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स्टेट ऑडिट टीम ने जांचे टिकट, नहीं मिला फर्जीवाड़ा, जीएम का तबादला

रोडवेज के टिकट घोटाले में स्टेट ऑडिट टीम करनाल पहुंची और टिकटों की जांच की। सभी टिकट सही मिले।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Jun 2019 06:49 AM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 06:49 AM (IST)
स्टेट ऑडिट टीम ने जांचे टिकट, नहीं मिला फर्जीवाड़ा, जीएम का तबादला
स्टेट ऑडिट टीम ने जांचे टिकट, नहीं मिला फर्जीवाड़ा, जीएम का तबादला

जागरण संवाददाता, करनाल : रोडवेज में टिकट फर्जीवाड़े के बाद मंगलवार को स्टेट ऑडिट टीम डिपो पहुंची। टीम ने दिनभर टिकटों 54 लाख टिकटों को वेरिफाई किया। जांच के दौरान सभी में सीरियल नंबर अंकित मिले। कॉपी की काउंटिग पूरी होने के बाद जांच टीम ने दैनिक जागरण को बताया कि कुछ टिकटों में मिस प्रिटिग जरूर पाई गई हैं, लेकिन ऐसी कोई भी बात सामने नहीं आई है, जिसमें सीरियल नंबर नहीं होने की बात कही जा रही थी। स्टेट ऑडिट टीम में कैथल से अकाउंट ऑफिसर रवि कुमार, सोनीपत से विनोद जैन, सोनीपत से सेक्शन ऑफिसर मुकेश कुमार और चंडीगढ़ से गुरप्रीत शामिल रहे। उधर, सरकार ने जीएम अश्विनी डोगरा का ट्रांसफर कर दिया है। रविंद्र पाठक को नया जीएम लगाया गया है। मामले में गठित की गई जांच टीम के अध्यक्ष राजकुमार कौशल ने कहा कि फर्जीवाड़े जैसा कोई मामला नहीं है। हमने रिपोर्ट बनाकर पहले ही मुख्यालय को जमा करा दी है। रोडवेज में पहुंची स्टेट ऑडिट टीम के बाद अधिकारियों में भी खलबली मची रही।

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टिकट फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद जीएम अश्विनी डोगरा को पक्ष रखने के लिए मुख्यालय बुलाया गया था, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए थे। बताया जा रहा है कि अन्य कई मामलों में भी उनकी कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में थी, जिसको लेकर यह कार्रवाई हुई है। रविद्र पाठक ने मंगलवार को दोपहर बाद कार्यभार संभाल लिया है। वह वर्ष 2016 में भी यहां जीएम रह चुके हैं। यह है मामला

16 अक्टूबर से 2 नवंबर 2018 तक रोडवेज के कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की थी। ऐसे में स्थानीय अधिकारियों ने प्रशिक्षण, आउटसोर्सिंग पर लगे स्टाफ को कंडक्टर का काम सौंपा। इनको रोडवेज के टिकट इसलिए नहीं दे पाए कि ऑनलाइन सिस्टम में परमानेंट कर्मचारियों के नाम से ही टिकट इश्यू होती हैं। बुकिग ब्रांच ने रोडवेज टिकटों को जारी नहीं किया। ऐसे में स्थानीय अधिकारियों ने लोकल स्तर पर टिकटों को छपवाया। 18 अक्टूबर से 27 अक्टूबर तक स्थानीय प्रिटिग मशीन से लगभग 80 हजार रुपये में करीब 94 लाख रुपये की कीमत के टिकट छपवाए। इनमें से 57 लाख रुपये मुख्यालय को जमा करा दिए थे, बाकी टिकट नहीं मिलने पर सवाल खड़े हो गए थे। 57 लाख रुपये के टिकट कबाड़ से भरे स्टोर में किसने रखे, अभी भी जांच टीम इसका पता नहीं लगा पाई। कुछ कर्मचारी नेता दबाव बनाने का कर रहे प्रयास

स्टेट ऑडिट टीम की छानबीन में लगभग तय हो गया है कि इस मामले को कुछ कर्मचारी नेताओं द्वारा जान बूझकर तूल दिया जा रहा है। ऑडिट टीम ने भी छानबीन कर ली है। जांच टीम ने अपनी डिटेल मुख्यालय को भेज दी है। कुछ कर्मचारी नेता दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

मुख्यालय के आदेश पर गठित की गई थी छह सदस्य टीम

इस मामले में परिवहन मुख्यालय की ओर से राजकुमार कौशल की अध्यक्षता में टीम गठित की गई थी। जिसमें उनके अलावा वर्कशॉप मैनेजर बालक राम, एसपीओ सुखदेव, अनिल पोसवाल, टीएसआइ अशोक कुमार, टीआइ रोहताश शामिल हैं। वर्जन

अभी तक की जांच में टिकटों में फर्जीवाड़ा सामने नहीं आया है। आज स्टेट ऑडिट टीम पहुंची थी, उन्होंने टिकटों की कॉपी की काउंटिग की थी, जो पूरी मिली।

राजकुमार कौशल, अध्यक्ष, जांच टीम।

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