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पदोन्नति की इंतजार कर रहे शिक्षकों को झटका, नहीं मिलेगी तरक्की

मुखिया विहीन चल रहे प्रदेश के सैकड़ों राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के फिलहाल हालात बदलने की उम्मीद नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 08:10 AM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 08:10 AM (IST)
पदोन्नति की इंतजार कर रहे शिक्षकों को झटका, नहीं मिलेगी तरक्की
पदोन्नति की इंतजार कर रहे शिक्षकों को झटका, नहीं मिलेगी तरक्की

जागरण संवाददाता, करनाल : मुखिया विहीन चल रहे प्रदेश के सैकड़ों राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के फिलहाल हालात बदलने की उम्मीद नहीं है। इन विद्यालयों में लंबे समय से रिक्त पड़े पदों पर प्रिसिपल की नियुक्ति पर विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने रोक लगा दी है। इससे जहां पदोन्नति की उम्मीद लगाए बैठे हेडमास्टर और पीजीटी को तगड़ा झटका लगा। वहीं, बच्चों के परीक्षा परिणाम पर भी असर पड़ना तय माना जा रहा है। विभाग की ओर से दो दिन पहले 13 सितंबर को जारी पत्र के आधार पर पदोन्नति के लिए मांगी गई रिपोर्ट के आदेश को सोमवार वापस ले लिए गया है। इस आदेश के बाद प्रदेश के 532 शिक्षकों के सपने को विभाग ने फिर से लाइन में इंतजार करने के लिए खड़ा कर दिया गया है। अतिरिक्त पदभार के भरोसे 748 स्कूल

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सीनियोरिटी की आस पर लंबे समय से इंतजार कर रहे शिक्षकों को 13 सितंबर को जारी पत्र के बाद प्रिसिपल बनने की आस बंधी थी। तरक्की के लिए आस लगाने वालों में अधिकतर शिक्षक 1995 की भर्ती के थे, जिनका रास्ता प्रमोशन के लिए साफ माना जा रहा था। प्रदेश के 748 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों पर मुखिया के अतिरिक्त कार्यभार के साथ-साथ अपने विषय को पढ़ाने का दबाव है। प्रदेश में ऐसे स्कूल भी हैं जहां स्टाफ की कमी के चलते शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ डाले जाने पर पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़

हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन संरक्षक बीर सिंह राणा ने बताया कि शिक्षा विभाग के प्रयोगों से बच्चों और शिक्षकों का भविष्य खराब किया जा रहा है। 1995 की भर्ती के शिक्षकों की प्रमोशन का रास्ता साफ होने के बावजूद जानबूझ कर तरक्की नहीं दी जा रही। बिना मुखिया के स्कूलों में बच्चों के वार्षिक परिणाम भी प्रभावित होते हैं। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी रविद्र चौधरी ने बताया कि विभागीय स्तर पर हेडमास्टर और पीजीटी अपनी पदोन्नति के लिए दस्तावेज जुटा रहे थे, लेकिन सोमवार को मिले पत्र के अनुसार 13 सितंबर को जारी आदेश को मुख्यालय ने वापिस ले लिया है।


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