Haryana News: ढाई करोड़ की जमीन के बदले मांगी 20 लाख की रिश्वत, दो पटवारी गिरफ्तार
उसने शिकायकर्ता को उसकी जमीन की अधिग्रहण राशि ढाई करोड़ लाख रुपये को लेकर गुमराह किया हुआ था। जबकि विभागीय तौर यह राशि जारी हुई थी। लेकिन पटवारी शिवकुमार ने यह राशि उसे नहीं बताई थी। फिर उसका तबादला हिसार हो गया।
करनाल, जागरण संवाददाता। ढाई करोड़ के बदले 20 लाख की रिश्वत मांगने वाले वाले दो पटवारियों को करनाल विजिलेंस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने पहले एक पटवारी को पांच लाख रुपये सहित रंगे हाथ गिरफ्तार किया। उसे अदालत से रिमांड पर लेकर दूसरे पटवारी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
पांच लाख रुपये सहित पहले गिरफ्तार हुए पटवारी का नाम हिसार के जामवरी गांव निवासी शिव कुमार है। जबकि दूसरे पटवारी का नाम पंचकूला के भूमि अधिग्रहण विभाग में कार्यरत अशोक है। आरोप है कि शिवकुमार पहले भूमि अधिग्रहण विभाग में ही कार्यरत था। उसने शिकायकर्ता को उसकी जमीन की अधिग्रहण राशि ढाई करोड़ लाख रुपये को लेकर गुमराह किया हुआ था। जबकि विभागीय तौर यह राशि जारी हुई थी। लेकिन पटवारी शिवकुमार ने यह राशि उसे नहीं बताई थी। फिर उसका तबादला हिसार हो गया।
शिकायतकर्ता उसके संपर्क में था तो उसने फिर बातचीत की तो रिश्वत की मांग की गई। इस मामले की जानकारी शिकायतकर्ता ने करनाल विजिलेंस को दी। 18 मार्च को करनाल से पांच लाख रुपये लेने के लिए शिव कुमार को विजिलेंस ने गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद विजिलेंस ने आरोपित को अदालत में पेशकर रिमांड पर लिया था। आरोपित ने ही विजिलेंस को बताया कि रिश्वतखोरी के काम में उसे अशोक का सहयोग मिलता है।
पूछताछ के आधार पर अशोक को भी रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया। विजिलेंस इंस्पेटर सचिन के अनुसार इस मामले में जांच की जा रही है। अभी जांच की वजह से शिकायकर्ता का नाम नहीं बता सकते। आरोपित पटवारी अशोक को भी अदालत में पेशकर रिमांड हासिल करने का प्रयास किया जाएगा। ताकि इस मामले की और परत खुल सकें।
पुलिस में दर्ज केस में भी नहीं मिला न्याय
जिस जमीन पर रिश्वत मांगने की बात हो रही है, वह जमीन फूसगढ़ गांव के किसानों के नाम थी और कुछ हिस्सा बुड्ढाखेड़ा गांव के किसानों के नाम। शहर के विकास के साथ ही पहले शहर से दूर माने वाले दोनों गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहण हुआ। किसानों ने भी जमीन दी। लेकिन जमीन देने के बाद किसानों ने मुआवजे से संतुष्टि जाहिर नहीं की थी। इसके कुछ मामले अभी भी अदालत में चल रहे हैं। जबकि मुददे की बात यह है कि अभी भी पात्र किसान अपनी जमीन सरकार के अधीन जाने के बाद भी मुवाअजा राशि लेने को पुलिस में भी केस दर्ज करवा चुके हैं। बावजूद इसके उन्हें न्याय देने वाला कोई नहीं है।