टोल कंपनी की मनमानी पर प्रशासन की मेहरबानी, न कट के लिए जिम्मेदार तय, न हादसों पर मांगा जवाब
नेशनल हाईवे नंबर-44 पर एक भी कट नहीं है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी आफ इंडिया ने आरटीआइ में जो जानकारी दी उसमें यही दावा किया गया।
सब हेड : जागरण टीम ने अप एंड डाउन कर जाने हालात, आरटीआइ में दी गई जानकारी निकली गलत जागरण पड़ताल
फोटो---51 व 52 नंबर है। हाईलाइटर
आरटीआइ में एनएचएआइ का दावा : हाईवे पर कुरुक्षेत्र सीमा से कोहंड तक एक भी कट नहीं
हकीकत : मधुबन से झंझाड़ी गांव तक 30 किमी में 11 अवैध और 45 जगह ग्रिल गायब नंबर गेम
105 मौत 2018 में कटों के कारण हुई
300 मीटर पर एक हाईरिस्क प्वाइंट जागरण संवाददाता, करनाल: नेशनल हाईवे नंबर-44 पर एक भी कट नहीं है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी आफ इंडिया ने आरटीआइ में जो जानकारी दी उसमें यही दावा किया गया। इधर, करनाल सीमा में मधुबन से झंझाडी गांव तक अप एंड डाउन के 30 किलोमीटर के सफर में 11 बड़े कट हैं। सौ से ज्यादा हाइरिस्क प्वाइंट यानि हर 300 मीटर की दूरी पर एक। आरटीआइ में यह भी बताया गया कि कट के लिए टोल कंपनी जिम्मेदार है, हादसा हुआ तो कंपनी की पूरी जवाबदेही है। लेकिन यह सिर्फ बताने के लिए हैं। जिले में 2018 में 692 हादसों में 353 मौत हुई। हाईवे पर 210 मौत हुई, इसमें से 105 मौत के लिए कट्स जिम्मेदार है। इतना होने के बाद भी टोल कंपनी के खिलाफ न तो कट के आरोप में कोई मामला दर्ज हुआ। न हादसा होने पर कंपनी की जिम्मेदारी तय की गई। यानि प्रशासन कंपनी की मनमानी पर पूरी तरह से मेहरबान है। क्यों है यह मेहरबानी ?
आरटीआइ एक्टिविस्ट एडवोकेट राजेश शर्मा के अनुसार क्योंकि टोल कंपनी प्रशासन और पुलिस के उन कर्मचारियों व उनकी जानपहचान वालों को बिना पैसा चुकाए टोल पार करने देते हैं। इसका बदला चुकाने के लिए ही पुलिस कटों की ओर ध्यान नहीं देती। हादसा होने पर भी टोल कंपनी के बचाने की कोशिश होती है। यहीं वजह है कि इतनी मौत के बाद भी कंपनी को एक बार भी जिम्मेदार नहीं ठहराया गया। कट के पीछे भ्रष्टाचार का तंत्र
रोड सेफ्टी विशेषज्ञ नवदीप असीजा ने बताया कि कट किसकी शह पर बने हैं। इस पर विचार होना चाहिए। ऐसा लगता है कि टोल कंपनी के कुछ कर्मचारी बड़े प्रतिष्ठान को लाभ पहुंचाने के लिए कट खुलवाते हैं। इसके पीछे भ्रष्टाचार का बड़ा गणित है। यह जांच होनी चाहिए कि हाईवे पर जहां कट है, वह क्यों और किसने और कब बनवाया। यह सही है कि टोल पॉलिसी में कट के लिए कंपनी जिम्मेदार है। जब कंपनी मनमानी कर रही है तो प्रशासन को इसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। पर सभी मिले हुए हैं, इसलिए ध्यान नहीं दिया जा रहा है। टोल कंपनी पर प्रशासन की मेहरबानी के सुबूत
0 झंझाड़ी से पानीपत की ओर
- दो जगह अटल पार्क के सामने फ्लाईओवर पर चढ़ने के लिए कट खुले हैं।
- पंकज फिलिग स्टेशन व लजीज होटल के सामने।
- होटल न्यू वर्ल्ड के सामने।
- इंडियन पेट्रोल पंप के सामने।
- भारत पैट्रोलियम पंप के सामने।
- कंबोपुरा गांव के पास।
मधुबन से कुरुक्षेत्र की ओर-
- पंजाब डिलक्स ढाबे के आगे।
- चेतक कुकर के सामने।
- दो जगह उचानी के पास हाईवे क्रास करने के लिए ग्रिल तोड़कर अवैध कट खोले गए हैं। सर्विस लेन पर बनाए कच्चे रास्ते
इन कटों के अलावा हाइवे पर कई जगहों से बाउंड्री ग्रिल भी नहीं है। यानि यहां किसी न किसी को लाभ पहुंचाने के लिए रास्ते खुले छोड़े हुए हैं। इधर ढाबे, पेट्रोल पंप व होटल संचालकों ने हाईवे से सर्विस लेन पर कच्चे रास्ते बनाए हुए हैं। जानिए प्रशासन और कंपनी को हमारी जान की कितनी चिता
1. एनएचएआई : दैनिक जागरण ने हाईवे के कटों पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी को आरटीआइ लगा कर जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में एनएचएआइ के परियोजना निदेशक प्रबधक (तकनीकी) निर्मल कुमार ने जानकारी में बताया है कि अवैध कट को बंद करवाने की जिम्मेदारी टोल कंपनी पानीपत-जालंधर एनएच-1 टोलवे प्राइवेट लिमिटेड की है। हादसा हो गया तो कंपनी जिम्मेदार है। हाईवे पर कट का कोई प्रावधान नहीं है। 2. टोल कंपनी : पानीपत-जालंधर एनएच-1 टोलवे प्राइवेट लिमिटेड के बसताड़ा टोल प्लाजा मैनेजर सन्नी शर्मा ने हाईवे अथॉरिटी को ही कट के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि हम क्यों कट्स बंद करेंगे, एनएचएआइ देखे। उन्होंने हाईवे पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वह रोड पर क्या करते हैं?
3. हाईवे पुलिस : ट्रैफिक एंड हाईवे एसएचओ इंस्पेक्टर नरेंद्र का दावा है कि हाईवे पर एक भी कट अवैध नहीं है। हालांकि इनके इस दावे का आधार क्या? यह पूछने पर वह कुछ बोल नहीं पाए। अलबत्ता बताया कि कटों पर हम कार्रवाई नहीं कर सकते। पुलिस केवल हाईवे पर ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर ही काम करती