लापरवाही की हद: बिना किसी इजाजत के खोला था स्कूल
कोरोना को महामारी घोषित करने वाले प्रदेश में लॉकडाउन के नियमों को ताक पर बच्चों की कक्षा लगाने वाला सीएम सिटी शायद पहला शहर बन गया है। बच्चों को अनुशासन और एकता का संदेश देने वाले स्कूल अपनी हठ नहीं छोड़ पा रहे हैं और पैसों के लालच में बच्चों की जिदगी भी दांव पर लगाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। वायरस संक्रमण बचाव के लिए प्रशासन के अधूरे इंतजामों के बीच सुभाष गेट स्थित एसबी मिशन स्कूल को खोल दिया गया। प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा स्कूल स्टाफ और अभिभावकों में हड़कंप मच गया। जैसे-जैसे सूचना फैलती गई अधिकारी और अभिभावक भी स्कूल पहुंचते दिखाई दिए।
जागरण संवाददाता, करनाल : लॉकडाउन के नियमों को ताक पर रख बच्चों की कक्षा लगाने वाला सीएम सिटी प्रदेश का पहला शहर बन गया है। बच्चों को अनुशासन और एकता का संदेश देने वाले स्कूल हठ नहीं छोड़ पा रहे हैं। संक्रमण से बचाव के लिए प्रशासन के अधूरे इंतजामों के बीच बुधवार को सुभाष गेट स्थित एसबी मिशन स्कूल को खोल दिया गया। इसकी जानकारी मिलने पर प्रशासनिक अधिकारी हरकत में आ गए। जैसे-जैसे सूचना फैलती गई अधिकारी और अभिभावक स्कूल पहुंचने लगे। स्थानीय लोगों का कहना है कि शिक्षा विभाग की कोताही का ही प्रमाण है कि स्कूल के प्रबंधकीय सदस्यों ने स्कूल खोल दिया।
बुधवार को सुबह करीब साढ़े 10.20 बजे शिक्षा विभाग को स्कूल खुलने की सूचना मिलने पर अधिकारी पहुंचे तो बच्चों को वहां देखकर हैरान रह गए। स्कूल का माहौल प्रतिदिन चलने जैसा था। स्कूल स्टाफ बिना मास्क और शारीरिक दूरी का पालन करके कक्षाओं में आवागमन कर रहे थे। अधिकारियों को देखने के बाद बच्चों के मुंह पर मास्क लगाए गए। वहीं प्रिसिपल समता शर्मा का कहना है कि अभिभावकों को किताबें देने के लिए स्कूल खोला था ताकि बच्चे पढ़ाई कर सकें। कक्षाओं में बच्चे क्यों बैठे थे, इसका वे जवाब नहीं दे पाई।
11 बच्चे कर रहे थे पढ़ाई
जिला शिक्षा अधिकारी रविद्र चौधरी ने बताया कि स्कूल में 11 बच्चे पढ़ाई कर रहे थे तथा स्टाफ के अधिकतर सदस्य मौजूद थे। नियमों की अवहेलना करने पर स्कूल को सील कर दिया गया है। सिटी थाना प्रभारी हरजिद्र सिंह का कहना है कि शिक्षा अधिकारी की शिकायत पर मामला दर्ज कर मुख्याध्यापिका को गिरफ्तार कर लिया गया है। छापेमारी में ड्यूटी मजिस्ट्रेट एटीपी अजमेर सिंह, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रोहताश वर्मा, सीडब्ल्यूसी चेयरमैन उमेश चानना, एसएचओ हरजिन्द्र सिंह शामिल थे। शिक्षिकाओं ने कमरे किया बंद
अधिकारियों के स्कूल में पहुंचने पर स्कूल स्टाफ को एक कमरे में बंद कर दिया गया ताकि किसी को जानकारी न मिले। जांच में जब कमरा खुलवाया गया तो अंदर महिला शिक्षक एक-एक कर स्कूल से चली गई। इस हॉलनुमा कमरे में एनसीईआरटी के अलावा अन्य किताबों का भंडार पड़ा था। पॉलिथिन में किताबों के सेट बनाकर रखे गए थे। अन्य दो कमरों में भी अलग-अलग कक्षाओं की किताबों के सेट बनाए जा रहे थे। यह काम स्कूल शिक्षिकाएं कर रहीं थीं। दो घंटे तक चली कार्रवाई के दौरान पुलिस बल की तैनाती रही और घरों के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई। अगर बच्चे बीमार हुए तो दोषी कौन होगा
लॉकडाउन में बंद स्कूल को खोलने के लिए स्कूल प्रबंधन ने किसी भी प्रशासनिक अधिकारी से अनुमति नहीं ली। प्रबंधन की हद तो यहां तक रही कि उसे शिक्षकों और बच्चों को बुलाने में जरा भी हिचक महसूस नहीं हुई। पुलिस और शिक्षा अधिकारी भी लापरवाही पर कार्रवाई की चादर चढ़ा खुद को बचाते दिखे। आखिर कोरोना काल में स्कूल का खुलना और प्रशासन को भनक भी लगना दर्शाता है कि अधिकारी केवल कागजी बयानबाजी के सहारे ड्यूटी बजा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर स्कूल में संक्रमण फैला और बच्चे बीमार हुए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
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लॉकडाउन की पालना न करने पर मामला दर्ज
सिटी एसएचओ हरजिद्र सिंह ने बताया कि एसबी मिशन स्कूल लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद रखने के आदेशों के बाद भी खुला हुआ था। मौलिक शिक्षा अधिकारी रोहताश वर्मा की शिकायत पर मुख्याध्यापिका के खिलाफ धारा 188, 269, 270 भादस और 51 डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।