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लाइब्रेरी की तर्ज पर बनेगा री¨डग लर्निंग कॉर्नर, किताबों के डिस्पले से विद्यार्थियों में पैदा होगी पढ़ने की रूचि

स्कूलों में लाइब्रेरी भी है, किताबें भी हैं। लेकिन फिर भी बच्चे इन्हें पढ़ने में रुचि नहीं दिखाते। धूल फांकती इन किताबों को पढ़ने में विद्यार्थियों की रुचि बढ़े, इसके लिए शिक्षा विभाग ने नया तरीका खोजा है। री¨डग लर्निंग कॉर्नर। यानि एक ऐसी जगह जहां बैठकर विद्यार्थी क्लास के सब्जेक्ट के अलावा अन्य किताबें भी पढ़ेंगे। जिले के सभी सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरी की तर्ज पर यह कॉर्नर स्थापित किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि यहां पर किताबों का डिस्पले ही बच्चों को पढ़ने के लिए आकर्षित करेगा। इससे उनमें पढ़ने की जिज्ञासा भी उत्पन्न होगी। करनाल में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जा रहा है। यहां सफलता मिलने के बाद विभाग इस व्यवस्था को अन्य जिलों में भी लागू करेगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 08:43 AM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 08:43 AM (IST)
लाइब्रेरी की तर्ज पर बनेगा री¨डग लर्निंग कॉर्नर, किताबों के डिस्पले से विद्यार्थियों में पैदा होगी पढ़ने की रूचि
लाइब्रेरी की तर्ज पर बनेगा री¨डग लर्निंग कॉर्नर, किताबों के डिस्पले से विद्यार्थियों में पैदा होगी पढ़ने की रूचि

जागरण संवाददाता, करनाल : स्कूलों में लाइब्रेरी भी है, किताबें भी हैं। लेकिन फिर भी बच्चे इन्हें पढ़ने में रुचि नहीं दिखाते। धूल फांकती इन किताबों को पढ़ने में विद्यार्थियों की रुचि बढ़े, इसके लिए शिक्षा विभाग ने नया तरीका खोजा है। री¨डग लर्निंग कॉर्नर। यानि एक ऐसी जगह जहां बैठकर विद्यार्थी क्लास के सब्जेक्ट के अलावा अन्य किताबें भी पढ़ेंगे। जिले के सभी सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरी की तर्ज पर यह कॉर्नर स्थापित किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि यहां पर किताबों का डिस्पले ही बच्चों को पढ़ने के लिए आकर्षित करेगा। इससे उनमें पढ़ने की जिज्ञासा भी उत्पन्न होगी। करनाल में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जा रहा है। यहां सफलता मिलने के बाद विभाग इस व्यवस्था को अन्य जिलों में भी लागू करेगा।

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सीनियर विद्यार्थी करेंगे लर्निंग कॉर्नर की मॉनीट¨रग

हर स्कूल में इस तरह की व्यवस्था लागू हो, इसके लिए प्रशासन की ओर से कलस्टर स्तर पर सभी एबीआरसी और बीआरसी को इस प्रोजेक्ट का नोडल अधिकारी बनाया गया है। वे यहां की जरूरतों को भी पूरा करेंगे। वहीं इस प्रोजेक्ट में सीनियर विद्यार्थी ही स्कूल स्तर पर मॉनीट¨रग करेंगे। बुक्स इश्यू करने से लेकर वापस लेने व पढ़ने लायक माहौल बनाए रखने की पूरी जिम्मेवारी विद्यार्थियों की ही रहेगी।

लाइब्रेरी से ऐसे अलग है लर्निंग कॉर्नर

लाइब्रेरी की तरह री¨डग लर्निंग कॉर्नर भी स्कूलों के एक कमरे में बनेगा। लेकिन यहां लाइब्रेरी की तरह किताबों को अलमारी में रखने के बजाय टेबल पर सजाकर रखा जाएगा। इसके अलावा दीवारों पर मोटे धागों के सहारे इन्हें इस तरीके से लटकाया जाएगा कि बच्चे इनका कवर आसानी से देख सकेंगे। एक लाइन में चु¨नदा किताबें ही रखी होंगी।

सीएमजीजीए साक्षी श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चों में पढ़ने की रूचि पैदा करना ही इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य है।

बच्चों की लेवल के अनुसार होंगी किताबें

री¨डग लर्निंग कॉर्नर हॉल में बच्चों की लेवल के अनुसार ही अलग-अलग टेबल पर किताबें लगाई जाएंगी। वहीं ऐसी व्यवस्था भी की जा रही है कि खाली पीरियड में पहली से 12वीं क्लास तक के हर बच्चे को यहां आने का मौका मिले।

23 को गोंदर के सरकारी स्कूल में कार्यक्रम कर करेंगे लॉ¨चग : एडीसी

एडीसी निशांत कुमार यादव ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की लां¨चग 23 फरवरी को गोंदर के सरकारी स्कूल से की जाएगी। री¨डग लर्निंग कार्नर में हर स्तर के बच्चे के लिए किताबें उपलब्ध होंगी। किताबों के लिए हर स्कूल पर करीब 10 हजार रुपये की ग्रांट रखी गई है।


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