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लापरवाही : अप्रेंटिस ने बदला बस का टायर, 25 किमी चलते ही निकल गया, 60 यात्रियों की बची जान

रोडवेज विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। करनाल से कैथल जा रही रोडवेज की बस निसिग के समीप पहुंची तो पिछला टायर निकलकर खेतों में जा गिरा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Aug 2019 08:28 AM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2019 08:28 AM (IST)
लापरवाही : अप्रेंटिस ने बदला बस का टायर, 25 किमी चलते ही निकल गया, 60 यात्रियों की बची जान
लापरवाही : अप्रेंटिस ने बदला बस का टायर, 25 किमी चलते ही निकल गया, 60 यात्रियों की बची जान

जागरण संवाददाता, करनाल : रोडवेज विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। करनाल से कैथल जा रही रोडवेज की बस निसिग के समीप पहुंची तो पिछला टायर निकलकर खेतों में जा गिरा। चालक की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया। बस में करीब 60 यात्री सवार थे। टायर निकलने के बाद बस अनियंत्रित हुई, लेकिन स्पीड कम होने के कारण स्थिति पर काबू कर लिया गया। यात्रियों को सुरक्षित उतारा गया और दूसरी बस से भेजा गया। मामले की छानबीन की तो रोडवेज की लापरवाही निकलकर सामने आई।

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बस नंबर एचआर-45-बी6-102 का पिछला टायर पंक्चर था। बस जब वर्कशॉप में पहुंची तो उसका टायर अप्रेंटिस पर काम कर रहे युवक ने बदला। टायर के ढीले छोड़ दिए गए। इसके बाद यहां से बस को रवाना कर दिया गया। टायर बदले जाने के बाद मैकेनिक या फोरमैन ने चेक नहीं किया। बस स्टैंड से करीब 60 यात्रियों को लेकर बस कैथल के लिए रवाना हो गई। निसिग के पास जाते ही टायर निकलकर धान के खेतों में जा गिरा।

बड़ा सवाल- अनट्रेंड हाथों में कैसे सौंप दी बस को ओके करने की कमान

हादसे के बाद रोडवेज अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला सवाल यह कि अप्रेंटिस को बस के स्पेयर पार्ट या टायर बदलने की जिम्मेदारी कैसे सौंप दी गई। अप्रेंटिस ने यदि सहायक के तौर पर काम भी किया है तो काम होने के बाद फाइनल रूप से चेक क्यों नहीं किया गया। मैकेनिक या फोरमैन ने भी बस को वैसे ही रूट पर भेज दिया। हादसा होता तो उसके लिए जिम्मेदारी किसकी थी।

वर्कशॉप का काम पहले भी सवालों के घेरे में रहा

स्पेयर पार्ट की कमी का हवाला देकर बसों की रिपेयर सही तरीके से नहीं की जा रही है। मरम्मत ठीक नहीं होने के कारण औसत चार से पांच बसें बीच रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं। जिसको क्रेन से उठाकर लाना पड़ता है। अधिकारी स्पेयर पार्ट नहीं होने का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।

यह है डिपो की हालत

करनाल डिपो में कई ऐसी बसे हैं, जो कंडम हालत में भी दौड़ रही हैं। बसें ठीक नहीं होने के कारण कई बार बीच सड़क पर ही रुक जाती हैं, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वर्जन

अप्रेंटिस ने टायर बदला था। मशीन से नट चेक नहीं किए गए। ड्राइवर ने भी यह चेक नहीं किया कि टायर के नट टाइट हुए हैं या नहीं। इस बारे में अप्रेंटिस को चेतावनी दी गई है।

-बालक राम डबवाल, वर्कशॉप मैनेजर, रोडवेज डिपो, करनाल।


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