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अंबाला में जहाज उड़ते देखे और लक्ष्य साधा तो बने एयर वाइस मार्शल

तय लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जज्बे के साथ कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता दूर नहीं रहती। यही मिसाल पेश की है पलवल के छज्जुनगर गांव के रहने वाले लक्ष्मीनारायण शर्मा ने।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 08:30 AM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 08:30 AM (IST)
अंबाला में जहाज उड़ते देखे और लक्ष्य साधा तो बने एयर वाइस मार्शल
अंबाला में जहाज उड़ते देखे और लक्ष्य साधा तो बने एयर वाइस मार्शल

सेवा सिंह, करनाल

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तय लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जज्बे के साथ कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता दूर नहीं रहती। यही मिसाल पेश की है, पलवल के छज्जुनगर गांव के रहने वाले लक्ष्मीनारायण शर्मा ने। वह कभी स्कूली शिक्षा हासिल करने के लिए पांच किलोमीटर तक का सफर गर्मी, सर्दी और बारिश के मौसम में भी तय करते थे और आज भारतीय वायुसेना में एयर वाइस मार्शल हैं। 26 जनवरी को ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने उन्हें सेना में सराहनीय कार्य करने पर अति विशिष्ट मेडल से सम्मानित किया है। शनिवार को उन्हें यहां विभिन्न सामाजिक, शैक्षणिक और धार्मिक संस्थाओं ने सम्मानित किया। इसी दौरान उन्होंने जागरण से बातचीत की।

उड़ते जहाज देख बनाया लक्ष्य

एलएन शर्मा ने बताया कि पांचवीं कक्षा तक उन्होंने अपने गांव के ही स्कूल में शिक्षा ली, जिसके बाद छठी से 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए पांच किलोमीटर दूर अमावत गांव स्थित स्कूल में पैदल ही जाना पड़ता था। बाद में उन्होंने साइकिल से भी सफर किया। इसके बाद उन्होंने अंबाला कैंट स्थित एसडी कॉलेज में दाखिला लिया। सामने एयरफोर्स स्टेशन से हर समय उड़ते जहाजों को वे निहारते रहते थे। नतीजतन, उनकी आंखें जहाज उड़ाने और क्लास वन अधिकारी बनने का सपना देखने लगीं। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर के बाद वायुसेना में भर्ती हो गए।

प्रेरित करते थे पिता

एलएन शर्मा बताते हैं कि उनके पिता ओमप्रकाश शर्मा 10वीं तक पढ़े थे और सामान्य किसान की तरह खेतीबाड़ी करते थे। मां रामदेवी गृहिणी सहित परिवार में तीन भाई और पांच बहनें थीं। माता-पिता ने न कभी साधनों की कमी महसूस होने दी और न पढ़ाई से दूर भागने दिया। वे सदा पढ़ाई के प्रति प्रेरित करते थे, तो लापरवाही पर पीटते भी थे। उनकी प्रेरणा से ही वह आगे बढ़े। उन्होंने एक भाई को ग्रामीण बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए स्कूल खोलने की प्रेरणा दी।

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कुंजपुरा सैनिक स्कूल को दिलाई रक्षा मंत्री ट्राफी

एनएन शर्मा पहले रेवाड़ी सैनिक स्कूल में और फिर कुंजपुरा सैनिक स्कूल में भी प्रिसिपल रहे। उनकी कड़ी मेहनत के बदौलत 14 साल बाद स्कूल को रक्षामंत्री ट्राफी मिली थी। तब एनडीए में स्कूल से सबसे अधिक बच्चे पहुंचे थे।

लक्ष्य छूकर मिला संतोष

एलएन शर्मा बताते हैं कि उनके ससुर आइडी कौशिक 1984 में करनाल के एसडीएम थे, तो 1991 में यहीं डीसी भी बने। उन्हें देख मन होता था कि वह भी कभी ऐसे रूतबेदार पद तक पहुंचें। भले ही इसके लिए कड़ी मेहनत के साथ इंतजार करना पड़ा, लेकिन आज उन्हें संतोष है।

माता-पिता करें प्रयास

उन्होंने कहा कि हर माता-पिता को बच्चों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणास्रोत बनना चाहिए। कुछ परेशानी भले खुद उठानी पड़े, लेकिन बच्चों में अच्छे संस्कारों के समावेश के साथ लक्ष्य साधने के लिए सहयोग करना चाहिए। सेना में सुनहरा भविष्य है, जिसमें शामिल होने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए। आज भारतीय सेना सभी देशों की सेना से बेहतर और मजबूत है।


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