ये तोता बता रहा रहा है प्यार का मोल
करनाल: ऐ दुनिया वालों मेरी जुबान आप नहीं समझते। लेकिन मैं प्यार की भाषा समझता हूं। ये
करनाल: ऐ दुनिया वालों मेरी जुबान आप नहीं समझते। लेकिन मैं प्यार की भाषा समझता हूं।
ये हरिप्रसाद ही ले लो। एक बार प्यार से दुलारा था। मेरा हाल जाना था। मुझे बारिश से बचाया और दो दाने मुंह में डाल दिए थे। देखा तो और लोगों ने भी था। जब मैं सर्दी से कांप रहा था। सांस मंद हो रही थी। पर ध्यान तो इस हरि ने ही दिया। बस उस दिन से ही मेरी और हरि की दोस्ती हो गई। इस चाय वाले ने भी ऐसा दिल लगाया कि अब मैं दिन में तीन बार आता हूं। दूध पीता हूं। चीनी खाता हूं। मट्ठी तो मेरी पसंदीदा हो गई। कभी सेब मिलता है तो कभी बालूशाही। खाने की मौज है।
ये कहानी एक तोते और चाय वाले की है। ढाई माह पहले रिमझिम बारिश का मौसम था। एक नन्हा प¨रदा मीनार रोड पर चाय के खोखे पर आ गया। बरसात में भीगकर सर्दी से कंपा रहा था। चाय बनाने वाले हरिप्रसाद की निगाह उस पर पड़ी तो उसे सहलाया। दो दिन तक उसकी देखभाल की। जब वह ठीक हो गया तो आसमान में छोड़ दिया। उस दिन से वह दिनभर कहीं भी आसमान को नापता फिरे, लेकिन सुबह का नाश्ता, दोपहर और रात का खाना यहीं आकर खाता है।