दुग्ध उत्पादन लागत को कम करने के लिए वैज्ञानिक करें मेहनत : डॉ. चौहान
एनडीआरआइ में पशुधन उत्पादकता और कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए पोषण रणनीतियां विषय प
एनडीआरआइ में पशुधन उत्पादकता और कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए पोषण रणनीतियां विषय पर चल रहे 21 दिवसीय ¨वटर स्कूल का समापन जागरण संवाददाता, करनाल
एनडीआरआइ में पशुधन उत्पादकता और कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए पोषण रणनीतियां विषय पर चल रहे 21 दिवसीय ¨वटर स्कूल का मंगलवार को समापन हुआ। कार्यक्रम में बकरी अनुसंधान संस्थान मखदूम, मथुरा के निदेशक डा. एमएस चौहान ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि और पशुपालन का विशेष महत्व है। सकल घरेलू कृषि उत्पाद में पशुपालन का 28-30 प्रतिशत का योगदान सराहनीय है। इसमें दुग्ध एक ऐसा उत्पाद है जिसका योगदान सर्वाधिक है। पशुओं के दूध उत्पादन को बढ़ाने में पोषणयुक्त फीड एक महत्वपूर्ण इनपुट है। उन्होंने कहा कि कुल दूध उत्पादन लागत का लगभग 70 प्रतिशत तक खर्च फीड फोडर पर आता है, इसे कम करने के लिए वैज्ञानिकों को मेहनत करनी होगी। चारे संबंधित चुनौतियां भी आएंगी सामने : डा. आरआरबी
संस्थान के निदेशक डा. आरआरबी ¨सह ने प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि समय बदल रहा है, पशुपालकों की पशुओं की नस्ल संबंधी पसंद बदल रही है, ऐसे में पशुओं का चारा बदलना भी स्वभाविक है। आने वाले समय में पशुओं के चारे संबंधी कई चुनौतियां सामने आ सकती है। इनके लिए हमें तैयार रहना होग। प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण समेत 38 व्याख्यानों को किया कवर
पशु पोषण विभाग के अध्यक्ष और कोर्स को-ऑर्डिनेटर डा. एके त्यागी व डा. गौतम मंडल ने 21 दिवसीय कोर्स के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। कार्यशाला में 15 राज्यों से 24 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला में उत्पादन, उत्पादकता, प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण व उत्पादन लागत को कम करने सहित 38 व्याख्यानों के माध्यम से सभी पहलुओं को कवर किया। मंच संचालन डा. नितिन त्यागी ने किया।
ये लोग रहे मौजूद
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) डा. बिमलेश मान, सयुंक्त निदेशक (प्रशासनिक) सुशांत शाह, वित नियंत्रक डीडी वर्मा, डा. सचिन, डा. चंद्रदत्त, डेरी टेक्नोलॉजी विभागाध्यक्ष डा. लता सबीखी व डेरी विस्तार प्रभागाध्यक्ष डा. केएस कादियान मौजूद रहे।