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अपने को एनडीआरआइ प्रोडक्शन यूनिट का इंचार्ज बता फार्मूला बेचता था सुरेंद्र सिंह

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के टेक्नीशियन सुरेंद्र सिंह द्वारा नकली डेयरी प्रोडक्ट बनाने का फार्मूला बेचने के मामले में संस्थान ने जांच का दायरा बढ़ाया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 09:11 AM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 09:11 AM (IST)
अपने को एनडीआरआइ प्रोडक्शन यूनिट का इंचार्ज बता फार्मूला बेचता था सुरेंद्र सिंह
अपने को एनडीआरआइ प्रोडक्शन यूनिट का इंचार्ज बता फार्मूला बेचता था सुरेंद्र सिंह

जागरण संवाददाता, करनाल : राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के टेक्नीशियन सुरेंद्र सिंह द्वारा नकली डेयरी प्रोडक्ट बनाने का फार्मूला बेचने के मामले में संस्थान ने जांच का दायरा बढ़ाया है। छानबीन में यह बात सामने आई है कि सुरेंद्र सिंह जिन लोगों से फार्मूला बेचने की डील करता था उनसे अपने आपको प्रोडक्शन यूनिट का इंचार्ज बताता था, ताकि उन्हें भरोसा हो जाए कि वह ऊंचे पद पर है। एनडीआरआइ की विश्वसनीयता का फायदा उठाते हुए सुरेंद्र सिंह अक्सर प्रोडक्शन यूनिट में बुलाता था और उनको विश्वास में लेता था। सुरेंद्र सिंह के सस्पेंड होने के बाद संस्थान की तरफ से उनके सहयोगी रहे कर्मचारियों से भी विस्तार से पूछताछ की गई है। संस्थान की तरफ से यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि उनके इस गौरख धंधे में कोई ओर कर्मचारी तो संलिप्त नहीं है। फिलहाल आरोपित भूमिगत है। वैज्ञानिकों के साथ रहकर सीख गया फार्मूला

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टेक्नीशियन सुरेंद्र सिंह करीब 20 साल से एनडीआरआइ में काम करता था। फार्मूला बेचने का गौरखधंधा कब से उसने शुरू किया यह अभी जांच का विषय है, लेकिन उसने 100 से अधिक लोगों को नकली दूध, मावा व पनीर बनाने की ट्रेनिग जरूर दे दी। वैज्ञानिकों के बीच रहते हुए सुरेंद्र सिंह नकली डेयरी प्रोडक्ट बनाने का फार्मूला सीख गया। हालांकि वैज्ञानिकों ने जो एक्सपेरिमेंट किए वह दूध में मिलावट का कैसे पता लगाया जाए इस दिशा में काम किया, लेकिन सुरेंद्र सिंह ने अपना शातिर दिमाग इस्तेमाल कर फार्मूले को अपनी आय का जरिया बना लिया। किसी को भनक ना लगे, इसलिए एनडीआरआइ परिसर में नहीं दी ट्रेनिग

सुरेंद्र सिंह इतना शातिर था कि नकली दूध व अन्य प्रोडक्ट बनाने का जो फार्मूला वह जानता था उसे कभी भी एनडीआरआइ परिसर में उन लोगों के समक्ष नहीं किया जो फार्मूला खरीदने वाले होते थे। किसी को शक ना हो वह छुट्टी होने के बाद या फिर ऐसे किसी फ्री टाइम में जब उनके पास काम कम होता था वह करनाल में ही एक अज्ञात जगह पर ट्रेनिग देता था। एक विजिट की फीस 30 हजार रुपये तक निर्धारित की हुई थी। एजेंटों की भी होती थी हिस्सेदारी

जिस एजेंट के माध्यम से नकली प्रोडक्ट बनाने के फार्मूले की खरीद फरोख्त होती थी उसको डील मैच्योर होने के बाद हिस्सा जाता था। यह एक लंबी चेन काम कर रही है। हरियाणा के मेवात जिले के पुन्हाना, यमुनानगर के जगाधरी व मेरठ सरधाना सुरेंद्र सिंह के मुख्य अड्डे के तौर पर काम करते थे। इन्हीं जगहों से संबंधित लोगों को सुरेंद्र सिंह तक पहुंचने की कड़ी मिलती थी। यह एजेंट नकली प्रोडक्ट बनाने के लिए जो केमिकल इस्तेमाल में लाए जाते थे वह गुपचुप तरीके से देते थे, जिसको एनडीआरआइ का टेक्नीशियन फार्मूले बताने के लिए इस्तेमाल करता रहा।


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