घायल पिता को बचाने की कोशिश में लगा रहा बेटा, एंबुलेंस नहीं मिली तो पुलिस गाड़ी में अस्पताल पहुंचाया
जागरण संवाददाता करनाल : हादसे में गंभीर रूप से घायल बलबीर को बचाने के लिए बेटे धर्मेंद्र ने हर संभव
जागरण संवाददाता करनाल : हादसे में गंभीर रूप से घायल बलबीर को बचाने के लिए बेटे धर्मेंद्र ने हर संभव कोशिश की, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिला। इस वजह से बेटे की सारी कोशिश बेकार गई। कुंजपुरा निवासी धर्मेंद्र ने कहा कि यदि समय पर इलाज मिल जाता तो उसका पिता बच सकता था।
धर्मेंद्र अपने पिता बलबीर 47 के साथ कुंजपुरा रोड से पैदल ही घर की ओर आ रहे थे। पिता थोड़ा आगे चल रहे थे। इसी दौरान तेज रफ्तार कार ने पिता को चपेट में ले लिया। हादसे में बलबीर गंभीर रूप से घायल हो गए। धर्मेंद्र तुरंत स्थानीय अस्पताल ले आया। यहां सिर्फ एक नर्स थीं। प्राथमिक उपचार देते हुए घायल को ट्रामा सेंटर में रेफर कर दिया। नहीं पहुंची एंबुलेंस, इधर बिगड़ती गई हालत
धर्मेंद्र ने बताया कि उसके पास कोई साधन नहीं था, इसलिए उसने तुरंत ही एंबुलेंस को कॉल कर दी। काफी देर तक इंतजार के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। इधर, उसके पिता की हालत तेजी से बिगड़ रही थी। वह कुछ भी करने की स्थिति में नहीं था। इसी बीच मौके पर पुलिस पहुंची। तब उन्होंने घायल को पुलिस वाहन में अस्पताल पहुंचाया। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। उसका पिता इलाज में देरी की वजह से दम तोड़ गया। कम से कम इमरजेंसी में तो एंबुलेस मिलना चाहिए
धर्मेंद्र ने कहा कि यदि समय पर एंबुलेंस मिल जाती तो उसके पिता को समय पर इलाज मिल जाता। इससे उसकी जान बच सकती थी। उसकी मांग है कि ग्रामीण इलाकों में एंबुलेंस समय पर पहुंचे, इसके लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। इमरजेंसी के लिए कुछ अलग से इंतजाम होना ही चाहिए। मदद देने की रहती कोशिश : गोपाल
इधर एंबुलेंस फ्लीट मैनेजर गोपाल शर्मा ने बताया कि हमारी हर संभव यहीं कोशिश रहती है कि आपात स्थिति में तेजी से मदद मिले। ग्रामीण इलाकों में एंबुलेंस कम है, इसलिए कई बार समय पर वाहन नहीं मिल पाता। कई बार होता यह है कि यदि एक कॉल पर गाड़ी चली गई और इसी बीच दूसरी कॉल आ गई तो पहले जहां गाड़ी गई, उसे वापस नहीं बुलवा सकते। इसलिए भी कई बार दिक्कत आ जाती है। फिर भी इस मामले में देखेंगे कि किस लेवल पर क्या दिक्कत रही? चिकित्सकों की कमी : डॉ. रमेश
सिविल सर्जन डॉ. रमेश कुमार ने कहा कि हमारे पास चिकित्सकों की कमी है, पीएचसी स्तर पर कई जगह डॉक्टर नहीं हैं। कई जगह डेंटल सर्जन काम चला रहे हैं। चिकित्सकों की कमी के बारे में मुख्यालय को लिखा गया है। पीएचसी में केवल फर्स्ट एड मिल सकती है, यहां से जीएच में रेफर किया जाता है।