आलू की फसल में पछेती अंगभारी झुलसा रोग प्रबंधन विज्ञानियों के सुझाव से करें : एसके यादव
मौसम के आधार पर हरियाणा में आलू की फसल में पछेती अंगभारी रोग निकट भविष्य में आने की संभावना है। आलू उत्पादक रोग से फसल बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए उपायों का प्रयोग करें।
जागरण संवाददाता, करनाल
मौसम के आधार पर हरियाणा में आलू की फसल में पछेती अंगभारी रोग निकट भविष्य में आने की संभावना है। आलू उत्पादक रोग से फसल बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए उपायों का प्रयोग करें। आलू प्रौद्योगिकी केंद्र शामगढ़ के उप निदेशक एसके यादव ने बताया कि जिन किसानों ने आलू की फसल में फफूंदनाशक दवा का छिड़काव नहीं किया है और अभी पछेती अंगभारी बीमारी प्रकट नहीं हुई है, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे मेंकोजेब इंडो फील एम-45 दवा का 0.2-0.25 प्रतिशत की दर से (1-250 कि.ग्रा.) दवा प्रति 1000 लीटर में घोलकर प्रति हैक्टेयर छिड़काव तुरंत करें।
उन्होंने कहा कि जिन खेतों में यह रोग प्रकट हो चुका है, उनमें साइमोक्सेनिल, मेंकोजेब या फिनेभिडोन, मेंकोजेब या डाईमेथोमार्फ दवा का 3 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से छिड़काव करें। फफूंदनाशक का छिड़काव दस दिन के अंतराल पर किया जा सकता है, लेकिन रोग की तीव्रता के आधार पर अंतराल को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। आलू उत्पादकों को ध्यान रखना होगा कि एक ही फफूंदनाशक का बार-बार छिड़काव ना करे।