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भारत में डेरी विकास के लिए वैज्ञानिक विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में रोग प्रतिरोधी नस्लों का करें विकास : डॉ. जीएस राजौरिया

राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो का 35वां स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में इंडियन डेरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ जीएस राजौरिया मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे। वहीं एनबीपीजीआर के पूर्व निदेशक डॉ. आरएस राणा, बैंक अधिकारी अमरजीत ¨सह विशेष रूप से उपस्थित रहे। ब्यूरो के निदेशक डॉ. आर्जव शर्मा ने संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते अतिथियों का स्वागत किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 08:23 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 08:23 PM (IST)
भारत में डेरी विकास के लिए वैज्ञानिक विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में रोग प्रतिरोधी नस्लों का करें विकास : डॉ. जीएस राजौरिया
भारत में डेरी विकास के लिए वैज्ञानिक विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में रोग प्रतिरोधी नस्लों का करें विकास : डॉ. जीएस राजौरिया

जागरण संवाददाता, करनाल : राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो का 35वां स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में इंडियन डेरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ जीएस राजौरिया मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे। वहीं एनबीपीजीआर के पूर्व निदेशक डॉ. आरएस राणा, बैंक अधिकारी अमरजीत ¨सह विशेष रूप से उपस्थित रहे। ब्यूरो के निदेशक डॉ. आर्जव शर्मा ने संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते अतिथियों का स्वागत किया।

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मुख्य अतिथि डॉ. जीएस राजौरिया ने भारत के व्यापक डेरी सेक्टर की विस्तार चर्चा की। उन्होंने कहा कि अब भी भारत में डेरी के विकास की व्यापक संभावनाएं हैं, इसके लिए वैज्ञानिकों को भारत के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में रोग प्रतिरोधी नस्लों का विकास करना चाहिए। डेरी के क्षेत्र में बकरी, ऊंट एवं गधे के समावेश की संभावनाओं पर बल देना चाहिए।

उन्होंने बताया कि बिना वैज्ञानिक प्रमाणों के ए-1, ए-2 जैसे विवादों से दूर रहना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक डॉ. सोनिका अहलावत व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पीके ¨सह ने किया।

उत्पादन देने वाली पशु नस्लों को विकसित करने की जरूरत : डॉ. राणा

एनबीपीजीआर के पूर्व निदेशक डॉ. आरएस राणा ने कहा कि संसार में हो रहे जलवायु परिवर्तन की दशा में प्रभावित होने वाले फसलों एवं पालतू पशुओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। ऐसी फसल एवं पशु नस्लों को विकसित करने की आवश्यकता है जो बदलते जलवायु में अधिक उत्पादन करने में सक्षम हों। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर हो रहे अंतरराष्ट्रीय क्रियाकलापों का विस्तार से वर्णन किया।

डॉ. मधु को मिला सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक का अवॉर्ड

कार्यक्रम में ब्यूरो के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मधु सूदन टांटिया को सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक के रूप में डॉ. पीजी नायर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वहीं तकनीकी अधिकारियों की श्रेणी में नरेश कुमार यादव, प्रशासनिक श्रेणी में कर्मवीर मलिक और बाबू राम व कुशल सहायक श्रेणी में कृष्ण लाल को उत्कृष्ट कर्मचारी-2018, विगत वर्ष में ¨हदी भाषा में अधिकाधिक सरकारी कार्य करने के लिए बाबू राम, शिव चंदर और नरेश नरवाल व ¨हदी पखवाड़ा के अंतर्गत हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। वहीं ब्यूरो द्वारा प्रकाशित ¨हदी पत्रिका पशुधन प्रकाश के 9वें अंक का विमोचन किया गया। इस दौरान पत्रिका के आठवें अंक के सर्वश्रेष्ठ लेखकों को भी नकद पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।


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