खाने ने छुड़ाए खिलाड़ियों के पसीने, व्यवस्था पड़ी कमजोर
जागरण संवाददाता करनाल खेलो हरियाणा की शुरुआत पहले ही दिन लेटलतीफी से हुई। अधिकाि
जागरण संवाददाता, करनाल : खेलो हरियाणा की शुरुआत पहले ही दिन लेटलतीफी से हुई। अधिकारियों की कमजोर व्यवस्था एक बार फिर खिलाड़ियों पर भारी पड़ी। लगभग 1500 खिलाड़ियों के संख्या के मुकाबले व्यवस्था कमजोर दिखाई दी। खेल विभाग ने करीब ढाई करोड़ रुपये का फेसिलिटी सेंटर बनाया है, बावजूद खाने की व्यवस्था खुले में करवा दी गई। स्वच्छ पेयजल को तरसते खिलाड़ी जब खाने के स्टाल पर गए तो वहां पर धूप में थाली परोसते दिखाई दिए। गर्मी और उमस के कारण खिलाड़ी पांच मिनट भी अपनी थाली के साथ तपते आसमान के नीचे खड़े नहीं हो सके। किसी तरह दो चपाती खाकर खिलाड़ी ठंडी छांव की तलाश में इधर-उधर भटकते दिखाई दिए।
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किस काम का करोड़ों रुपये फेसिलिटी सेंटर..
प्रदेश सरकार की ओर से खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम में करीब ढाई करोड़ रुपये का फेसिलिटी सेंटर का निर्माण किया गया। निर्माण से पहले खेल अधिकारियों की ओर से इस सुविधा केंद्र में खिलाड़ियों को इनडोर सहूलियत देने के दावे किए जा रहे थे। आज जब प्रदेश स्तर के मुकाबले हुए तो खिलाड़ियों के पास बैठने तक की जगह नहीं थी। खिलाड़ियों को टैंट में प्लेट परोसने के बाद खाने के लिए छांव में बैठने तक की जगह उपलब्ध नहीं करवाई गई।
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मजबूरी ने लगाया प्रशिक्षकों की जुबां पर ताला
व्यवस्था के नाम पर अधिकारियों की प्रशिक्षकों की मीटिग के बाद से जिले के प्रशिक्षकों की जुबां पर ताला लग गया। खिलाड़ियों के साथ मुकाबलों में पहुंचे अधिकतर प्रशिक्षक अपने साथियों सहित व्यवस्था को कोसते दिखाई दिए। एक प्रशिक्षक ने बताया कि सुबह 9 बजे खेलों की शुरुआत का समय दिया गया था, लेकिन 11 बजे तक शुरुआत नहीं की गई। अगर सुबह समय से मुकाबले होते तो अब तक टीमें अपना प्रदर्शन कर चुकी होती। खिलाड़ियों को 9 बजे धूप में खड़ा कर दिया गया, जोकि 10.30 बजे तक खड़े रहे। हालात ऐसे थे कि इंतजार में खड़े खिलाड़ियों को पानी पीने की भी इजाजत नहीं दी गई। जिसके चलते कई खिलाड़ी मुकाबलों से पहले ही थकान महसूस करने लग गए।
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खाने का मेन्यू बेश्क पौष्टिक लेकिन खाएं कैसे..
खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों की मजबूरी ऐसी थी कि वे खुल कर बोलने को तैयार नहीं थे। खिलाड़ियों का कहना था कि प्रशिक्षकों ने किसी से बात करने के लिए मना किया है। बावजूद दबी जुबां में खिलाड़ियों ने बताया कि खुले में खाना परोस दिया गया, लेकिन व्यवस्था बनाने वाला एक भी अधिकारी यहां खाना खाता हुआ नहीं दिखाई दिया। इसी तरह प्रशिक्षकों का भी यही जवाब था कि स्टेडियम में स्केटिग, बाक्सिग, तलवारबाजी के हाल में काफी जगह थी, लेकिन मेहमानों को धूप व गर्मी में खाना खाने के लिए छोड़ दिया। अब ऐसे हालात में उनकी मजबूरी है कि वे खुल कर व्यवस्था पर सवाल भी नहीं उठा सकते हैं।