Move to Jagran APP

देसी गाय में बढ़ रहे Somatic cell count, दुग्ध उत्पादों की विदेश में भी बढ़ेगी मांग

देसी गाय की ज्यादातर नस्लों में सोमेटिक सेल काउंट (Somatic cell count) की तादाद अब एक लाख से बढ़कर डेढ़ लाख प्रति मिलीलीटर यूनिट तक पहुंच गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 01:09 PM (IST)
देसी गाय में बढ़ रहे Somatic cell count, दुग्ध उत्पादों की विदेश में भी बढ़ेगी मांग
देसी गाय में बढ़ रहे Somatic cell count, दुग्ध उत्पादों की विदेश में भी बढ़ेगी मांग

करनाल [पवन शर्मा]। राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) करनाल के ताजातरीन शोध में पता चला है कि देसी गाय की ज्यादातर नस्लों में सोमेटिक सेल काउंट (Somatic cell count) की तादाद अब एक लाख से बढ़कर डेढ़ लाख प्रति मिलीलीटर यूनिट तक पहुंच गई है। संस्थान द्वारा विकसित करण स्विस सरीखी नस्लों में ये सेल दो लाख तक हो सकते हैं। विदेश में दो लाख सोमेटिक सेल काउंट ही उच्च गुणवत्ता का मानक है। स्पष्ट है कि मानक पर खरा उतरने के बाद देसी गायों व उनके दुग्ध उत्पादों की मांग विदेश में भी बढ़ेगी।

loksabha election banner

NDRI में देसी गाय की कई नस्लों पर अनुसंधान होता है। इनमें साहीवाल, थारपारकर, गिर और राही आदि शामिल हैं। देसी नस्ल की इन गायों के दूध में ए-2 पाया जाता है, जो मानव शरीर के लिए अति लाभदायक है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। अभी तक सोमेटिक सेल काउंट एक लाख होने के कारण विदेश में इन गायों और इनके दुग्ध उत्पादों को महत्व नहीं मिलता थां। संस्थान के पशु शरीर क्रिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह बताते हैं कि आम तौर पर देसी गायों के एक एमएल दूध में एक लाख सोमेटिक सेल पाए जाते रहे हैं। अब इनकी मात्रा डेढ़ लाख तक मिल रही है।

क्या है सोमेटिक सेल काउंट

सोमेटिक सेल काउंट दूध में शामिल दैहिक कोशिकाओं की एक कोशिका गणना होती है। इससे दूध की गुणवत्ता का पता चलता है। खासकर, हानिकारक बैक्टीरिया व उच्चस्तरीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे परखा जाता है। श्वेत रक्त कोशिकाएं अधिकांश दैहिक कोशिकाओं का गठन करती हैं।

मौसम की चुनौती झेलने में भी देसी गाय सक्षम

देसी गाय मौसम व तापमान की चुनौतियां सहने में भी खरी उतर रही है। संस्थान में हुए शोध में पता चला है कि संकर या विदेशी नस्ल की तुलना में देसी गाय जलवायु परिवर्तन से कम प्रभावित होती हैं। गर्मी में 40 से ज्यादा व सर्दियों में 20 डिग्री से कम तापमान होने पर दूध उत्पादन में 30 फीसद तक गिरावट आती है। लेकिन देसी नस्ल की गायों पर इसका खास असर नहीं होता। इसके लिए एमसीआर-वन और सरीखे कुछ खास किस्म के जीन जिम्मेदार हैं, जो देसी नस्लों में ही मिलते हैं।

20 फीसद दुग्ध उत्पादन देसी गायों से

देश में गायों की 39 और भैंस की 13 प्रजातियां हैं। कुल दूध उत्पादन का 51 फीसद भैंसों से मिलता है। 20 फीसद देसी व शेष अन्य नस्लों की गायों से प्राप्त होता है। तापमान बढ़ने या घटने पर अन्य नस्लों में दूध उत्पादन गिरने के साथ प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है, लेकिन देसी की गाय मौसम की तमाम चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होती हैं।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.