अपने सीनियर नेता को बगावती तेवर में चढ़ाकर छोटे मियां गायब
एक नेता जी हैं। हाथ का साथ रखते हैं। जवानी में ही सफेदी का लुक रखते हैं। वह कभी बगावती दिखते हैं तो कभी पार्टी के सबसे कर्मठ वर्कर।
एक नेता जी हैं। हाथ का साथ रखते हैं। जवानी में ही सफेदी का लुक रखते हैं। वह कभी बगावती दिखते हैं, तो कभी पार्टी के सबसे कर्मठ वर्कर। उन्हें समझना जरा कठिन काम है। कुछ माह पहले वह अपने ही पार्टी से बागी हो चुके एक वरिष्ठ नेता के साथ थे, जो पूरी तरह से बगावती सुर में बात कर रहे थे। उनकी बगल में यह नेता भी थे। लेकिन उसी समय तय हुए कार्यक्रम में कुछ दिन पहले यह नेता जी नहीं पहुंचे। एक दिन उनसे बातचीत हो गई। कहने लगे कि हमने तो इन नेता जी को खूब समझाया था कि अपनी पार्टी छोड़कर नहीं जाते। अब वह नहीं माने तो इसमें वह कुछ नहीं कर सकते। उनके कार्यक्रम से उनका कोई सरोकार नहीं है। यह सुनते ही कुछ माह पहले हुई प्रेस कांफ्रेंस का ²श्य याद आ गया, जब यह नेता भी वहां विराजमान थे।
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चार जोन की बात खत्म की
कानून के जानकार अपने मित्रों के पास कई दिनों बाद आए। आजकल वह चंडीगढ़ में अपने पेशे की संस्था के अहम सदस्य हैं। इस पद पर होने के नाते उनका शेड्यूल भी काफी व्यस्त रहता है। अब मित्रों ने कई दिन बाद दिखाई देने का कारण पूछा तो कहने लगे कि आपको तो पता ही है कि आजकल शादियों का सीजन है। एक शादी हिसार में है तो एक शादी पंचकूला में। अब किसी की शादी में ना जाएं तो नाराजगी झेलनी पड़ेगी। दूसरे ने कहा कि वाजिब बात है। आखिर वोटर को नाराज कैसे कर सकते हैं। संस्था के इन सदस्यों का चयन चार जोन में बांट देना चाहिए। इससे दायरा कम हो जाएगा। इस पहले वाले सज्जन ने कहा, नहीं जो है वह ठीक है। जैसा चल रहा है, वैसा ही ठीक है। दरअसल वह चार जोन की बात को यहीं खत्म कर रहे थे। व्यापारियों को उस सुबह की तलाश, जब उनकी आकर भी कोई सुने
अंडे का कारोबार करने वाले व्यापारी अपनी समस्याओं को लेकर चितित है। वह पिछले कई दिनों से सेक्टर 12 में पड़ाव डाले हुए हैं। उनकी कुछ मुख्य मांगें हैं। आंदोलन के चलते इन व्यापारियों की सुबह भी यहीं होती है और रात भी। यही से वह अपने आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी उनकी समस्याओं को लेकर प्रशासन की ओर से कोई नुमाइंदा भी उन तक नहीं पहुंचा है। अलबत्ता वह भी अपने धरने से टस से मस नहीं हो रहे हैं। इस राह से गुजरने वाले लोग रोज सुबह-दोपहर व रात को उन्हें यहीं देखते हैं। कोई इनसे मिलने आ भी जाए तो अपनी समस्या की बात भी रख देता है। लिहाजा व्यापारी उस सुबह के इंतजार में हैं, जब उनकी सुध लेने के लिए भी कोई यहां आएगा और उनकी जायज मांगों को सुनकर उन्हें पूरा कराएगा।
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बाजार में होली पर खड़ा न कर दें कोराना का हौव्वा
कोराना वायरस से चीनी से आने वाला सामान बाजार में दिल्ली में करीब दो महीने पहले व्यापारियों तक आ चुका है। अब चीन से आने वाले सामान की कीमतों में इजाफा होने लगा है। एक व्यापारी ने बातचीत में कहा कि होली पर सामान की कीमतों में इजाफा नहीं हो सकता। क्योंकि रंग, गुलाल और पिचकारी सहित सभी सामान आ चुका है। लेकिन इसी बीच में इस सामान का यदि स्टॉक करके बेचा गया तो दिक्कत आ सकती है। क्योंकि बहाना कोरोना का हो जाएगा। होली से ठीक पहले सामान की शार्टेज दिखाकर इसे अधिक कीमत पर बेचा जा सकता है। क्योंकि आम आदमी को नहीं पता कि सामान की जितनी जरूरत थी, उतना ही व्यापारियों ने डिमांड के मद्देनजर मंगवाया है। शार्टेज दिखाकर सामान की डिमांड भी बढ़ाई जा सकती है। ऐसे में यह चिता है कि होली पर कोराना का हौव्वा न खड़ा कर दें।