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दुनिया ने माना आयुर्वेद का महत्व: डा. जयदीप

एलोपैथी और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धतियों को लेकर हाल में छिड़े विवाद के बीच हरियाणा योग आयोग के अध्यक्ष डा. जयदीप आर्य ने अहम राय रखी है। उनका साफ कहना है कि चिकित्सा विज्ञान में एलोपैथी का योगदान नकारा नहीं जा सकता। लेकिन चिकित्सा के नाम पर समाज को अनुचित संदेश देने वाला अन्य एजेंडा चलाना सही नहीं है। ऐसा होने पर एक स्वर से मुखर विरोध होना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 07:21 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 07:21 AM (IST)
दुनिया ने माना आयुर्वेद का महत्व: डा. जयदीप
दुनिया ने माना आयुर्वेद का महत्व: डा. जयदीप

जागरण संवाददाता, करनाल: एलोपैथी और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धतियों को लेकर हाल में छिड़े विवाद के बीच हरियाणा योग आयोग के अध्यक्ष डा. जयदीप आर्य ने अहम राय रखी है। उनका साफ कहना है कि चिकित्सा विज्ञान में एलोपैथी का योगदान नकारा नहीं जा सकता। लेकिन चिकित्सा के नाम पर समाज को अनुचित संदेश देने वाला अन्य एजेंडा चलाना सही नहीं है। ऐसा होने पर एक स्वर से मुखर विरोध होना चाहिए।

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डा. आर्य ने ये विचार हाल में रेडियो ग्रामोदय के एक कार्यक्रम में हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डा. वीरेंद्र सिंह चौहान से वार्ता में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ने में आयुर्वेदिक दवाओं और योग की उपयोगिता को आज सभी मान रहे हैं। आयुर्वेद की महत्ता विश्व स्तर पर प्रमाणित हो चुकी है। इसलिए आयुर्वेद बनाम एलोपैथी का विवाद निरर्थक है। यह आयुर्वेद विरोधी रणनीति का हिस्सा अवश्य हो सकता है। स्पष्ट है कि चिकित्सा पद्धतियों के नाम पर कोई भारतीय संस्कृति पर हमला करे तो उसका मुखर विरोध नितांत आवश्यक है।

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योग व आयुर्वेद से ठीक हुए मरीज

बकौल डा. जयदीप, कभी भारतीय चिकित्सा विज्ञान काफी उन्नत अवस्था में था लेकिन स्वाधीनता के बाद इस दिशा में ज्यादा काम नहीं हो पाया। एक न एक दिन आधुनिक चिकित्सा पद्धति को भारतीय संस्कृति और इसके चिकित्सा विज्ञान की शरण में आना ही होगा। कोरोना से संक्रमित हुए करीब 85 प्रतिशत मरीज योग और आयुर्वेद के उपचार से ठीक हुए। आयुष मंत्रालय के ऐप पर इसके प्रामाणिक दस्तावेज मौजूद हैं, जिसे दुनिया भर के विशेषज्ञों ने माना है। हरियाणा पहला ऐसा राज्य है, जिसने कोरोना मरीजों के उपचार के लिए दी जाने वाली कोरोना किट में एलोपैथी दवाओं के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं भी शामिल करने का साहस दिखाया। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। वायुमंडल में मौजूद कोरोना वायरस को नष्ट करने के लिए प्रदेश के गांव-गांव में यज्ञ के वाहन चलाए गए।

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चारों तरफ जगाएंगे योग की अलख

योग आयोग की भावी गतिविधियों के संदर्भ में डा. आर्य ने बताया कि स्कूली पाठ्यक्रमों में योग को शामिल करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। एससीईआरटी के साथ मिलकर आयोग ने एक सिलेबस तैयार किया है, जिसे इसी सत्र से लागू कर दिया जाएगा। हरियाणा देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जहां गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस समारोहों में योग को शामिल किया गया है। इन समारोहों में सूर्य नमस्कार समेत योग की अन्य प्रस्तुतियां निर्धारित कर दी गई हैं। हरियाणा सरकार भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को गौरवपूर्ण स्थान दिलाने के लिए विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रही है। इसके तहत प्रदेश के गावों में एक हजार योगशालाओं के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 1500 करोड़ रुपए आवंटित कर दिए गए हैं। अब तक 528 व्यायामशालाओं का निर्माण पूरा हो चुका है और इनमें योग शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी जून के पहले हफ्ते तक पूरी कर ली जाएगी।


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