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50 वर्ष पुरानी मांग, फिर भी आधा-अधूरा झूल रहा पश्चिमी यमुना नहर का पुल

सांतड़ी के ग्रामीण वर्षो से गांव में विकास की बाट जो रहे हैं। सरकार की सौगातें केवल घोषणाओं तक सीमित रह गई। गांव में न तो पीने का साफ पानी है और न ही निकासी का प्रबंध है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 09:14 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 06:49 AM (IST)
50 वर्ष पुरानी मांग, फिर भी आधा-अधूरा झूल रहा पश्चिमी यमुना नहर का पुल
50 वर्ष पुरानी मांग, फिर भी आधा-अधूरा झूल रहा पश्चिमी यमुना नहर का पुल

संवाद सहयोगी, इंद्री : सांतड़ी के ग्रामीण वर्षो से गांव में विकास की बाट जो रहे हैं। सरकार की सौगातें केवल घोषणाओं तक सीमित रह गई। गांव में न तो पीने का साफ पानी है और न ही निकासी का प्रबंध है। ग्रामीणों का कहना है कि कभी कोई नेता यहां 24 घंटे बीताकर देख ले, उसे पता चल जाएगा कि हम कैसा जीवन जी रहे हैं।

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पाठशाला को अपग्रेड करवाने, शुद्ध पेयजल, पैलेस में फर्श डलवाने, दूषित पानी की निकासी के लिए गांव में सीवर लाइन बिछाने, सांतड़ी से पटहेड़ा तक सड़क निर्माण आदि की मांग ग्रामीण लंबे समय से कर रहे हैं। नेता हो या अधिकारी सभी आश्वासन तो देते हैं, लेकिन काम कोई नहीं करता। पश्चिमी यमुना नहर पर पुल बनवाने की 50 साल पुरानी मांग अधूरी पड़ी है। दैनिक जागरण संवाद सहयोगी नरेंद्र धूमसी ने जब ग्रामीणों से बात तो उनका दर्द छलक उठा। इतिहास

ग्रामीणों का कहना है कि कभी गांव में संतों की संख्या बहुत ज्यादा थी। इसलिए गांव का नाम सांतड़ी पड़ा। यह करनाल-यमुनानगर स्टेट हाईवे से करीब एक-डेढ किलोमीटर दूर है। गांव के समीप से पश्चिमी यमुना नदी बहती है। गांव में देवी मंदिर, शिव, राधा-कृष्ण, हनुमान मंदिर व गोगामाड़ी है। यहां विशाल मेला भी लगता है। धार्मिक आयोजनों में दूसरे क्षेत्रों से भी श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते हैं।

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कब पूरा होगा सपना

ग्रामीणों का कहना है कि गांव के किसानों की जमीन पश्चिमी यमुना नहर के दूसरी तरफ लगती है। उन्हें इंद्री या जैनपुर साधान पुल से होकर खेतों में जाना पड़ता है। ग्रामीण काफी समय से यहां पुल बनाने की मांग कर रहे हैं। किसी तरह पुल बनवाने का काम तो शुरू हो गया था, लेकिन अब काफी समय से रुका पड़ा है। ग्रामीणों का कहना है कि हमारा ये सपना पूरा भी होगा या नहीं।

दूषित पेयजल की सप्लाई

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दर्शनलाल ने कहा कि गांव में कई महीनों से दूषित पानी की सप्लाई हो रही है। साफ पानी के लिए काफी दूर जाना पड़ता है। दूषित पानी पीकर लोग बीमार हो रहे हैं। संबंधित अधिकारियों से बात करते हैं तो सिर्फ आश्वासन मिलता है। नेता वोट मांगने तो आते हैं, लेकिन हमारी समस्याओं पर कभी ध्यान नहीं देते। पैलेस में नहीं सुविधाएं

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नाथीराम ने कहा कि गांव में बने पैलेस के अंदर फर्श बनाया जाना चाहिए। ग्रामीण पैलेस को सार्वजनिक कामों के लिए प्रयोग करते हैं, लेकिन इसमें निर्माण अब तक अधूरा है। जिससे भी बात करते हैं तो एक ही जवाब मिलता है, जल्द काम पूरा करा देंगे। समय कोई नहीं बताता। इसकी स्थिति को सुधारा जाए। स्कूल अपग्रेड हो

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प्रमाल सिंह ने कहा कि उनके गांव में राजकीय प्राथमिक पाठशाला है। पांचवीं कक्षा के बाद बच्चे दूसरे गांवों के स्कूलों या शहर में पढ़ने के लिए जाते हैं। यदि गांव का स्कूल अपग्रेड होकर 8वीं या 10वीं कक्षा का हो जाए तो गांव के बच्चे यही पढ़ सकेंगे। मंत्री के सामने भी मांग रखी थी, पर कुछ नहीं हुआ। सरपंच नहीं कराता सफाई

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आंगनबाड़ी हेल्पर संगीता ने कहा कि केंद्र में अपने स्तर पर ही साफ-सफाई करवाते हैं। यहां की सफाई के लिए ग्राम पंचायत से कहते हैं तो सरपंच कभी जवाब नहीं देते। सरपंच द्वारा पंचायत लेवल पर आंगनबाड़ी केंद्र व इसके आसपास साफ-सफाई करवानी चाहिए। गंदगी से छुटकारा नहीं

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ग्रामीण अरविद कुमार ने कहा कि गांव में यूं तो कई समस्याएं हैं, लेकिन गंदे पानी की निकासी न होने से अधिक परेशानी होती है। गलियों में गंदा पानी बहता रहता है, इससे बीमारी फैलने का डर बना रहता है। गांव में सीवर लाइन बिछनी चाहिए, ताकि गंदगी से छुटकारा मिल सके। सरपंच को भी बोला है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। विकास के लिए ग्रांट जरूरी

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सरपंच विनोद कुमार ने कहा कि पीने के पानी की समस्या काफी दिनों से है। संबंधित विभाग द्वारा नया बोर लगाया जा रहा है। जल्द ही ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मिल जाएगा। ग्राम पंचायत की सालाना आमदनी करीब 10 लाख रुपये है। पंचायत ने अपने स्तर पर गांव में काफी विकास कराया है। सार्वजनिक भवन, पार्क के साथ-साथ गलियों व नालियों का निर्माण भी कराया है।


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