जांच शुरू, बस स्टैंड पहुंची टीम ने की अधिकारियों से कई घंटे की पूछताछ

रोडवेज में टिकट फर्जीवाड़े मामले को लेकर विजिलेंस जांच शुरू हो चुकी है। मामले की जांच की जिम्मेदारी परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने हिसार रेंज की विजिलेंस टीम को सौंपी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 08:37 AM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 08:37 AM (IST)
टिकट फर्जीवाड़े में विजिलेंस जांच शुरू, बस स्टैंड पहुंची टीम ने की अधिकारियों से कई घंटे की पूछताछ
टिकट फर्जीवाड़े में विजिलेंस जांच शुरू, बस स्टैंड पहुंची टीम ने की अधिकारियों से कई घंटे की पूछताछ

जागरण संवाददाता, करनाल : रोडवेज में टिकट फर्जीवाड़े मामले को लेकर विजिलेंस जांच शुरू हो चुकी है। मामले की जांच की जिम्मेदारी परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने हिसार रेंज की विजिलेंस टीम को सौंपी है। टीम ने बस स्टैंड पहुंचकर टिकट मामले को लेकर अधिकारियों से गहनता से पूछताछ की। टीम की पहली विजिट से रोडवेज में हड़कंप की स्थिति बनी रही। विजिलेंस ने अधिकारियों से टिकट फर्जीवाड़े से जुड़े तमाम दस्तावेजों की मांग की है। अधिकारियों को अगली विजिट तक सभी दस्तावेज एकत्रित करने के भी निर्देश दिए हैं। करीब तीन घंटे की पूछताछ के बाद मामले से जुड़ी तमाम जानकारियां व बयान दर्ज कर टीम हिसार लौट गई है।

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गौरतलब है कि टिकट फर्जीवाड़े के मामले में इससे पहले परिवहन विभाग की स्टेट ऑडिट टीम अपने स्तर पर जांच कर चुकी है। जिसकी रिपोर्ट मुख्यालय में जमा करा दी गई है। विभागीय जांच में कुछ खामियां मिलने के बाद परिवहन मंत्री ने इस पूरे मामले की दोबारा से विजिलेंस जांच कराने के आदेश दिए गए थे।

इसी मामले से विवादों में आए जीएम का हुआ था तबादला

टिकट फर्जीवाड़े के मामले में मजबूती से अपना पक्ष रखने में नाकामयाब हुए जीएम रोडवेज अश्विनी डोगरा का तबादला कर दिया गया था। डिपो में टिकट विवाद सामने आने के बाद उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए मुख्यालय बुलाया गया था, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। बताया जा रहा है कि ओर भी कई अन्य मामलों को लेकर उनकी कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में थी, जिसको लेकर यह कार्रवाई हुई।

यह है पूरा मामला?

16 अक्टूबर से 2 नवंबर 2018 तक रोडवेज के कर्मचारियों की तरफ से अनिश्चितकालीन हड़ताल की गई। ऐसे में स्थानीय अधिकारियों ने प्रशिक्षण, आउटसोर्सिग पर लगे स्टाफ को कंडक्टर के रूप में तैयार किया और पुलिस, फायर ब्रिगेड, सिटी बस सर्विस, स्कूल बसों के ड्राइवरों को बुलाया गया। इनको रोडवेज की टिकटें इसलिए नहीं दे पाए कि ऑनलाइन सिस्टम में परमानेंट कर्मचारियों के नाम से ही टिकटें इश्यू की जाती हैं। बुकिग ब्रांच ने रोडवेज टिकटों को जारी नहीं किया। ऐसे में स्थानीय अधिकारियों ने लोकल स्तर पर दूसरी टिकटों को छपवाया था। 18 अक्टूबर से 27 अक्टूबर तक स्थानीय प्रिटिग मशीन से लगभग 80 हजार रुपये में करीब 94 लाख रुपए की टिकटें छपवाई गई। इन 94 लाख की टिकटों में से 57 लाख रुपये की राशि विभाग ने मुख्यालय को जमा करा दी थी, बाकी टिकटें नहीं मिलने पर सवाल खड़े हुए थे।

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