स्कूल में छेड़छाड़ की शिकार छात्रा के सवाल पर अधिकारियों के चेहरे पड़ गए सफेद
टीचर की छेड़छाड़ की शिकार छात्रा के पिता को धमकाया गया। गुस्साई छात्रा ने पूछा सर कहते तो हैं लड़कियां आवाज उठाएं और जब वे आवाज उठाती है तो क्या इस तरह से उन्हें इंसाफ मिलता है।
करनाल [मनोज ठाकुर]। अकेली लड़की। सामने पूरे गांव की पंचायत। मौजिज लोग। बगल में सिमटा सिकुड़ा पिता। सामने की कुर्सी पर बीइओ धर्मपाल। जो आए थे, पीडि़त लड़की के आरोपों की जांच करने। राजकीय स्कूल निगदू में 12वीं कक्षा की छात्रा ने एक शिक्षक पर बदनियति का आरोप लगाया था। उसने पहले शिकायत प्रिंसिपल को दी, वहां सुनवाई नहीं हुई तो गांव की चौकी में शिकायत दी। इस शिकायत के बाद ही बीईओ (ब्लॉक एजुकेशन आफिसर) जांच के लिए आए थे, लेकिन उनका पहले से मन था, आरोपी शिक्षक को क्लीनचिट देनी है। यही वजह थी कि जांच करते करते वक्त वह खुद पंचायत का हिस्सा बन गए।
पूरी पंचायत और बीईओ ने लड़की पर दबाव बनाया। उसे गलत साबित करने की हर कोशिश हुई। लड़की फिर भी न मानी तो उसके पिता को धमकाया गया। डरा पिता बेटी के आगे हाथ जोड़ रहा था। पांच घंटे के इस तनावपूर्ण दबाव के बाद आखिरकार बच्ची टूट गई। उसने समझौता कर लिया, लेकिन समझौते से पहले सिसकती लड़की ने गुस्से, शर्म और जलालत से सूख रहे होठों पर जीभ फेरते हुए बीईओ की ओर इशारा करते हुए कहा, सर कहते तो हैं लड़कियां आवाज उठाएं और जब वे आवाज उठाती है तो क्या इस तरह से उन्हें इंसाफ मिलता है। वह और भी कुछ कहना चाह रही थी, रूंधे गले में बाकी शब्द फंस से गए।
बच्ची के इन शब्दों के आगे पंचायत में कई जोड़ी आंखें देर तक झुकी रहीं। बीईओ खुद भी किसी से नजर नहीं मिला पा रहे थे। निगदू के सरकारी स्कूल में शिक्षक पर बदनीयति के आरोप लगाने पर इस बच्ची के साथ जो हुआ, वह बेटियों को लेकर दोहरी सोच की मुंह बोलती मिसाल थी। भरी पूरी पंचायत में बच्ची अकेली थी, तीन शिक्षिकाएं जरूर उनके पक्ष में थीं। बीईओ उन्हें डरा धमका और पद का रुआब दिखा चुप कराने की कोशिश में अंत तक जुटा रहा।
पीड़िता के बयान के वक्त आरोपी का भाई मौजूद क्यों?
बीईओ ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए चार सदस्य कमेटी बनाई। इसमें पधाना सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल संजीव, शामगढ़ स्कूल की महिला प्रिंसिपल और एक महिला शिक्षिका को टीम में शामिल किया गया। पहले तो लड़की को पंचायत में बुलाया गया। यहां जब लड़की ने उनकी बात नहीं मानी तो बयान के नाम पर उसको एक दूसरे कमरे में ले गए। बीईओ खुद लड़की के बयान लेने के लिए उस कमरे में गए। तब टीम में शामिल दोनों महिला शिक्षकों को कमरे से बाहर ही रोक दिया गया, जबकि आरोपी शिक्षक का भाई कमरे में मौजूद रहा।
पुलिस भी देती रही पंचायत का मौका
इधर बच्ची ने पुलिस को भी एक शिकायत दी थी। चौकी इंचार्ज जसबीर सिंह ने बताया कि शिकायत तो मिली, लेकिन अभी पंचायत का मौका दिया गया है। यदि पंचायत में मामला नहीं निपटता तो शिकायत दर्ज कर ली जाएगी। उन्होंने बताया शाम को चार बजे दोनो पक्षों को थाना प्रभारी ने बुला रखा है। जो भी होगा देख लिया जाएगा।
प्रिंसिपल तीन दिन की छुट्टी पर
इधर मामला उछलता देखकर स्कूल प्रिंसिपल सुभाष तीन दिन के अवकाश पर चले गए। बीईओ ने बताया कि उनके पास शिकायत बाद में पहुंची, लेकिन इससे पहले प्रिंसिपल की छुट्टी का आवेदन आ गया था। उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल की छुट्टी रद करने के निर्देश दिए गए हैं।
ईओ के खिलाफ तुरंत मामला दर्ज हो
पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय की एडवोकट आरती ने कहा कि डीईओ ने किस हक के साथ पंचायत की। पंचायत में किस हक से पीड़ित बच्ची को बुलाया। उसने बच्ची की निजता के अधिकार का हनन किया है। बच्ची से जब पूछताछ हो रही थी तो वहां आरोपी का भाई कैसे? यह तो सरासर तानाशाही है। ऐसे अफसर को तो नौकरी में रहने का हक नहीं है। आरती ने बताया कि इस मामले में एसपी और डीसी समेत जिला बाल कल्याण अधिकारी की भी भूमिका की जांच होनी चाहिए।
ऐसे अधिकारी है, तभी हरियाणा में बढ़ रहे बच्चियों के शोषण की घटनाएं : मौसमी बंसल
महिला उत्थान में काम कर रही संस्था उड़ान की अध्यक्ष मौसमी बंसल ने कहा कि यह घटना बेहद शर्मनाक है। एक ओर तो सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है। दूसरी ओर शिक्षण संस्थान में बच्चियों के साथ ऐसी घटनाएं हो रही हैं। यही वजह है कि हरियाणा का प्रशासनिक व पुलिस सिस्टम महिला अधिकारों को लेकर जागरूक ही नहीं है। इसी का परिणाम है कि यहां बच्चियों के शोषण के मामले सबसे ज्यादा हो रहे हैं।
और जवाब नहीं दे पाए बीईओ
आरेापी शिक्षक का भाई लड़की के बयानो के वक्त क्यों? इस सवाल का बीईओ के पास कोई जवाब नहीं है। किस अधिकार से स्कूल में गांव के लोग पंचायत कर रहे हैं, पंचायत में सरेआम लड़की को क्यों बुलाया गया, इन सवालों पर बीईओ ने कहा कि हम तो मामला सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
यह है पूरा मामला
राजकीय स्कूल निगदू में 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा ने शिक्षक पर छेडख़ानी का आरोप लगाया है। छात्रा के परिजनों ने मामले की शिकायत पुलिस को की है। 28 नवंबर को संस्कृत के विद्यार्थियों को गीता जयंती कार्यक्रम में गीता श्लोकोच्चारण के उद्देश्य से कुरुक्षेत्र ले जाया गया। आरोप है कि जहां पर छात्राएं ठहरी हुई थी वहां पर डीपी दिनेश पहुंचा। उन्होंने कुल 32 लड़कियों में से आठ को चयनित कर अपने साथ घूमने के लिए अॉफर किया। जिसका उनके साथ गई महिला शिक्षिकाओं ने विरोध किया। इस पर दिनेश ने महिला टीचरों को धमकी दी।
यह भी पढ़ेंः मिठाई में नशीला पदार्थ मिला महिला से किया दुष्कर्म, वीडियो बना करने लगा ब्लैकमेल