साहब! फसल खराब हो गई, फसल बीमा योजना के तहत सर्वे तक नहीं हुआ
साहब! पिछले दिनों बरसात के कारण जलभराव से फसल खराब हो गई। इसकी सूचना 48 घंटे के अंदर दे दी गई, लेकिन बावजूद इसके फसल बीमा करने वाली कंपनी के कर्मचारी सर्वे तक करने उनके खेत में नहीं पहुंचे। इस प्रकार की कई शिकायतें दैनिक जागरण कार्यालय सेक्टर-12 में आयोजित हेलो जागरण कार्यक्रम में डीडीए डॉ. आदित्य प्रताप डबास व एसडीओ डॉ. सुनील बजाड़ के समक्ष आई। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में डीडीए ने विस्तार से बताते हुए कहा कि जिन किसानों की फसल खराब हुई है और समय पर सूचना देने के बाद भी सर्वे नहीं हुआ है तो उसके लिए बीमा कंपनी जिम्मेदार है। किसानों को इसमें ¨चता करने की जरूरत नहीं है। उन्हें हर हाल में मुआवजा मिलेगा। किसानों ने गेहूं बिजाई व अन्य फसल चक्र अपनाने को लेकर भी डीडीए से सलाह ली।
जागरण संवाददाता, करनाल : साहब! पिछले दिनों बरसात के कारण जलभराव से फसल खराब हो गई। इसकी सूचना 48 घंटे के अंदर दे दी गई, लेकिन बावजूद इसके फसल बीमा करने वाली कंपनी के कर्मचारी सर्वे तक करने उनके खेत में नहीं पहुंचे। इस प्रकार की कई शिकायतें दैनिक जागरण कार्यालय सेक्टर-12 में आयोजित हेलो जागरण कार्यक्रम में डीडीए डॉ. आदित्य प्रताप डबास व एसडीओ डॉ. सुनील बजाड़ के समक्ष आई। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में डीडीए ने विस्तार से बताते हुए कहा कि जिन किसानों की फसल खराब हुई है और समय पर सूचना देने के बाद भी सर्वे नहीं हुआ है तो उसके लिए बीमा कंपनी जिम्मेदार है। किसानों को इसमें ¨चता करने की जरूरत नहीं है। उन्हें हर हाल में मुआवजा मिलेगा। किसानों ने गेहूं बिजाई व अन्य फसल चक्र अपनाने को लेकर भी डीडीए से सलाह ली। जिनका उन्होंने मार्गदर्शन किया। औंगद गांव निवासी संजीव ने कहा कि सर! उनके खेत खाली हैं। उन्हें कौन सी किस्म गेहूं की लगानी चाहिए और कब लगानी चाहिए, इसके लिए बताएं।
- डीडीए आदित्य प्रताप डबास ने कहा कि 25 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच में एचडी-2967, एचडी-3086 व डब्ल्यूएच-1105 की बिजाई किसान कर सकते हैं। यह किस्मों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है। निर्धारित समय में गेहूं बिजाई से अच्छा उत्पादन हो सकता है। सालवन गांव निवासी सुनील कुमार ने कहा- डीडीए साहब..पानी की वजह से पूरी फसल बर्बाद हो गई। बीमा कंपनियों का कोई रिस्पोंस नहीं दिख रहा है। लगता है कि बीमा कराने का कोई फायदा नहीं है। आप कुछ समाधान बताइए।
- डीडीए बोले-ऐसा नहीं है। आपने बीमा कराया है और सूचना भी समय पर दी है। इसलिए ¨चता करने की जरूरत नहीं है। आवेदन ज्यादा आने व मैनपावर की कमी के कारण दिक्कतें आई हैं। हमने ज्यादातर सर्वे का काम पूरा कर लिया है। जहां पर बचा हुआ है वहां पर भी किया जा रहा है। बीमा कंपनी की भी अपनी जवाबदेही है। ऐसे में निर्धारित समय में बीमा कंपनी भी अपना काम पूरा नहीं करती है तो उसके खिलाफ भी एक्शन लिया जा सकता है। सभी नियम पूरे करने वाले किसानों को मुआवजा हर हाल में मिलेगा। कोई दिक्कत है तो कार्यालय में आकर संपर्क कर सकते हैं। कुटेल निवासी रमेश कल्याण ने कहा कि डीडीए साहब, हर साल किसानों को ट्रे¨नग दी जाती है। इसमें हिस्सा लेने के लिए आवेदन भी करते हैं, लेकिन उनका नंबर नही आता है। अपने जानकार किसानों की ही ट्रे¨नग कराई जाती है।
- डॉ. आदित्य बोले- उचानी में चल रही ट्रे¨नग बागवानी विभाग की है, लेकिन फिर भी आपको कोई प्रशिक्षण लेना है तो घरौंडा के सब्जी उत्कृष्टता केंद्र में ले सकते हैं। वह विशेष तौर पर आपके लिए बोल देंगे। यह अच्छी बात है कि किसान इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के प्रति जागरूक हो रहा है। अरड़ाना गांव निवासी राजेश कुमार ने कहा कि सर, बरसात से फसल खराब हुई थी, अभी तक सर्वे नहीं हुआ है।
- डीडीए ने कहा मेरी जानकारी के अनुसार सर्वे हो चुका है। अगर कोई किसान रह गया है तो फिर भी उसका सर्वे कराया जाएगा। जिन्होंने बीमा कराया है उनको बीमा का लाभ मिलना चाहिए। गढ़ीबीरबल निवासी प्रेमचंद ने कहा कि सर हमारी छह एक फसल पानी के कारण बर्बाद हो गई। कोई सुध लेने वाला नहीं है।
डीडीए ने प्रेमचंद को आश्वासन दिया कि ¨चता करने की कोई बात नहीं है। 26 सितंबर तक की लिस्ट के अनुसार सर्वे हो चुका है। 27 तारीख वाली लिस्ट पर काम चल रहा है उसमें सभी कवर हो जाएंगे। किसान अवतार ¨सह ने कहा कि खेत खाली पड़े हैं, गेहूं बिजाई से पहले क्या दूसरी फसल ली जा सकती है?
- समस्या का समाधान करते हुए एसडीओ डॉ. सुनील बजाड़ ने कहा कि अगर साल में तीन फसलें लेनी हैं तो 30 सितंबर तक खेत खाली हो जाने चाहिए। फिलहाल वह तोड़िया की फसल लगा सकते हैं। मूली भी लगाई जा सकती है। क्योंकि इन दिनों का टाइम पीरियड कम होता है। धनिया भी लिया जा सकता है। बांसो गांव के सरपंच हर¨जद्र ¨सह ने कहा कि उनके गांव में कस्टम हाय¨रग सेंटर नहीं है, किसानों को अवशेषों की दिक्कत आ रही है, किसान क्या करें?
- डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने कहा कि ऐसा नहीं है। हमारे रिकार्ड के अनुसार एक भी सोसाइटी ऐसी नहीं बची, जिन्होंने आवेदन किया हो ओर कस्टम हाय¨रग सेंटर नहीं दिया गया हो। फिर भी ग्राम पंचायत की तरफ से रेजुलेशन पास कर कस्टम हाय¨रग सेंटर की डिमांड कर सकते हैं, सोसाइटी से पहले ग्राम पंचायत को तवज्जो दी जाएगी और बिना ड्रा के ही उन्हें सीएससी दी जाएगी। कतलाहेड़ी गांव निवासी मलखान ¨सह ने कहा कि उन्होंने 1509 किस्म लगाई हुई थी। लेकिन जलभराव के कारण बर्बाद हो गई, उन्हें भी मुआवजा मिलना चाहिए?
- डीडीए बोले-आपने फसल बीमा योजना नहीं कराया। धान का प्रति एकड़ 574 रुपये बीमा सरकार की तरफ से किया गया था। बिना बीमा के वह मुआवजा नहीं दिलवा सकते। भविष्य में रबी की फसल का बीमा करा सकते हैं। कोई नुकसान होता है तो उसका हर्जाना मिलेगा। - धन्नोखेड़ी के कुलदीप शर्मा ने पूछा कि क्या एक नवंबर से गेहूं की बिजाई करना ठीक रहेगा?
डीडीए : हां, यह गेहूं बिजाई का उचित समय है। 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक गेहूं की बिजाई करने का समय सही है। मार्च तक यह फसल पककर तैयार हो जाएगी। एचबी 2967, एचडी 3086, 1105, डीओडब्ल्यू 88, एचडीसीएसडब्ल्यू 18 या 343 की नई वैरायटी उन्नत की बिजाई कर सकते हैं। - सालवन गांव के रामभूल राणा ने कहा कि फसल बीमा का सर्वे समय पर नहीं होता, ऐसे में शिकायत के बाद क्या फसल की कटाई कर सकते हैं?
डीडीए : काफी किसानों की यह समस्या है। हमारे पास एप्लीकेशन 15000 के करीब आई, लेकिन करीब 8000 का ही सर्वे हो पाया। शिकायत के 12 दिनों में सर्वे करने की बीमा कंपनी की जिम्मेवारी होती है। यदि यह समय भी निकल चुका है। तो फसल की कटाई कर सकते हैं। - गांव राहड़ा के ¨रकल ¨सह राणा ने पूछा कि गेहूं की बिजाई करनी है अब फसल अवशेष का क्या करें?
डीडीए : अब गेहूं की बिजाई करनी है तो असंध ब्लॉक में 40 हैप्पी सीडर मशीनें हैं। केंद्र पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कराए, मशीन की मदद से अवशेषों का प्रबंधन भी होगा और गेहूं की बिजाई भी एक साथ ही हो जाएगी।