--आतंकवादियों को लग गई थी भनक, तीन ओर से फाय¨रग के बाद भी नहीं घबराए बलजीत
फरवरी की रात को कश्मीर के पुलवामा जिले में खून जमा देने वाली ठंड पड़ रही थी। रात को 50 राष्ट्रीय राइफल के कमां¨डग आफिसर कर्नल समर राघव को सूचना मिली कि जिले के रत्नीपोरा गांव में तीन आतंकवादी छिपे हैं। कर्नल ने तुरंत इस सूचना की गंभीरता समझी और हलवदार बलजीत ¨सह के पास सूचना पहुंचाई।
जागरण संवाददाता, करनाल : 12 फरवरी की रात को कश्मीर के पुलवामा जिले में खून जमा देने वाली ठंड पड़ रही थी। रात को 50 राष्ट्रीय राइफल के कमां¨डग आफिसर कर्नल समर राघव को सूचना मिली कि जिले के रत्नीपोरा गांव में तीन आतंकवादी छिपे हैं। कर्नल ने तुरंत इस सूचना की गंभीरता समझी और हलवदार बलजीत ¨सह के पास सूचना पहुंचाई। उन्हें जिम्मेदारी दी गई कि वह गांव में जाकर तीनों आतंकवादियों का रात में ही सफाया कर दें। बलजीत ¨सह को जैसे आदेश मिलने की ही देरी थी। वह इस तरह के आपरेशन के लिए 24 घंटे तैयार रहते थे। उन्होंने 10 जवानों की टीम तैयार की और गांव की ओर निकल गए। आतंकवादियों को भी सेना के आने की सूचना शायद पहले ही थी। लिहाजा आतंकवादी भी घात लगाकर बैठ गए। रात दो बजे गांव के मुख्य रास्ते से बलजीत ¨सह अपनी टीम के साथ आगे बढ़े। गांव के बाहर पहुंचते ही उन्होंने अपनी गाड़ियों को किनारे पर खड़ा कर दिया। अभी जवान कोई रणनीति बनाते, उससे पहले ही एक ओर से आतंकवादी ने फाय¨रग शुरू कर दी। इसके बाद देखते ही देखते दो और जगहों से फाय¨रग शुरू हो गई। सेना के जवान संभले और बलजीत की ओर देखा। ताकि आगामी आदेश मिल सके। तीन तरफ से फाय¨रग हो रही थी। बलजीत इस तरह के आपरेशन के पुराने माहिर थे। उन्होंने तुरंत गांव की घेराबंदी के आदेश दिए और उस जगह की ओर चल दिए जहां आतंकवादी थे। आतंकवादी तीन अलग अलग मकानों में छिपे थे। जिन मकानों में वह थे, वहां कोई और नहीं था। आहिस्ता आहिस्ता उस एक मकान तक पहुंच गए, जहां आतंकवादी छिपा था। बलजीत ने इस आतंकवादी से लोहा लेना शुरू कर दिया बलजीत के निशाने से आतंकवादी हिजबल मुजाहिद्दीन का आतंकवादी हिलाल अहमद रादन बच नहीं पाया और वही ढेर हो गया। जहां आतंकवादी मारा गया, वहां कोई आतंकवादी होने की संभावना के चलते आग लगा दी गई। जनवरी में भी तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा था
बलजीत ने जनवरी में भी तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा था। उस समय भी सीओ कर्नल समर राघव ने बलजीत ¨सह को तीन आतंकवादियों का सफाया करने
की जिम्मेदारी सौंपी थी। पुलवामा जिले के काकापुरा में बलजीत ने 10 साथियों के साथ आपरेशन को सफलता के साथ अंजाम दिया था। बलजीत ¨सह की बहादुरी को देखते हुए उनका नाम सेना मेडल के लिए भिजवाया जा चुका था। फोटो---67 नंबर है।
बलजीत ने सूझबूझ व बहादुरी से चलाया आपरेशन
50 राष्ट्रीय राइफल के नायब सूबेदार पीसी पिल्लई ¨डगर माजरा गांव में बलजीत ¨सह की अंतिम यात्रा में शामिल होने आए पिल्लई ने बताया कि रात के समय गांव में करीब डेढ़ से दो फीट बर्फ भी थी। ऐसे में आपरेशन चलाना आसान नहीं था। लेकिन बलजीत ने बेहद सूझबूझ से काम लिया और एक आतंकवादी को मार गिराया। एक आतंकवादी के मरने के बाद बाकी दो आतंकवादी अंधाधुंध फाय¨रग करते हुए भागने लगे। इस फाय¨रग में बलजीत को दो गोलियां लगी। उनके साथ एक और जवान भी गोली लगने से शहीद हो गया। फोटो---66 नंबर है।
हमेशा याद रहेगी बलजीत की बहादुरी-योग
50 राष्ट्रीय राइफल के लांस नायक योगेश चौधरी ने बताया कि वह बलजीत ¨सह के बेहद नजदीकी रहे हैं। वह बहुत ही बहादुर और जाबांज थे। दुश्मन का पता लगते ही वह उसे खत्म करने में विश्वास रखते थे। उनकी बहादुरी को हमेशा याद रखा जाएगा।