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अपने साधनों से दूसरों को सुख पहुंचाना पुण्य है: मुनि पीयूष

उपप्रवर्तक पीयूष मुनि महाराज ने आत्म मनोहर जैन आराधना मन्दिर से अपने दैनिक सन्देश में कहा कि पुण्य के प्रभाव से ही जीवन की सारी उपलब्धियां होती हैं। दुनिया में सभी सुख-साधन हैं परन्तु पुण्यहीन कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 06:12 AM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 06:12 AM (IST)
अपने साधनों से दूसरों को सुख पहुंचाना पुण्य है: मुनि पीयूष
अपने साधनों से दूसरों को सुख पहुंचाना पुण्य है: मुनि पीयूष

जागरण संवाददाता, करनाल : उपप्रवर्तक पीयूष मुनि महाराज ने आत्म मनोहर जैन आराधना मन्दिर से अपने दैनिक सन्देश में कहा कि पुण्य के प्रभाव से ही जीवन की सारी उपलब्धियां होती हैं। दुनिया में सभी सुख-साधन हैं परन्तु पुण्यहीन कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता। जो अपने साधनों से दूसरों को आराम नहीं पहुंचाता बल्कि दुख और कष्ट ही देता है, वही पुण्य से रहित रह जाता है। पुण्य को अर्जित करने वाला ही सबसे बड़ा धनवान है।

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उन्होंने कहा कि पुण्यवान के चरण चूमने के लिए सारी सफलताएं उत्सुक रहती हैं। किसी को सोने के लिए सुविधाजनक स्थान उपलब्ध करवाना, जहाँ वह आरामपूर्वक विश्राम कर सके और शारीरिक तथा मानसिक थकावट को दूर कर सके, भी पुण्य है।

मुनि जी ने कहा कि नींद जीवन की बहुत बड़ी आवश्यकता है। जो सुखपूर्वक सो नहीं पाते, वे लोग सुखपूर्वक कोई भी कार्य नहीं कर पाते। नींद से दिल-दिमाग सब तरोताजा हो जाता है। किसी अभावग्रसित को सोने के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध करवाना ही पुण्य है। दूसरों के चित्त को शान्ति प्रदान करना जिससे कि वह सुखपूर्वक विश्राम कर सके जुबानी भरोसा देने से भी अधिक महत्वपूर्ण है। दूसरों को शान्ति, सुख देने की कला सीखना सबसे महत्वपूर्ण है। दूसरों को कठोर वचन बोलकर उसकी शान्ति को खंडित करना भी पाप ही है। किसी व्यक्ति का मन अशान्त हो तो उसे फूलों की शय्या पर भी नींद नहीं आती। स्थान छोटा हो या बड़ा, विशेष सुखद हो या सामान्य, देने वाले की यदि भावना श्रेष्ठ हो तो उसे पुण्य अवश्य मिलता है। इस प्रकार दूसरों को चैन और आराम से सोने योग्य वातावरण उपलब्ध कराना भी पुण्य का ही एक प्रकार है।


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