राजनीति की बात करने वालों का किसानों के बीच कोई स्थान नहीं: गुरुदेव
दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों के समर्थन में अमृतसर से चले जत्थे ने बुधवार को करनाल में कुछ देर समागम किया। जत्थे में पंजाब के कई संत महापुरुष रागी ढाडी जत्थे और कविसर प्रचारक शामिल रहे। इस दौरान श्री सचखंड साहिब के हुजूरी रागी गुरुदेव सिंह ने कहा कि खालिस्तान और राजनीति की बात करने वालों का किसानों के बीच कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
जागरण संवाददाता, करनाल: दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों के समर्थन में अमृतसर से चले जत्थे ने बुधवार को करनाल में कुछ देर समागम किया। जत्थे में पंजाब के कई संत, महापुरुष, रागी ढाडी जत्थे और कविसर प्रचारक शामिल रहे। इस दौरान श्री सचखंड साहिब के हुजूरी रागी गुरुदेव सिंह ने कहा कि खालिस्तान और राजनीति की बात करने वालों का किसानों के बीच कोई स्थान नहीं होना चाहिए। अब सरकार को किसानों को गले लगाकर उनकी बात मान लेनी चाहिए। करनाल में अरदास के बाद जत्था दिल्ली के लिए रवाना हो गया।
समूह रागियों और संत महापुरुषों का जत्था सोमवार की रात अमृतसर से चलकर करनाल पहुंचा और यहां रात में ही अरदास समागम का आयोजन किया। मंगलवार को दिल्ली के लिए रवाना होने से पूर्व मीडिया से वार्ता में श्री सचखंड साहिब के हुजूरी रागी भाई गुरुदेव सिंह ने कहा कि दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के बीच हजूरी रागी समूह जब तक रहेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। किसान आंदोलन में राजनीति का कोई स्थान नहीं है। यह पूरी तरह से किसानों का आंदोलन है। केंद्र सरकार को उनकी मांगें मान लेनी चाहिए। किसान हाथ जोड़कर खड़े हैं। जब किसानों को ये कानून नहीं चाहिए इन्हें नहीं थोपा जाए। वे बॉर्डर पर अरदास करने जा रहे हैं। यदि किसान चाहेंगे तो वह कीर्तन के लिए भी वहां रुकेंगे। वह किसानों के साथ डटे रहेंगे।
इस अवसर पर बाबा बुड्ढा साहिब प्रचारक सभा के सचिव भाई गुलाब सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन का समर्थन करना हर नागरिक का कर्तव्य है। वह समागम के माध्यम से वाहे गुरु से सामूहिक अरदास कर रहे हैं कि आंदोलन में अशांति न हो। किसानों की जीत हो। उन्होंने बताया कि अमृतसर से आए जत्थे में पांच सौ से अधिक संत, महापुरुष, रागी ढाढी जत्थे और कविसर प्रचारक शामिल हैं। आंदोलन में गलत और देश या समाज द्रोही लोग नहीं आ सकें, इसके लिए सभी को सजग रहने की जरूरत है। किसान आंदोलन में खालिस्तान का कोई स्थान नहीं
इस दौरान एक सवाल के जवाब में संतों ने कहा कि आंदोलन में खालिस्तान की बात नहीं उठनी चाहिए। जो ऐसा कर रहे हैं, वे किसानों का बुरा कर रहे हैं। खालिस्तान का नारा देश के विभाजन से जोड़कर न देखें बल्कि खालिस्तान का मतलब खालिस लोगों का समूह है।