आपदा प्रबधंन विभाग पर जिम्मेदारी है कि शहर को आपदा से बचाए, जहां सचिवालय में इनका कार्यालय, वहां लगे है एक्सपायर सिलेंडर
जिले में हर रोज औसतन आग लगने की दो घटनाएं होती हैं। बचाव एक है, खुद जागरूक हों और दूसरों को भी जागरूक करें। यह जिम्मेदारी है, आपदा प्रबंधन विभाग के पास। अब यह विभाग कितनी मुस्तैदी से जिम्मेदारी निभा रहा है इसकी हकीकत हकीकत जानने को जब लघु सचिवालय का दौरा किया गया तो पाया कि ज्यादातर सिलेंडर एक्सपायर हैं। यह वहीं सिलेंडर हैं, जो आग बुझाने के काम में आने हैं।
जागरण संवाददाता, करनाल : जिले में हर रोज औसतन आग लगने की दो घटनाएं होती हैं। बचाव एक है, खुद जागरूक हों और दूसरों को भी जागरूक करें। यह जिम्मेदारी है, आपदा प्रबंधन विभाग के पास। अब यह विभाग कितनी मुस्तैदी से जिम्मेदारी निभा रहा है इसकी हकीकत हकीकत जानने को जब लघु सचिवालय का दौरा किया गया तो पाया कि ज्यादातर सिलेंडर एक्सपायर हैं। यह वहीं सिलेंडर हैं, जो आग बुझाने के काम में आने हैं। आपदा प्रबंधन विभाग पर जिम्मेदारी है कि वह न सिर्फ जिले को आपदा से बचाने की दिशा में काम करें, बल्कि जरूरी इंतजाम भी रखे। क्योंकि आफत कभी बता कर तो आती नहीं। आपदा प्रबंधन विभाग का कार्यालय भी लघु सचिवालय में स्थित है। यहां डीसी, एसपी समेत सभी प्रशासनिक व सीनियर अधिकारी बैठते हैं।
इन दिनों सड़क सुरक्षा सप्ताह चल रहा है। इसके लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में वाहनों को आग से बचाने के लिए चालकों को सिलेंडर रखने और इसके चलाने का तरीका भी सिखाया जा रहा है। लघु सचिवालय के दोनों भवनों में स्थित सरकारी कार्यालयों में 250 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा यहां अपने काम से रोजाना पांच हजार से ज्यादा लोग विजिट करते हैं।
29 नवंबर 2018 को एक्सपायर हो चुके
सचिवालय के ज्यादातर सिलेंडर 29 नवंबर 2018 को एक्सपायर हो चुके हैं। विशेषज्ञों के अनुसार आग बुझाने में दो तरह के सिलेंडर प्रयोग में आते हैं। कार्बन डाईआक्साइड और ड्राइ पाउडर के सिलेंडर को इसलिए समय समय पर जांच जरूरी है, क्योंकि एक वर्ष तक अगर ड्राइ पाउडर सिलेंडर नहीं चलता तो उस पाउडर में गांठ बन जाती है। ऐसा पाउडर एक्सपायर माना जाता है। अगर इसका इस्तेमाल करते हैं, तो गांठ बना पाउडर साइफन भी ब्लॉक करता है और यह आग नहीं बुझा पाता। गैस वाले सिलेंडर में लीक का खतरा बना रहता है। दोनों सिलेंडर साथ रखे जाते हैं, ताकि तुरंत आग बुझाने का काम शुरू हो सके।
इसलिए जरूरी हैं आग बुझाने के सिलेंडर
अचानक आग लगने पर फायर बिग्रेड आने में वक्त लगता है। ऐसे में आग पर तुरंत काबू पाने के लिए सिलेंडर रखने का प्रावधान किया गया है। तीन तरह की आग पर इसके प्रयोग से काबू पाया जा सकता है। लकड़ी और कागज की आग, पेंट, पेट्रोल व स्पिरिट और तीसरी स्पार्किंग से लगी आग व गैस से लगी आग को प्राथमिक स्तर पर रोका जा सकता है। इसे प्रयोग करना बेहद आसान है। थोड़े सी ट्रे¨नग से ही हर कोई इसका इस्तेमाल कर सकता है। यहां तक की सिलेंडर पर इसके प्रयोग की विधि भी लिखी होती है, ऐसे में आपात स्थिति में कोई आम व्यक्ति भी इससे आग बुझा सकता है। यहीं वजह है कि सिलेंडर खासा कारगर माना जाता है।
क्यों बने हैं यह हालात
1. किसी की जिम्मेदारी ही नहीं है.
सचिवालय में स्थित हर अधिकारी यह सोचता है कि आपदा प्रबंधन विभाग अलर्ट है। लेकिन विभाग में कोई किसी को इसकी जिम्मेदारी दी ही नहीं। सिलेंडर बस मॉक ड्रिल के वक्त याद आते हैं। यहीं वजह है कि किसी ने एक्सपायर सिलेंडर की ओर ध्यान नहीं दिया।
2. सुरक्षा हमारे एजेंडे में नहीं हैं.
हम अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी दूसरों के कंधों पर लाद देते हैं। खुद अपनी सुरक्षा का ध्यान नहीं रखते। यदि संबंधित विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा तो हम भी तो असुरक्षित हो रहे हैं। ऐसे में यदि हमें अपनी सुरक्षा से सरोकार है तो खुद भी इस ओर ध्यान देंगे।
3. नियमित जांच का प्रावधान नहीं है.
जिस कंपनी से सिलेंडर लगाए, यदि उसे ही नियमित जांच की जिम्मेदारी भी दे दी जाए तो भी स्थिति में बदलाव किया जा सकता था। दोनों सिलेंडर भरने की लागत मात्र एक हजार रुपए आती है। एक साल बाद एक्सपायर होते हैं।
हमें भी इस ओर ध्यान देना चाहिए
शहर में ऐसे 50 जगह है, जहां हर वक्त आग लगने का अंदेशा बना रहता है। स्कूटर मार्केट, फर्नीचर मार्केट, कपड़ा मार्केट व पेंट की दुकान और जहां भी ट्रांसफार्मर लगे हैं, वह आग लगने की दृष्टि से सबसे ज्यादा संवेदनशील है। ऐसे में वहां के लोगों को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि जिस घर में फ्रिज, टीवी व एसी और गैस है, उन्हें भी न सिर्फ आग बुझाने का सिलेंडर अपने घर में रखना चाहिए, बल्कि उसकी नियमित जांच भी करनी चाहिए। वाहन में भी इस तरह का सिलेंडर रखा जाना चाहिए। यदि यह नहीं है तो इसका चालान भी होता है। आरटीए ने इस संबंध एक साल में स्कूल बस समेत 40 वाहनों के चालान भी किए हैं। जिम्मेवारों के जवाब
फायर आफिसर राम पाल ने बताया कि आग बुझाने के सिलेंडरों की समय पर रिफिल होना जरूरी है। लेकिन लघु सचिवालय के सिलेंडरों की देखरेख उनके जिम्मे नहीं है। किसी भी आपात स्थिति में उन्हें काबू पाने के लिए बुलाया जाता है। इधर, जब जिम्मेवार अधिकारी डीआरओ राजबीर धीमान के पास सिलेंडरों के एक्सपायर होने का कोई जवाब नहीं है।