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अधिकार न होने के कारण गांवों में कोरोना से संरक्षण नहीं दे पा रहे सरपंच

संवाद सूत्र जलमाना असंध मंडल के अनेक गावों के सरपंचों ने मार्च 2020 में कोरोना महामारी से

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 07:31 AM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 07:31 AM (IST)
अधिकार न होने के कारण गांवों में कोरोना से संरक्षण नहीं दे पा रहे सरपंच
अधिकार न होने के कारण गांवों में कोरोना से संरक्षण नहीं दे पा रहे सरपंच

संवाद सूत्र, जलमाना : असंध मंडल के अनेक गावों के सरपंचों ने मार्च 2020 में कोरोना महामारी से निपटने के लिए अनेकों प्रयत्न किए। अब दूसरी पारी में घातक रूप लेकर आए कोरोना संक्रमण से गांववासियों को बचाने की जिम्मेदारी किसकी है यह सवाल सामाजिक चितन से जुड़े लोगों ने उठाया है। ग्राम प्रधानों की शक्तियां छीनकर सरकार द्वारा खंड विकास पंचायत अधिकारियों को दे दी गई हैं, जिसके बाद से सरपंचों के पास किसी प्रकार के अधिकार नहीं हैं। वर्ष-2020 के मार्च, अप्रैल, मई और जून में सरपंचों ने गांव में ठीकरी पहरे, प्रत्येक घर-गली को सैनिटाइज किया और मास्क वितरित करने के साथ गांव में आइसोलेशन वार्ड भी बनाए और जरूरतमंदों को राशन भी उपलब्ध करवाया। ग्राम प्रधानों की इस दिशा में भूमिका की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये संवाद कर की और मुख्यमंत्री ने सरपंचों को सम्मानित भी किया था। इस बार शक्तिहीन ग्राम प्रधान भले ही अपने स्तर पर गांव के किसी निर्धन परिवार की मदद कर रहे हों लेकिन सरकार व जनता के बीच की कड़ी के रूप में असमर्थ नजर आ रहे हैं। अधूरा पड़ा स्वामित्व स्कीम का काम

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समाजसेवी रमा चौहान उपलाना ने बताया कि सरकार की स्वामित्व योजना प्रशासकराज लगने से अधर में लटक गई है। मशक्कत से ग्रामीणों को सरकार के लाल डोरा मुक्त अभियान का लाभ दिलवाने के लिए खंड कार्यालय में कागजी कार्यवाही को अंजाम दिया था। सरपंच का सहयोग लिया जा रहा था अब सरपंचों का लेखाजोखा जमा करवा लिया गया है। अधिकारियों से अपील है कि पात्र लोगों को लाभ मिले, गांव को सैनिटाइज करवाएं और आइसोलेशन सेंटर भी बनवाएं। लॉकडाउन के दौरान धारा-144 का पालन फोटो 18

समाजसेवी नरेश कुमार चोरकारसा का कहना है कि जब कोरोना ने दस्तक दी थी तो चौकीदारों के माध्यम से गांव में मुनादी करवाकर लोगों को लॉकडाउन के आदेशों की पालना करने के निर्देश दिए थे। किसी के संक्रमित पाए जाने पर प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा मरीज को होम आइसोलेट किया जाता था जो अबकी बार नहीं है। पुख्ता इंतजाम न होने के कारण अब गांवों में भी कोरोना पांव पसार रहा है। शारीरिक रूप से एक-दूसरे से डिस्टेंस रखकर कोरोना की चेन को तोड़ा गया था। वैसी सतर्कता अब नजर नहीं आ रही।

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प्रशासक राज में गांव को न सैनिटाइज किया न बांटे मास्क

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समाजसेवी पवित्र सिंह का कहना है कि क्षेत्र के गांव में सरपंचों द्वारा गांवों को कई-कई बार सैनिटाइज करवाया था और ठीकरी पहरा भी लगाया। जब से गांव प्रशासनिक अधिकारियों के हाथों में आया है सैनिटाइज तो दूर मच्छर मारने की दवा का भी छिड़काव नहीं हुआ है। सरकार से अपील है कि गांव को सैनिटाइज करवाएं ताकि ग्रामीणों को कोरोना के कहर से बचाया जा सके।

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गांवों में अधिकारी नहीं करवा रहे संक्रमण बचाव

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समाजसेवी मनोज ग्रोवर का कहना है कि जब पहली बार कोरोना आया तो कबुलपुरखेड़ा व ठरी के सरपंचों ने सर्वसम्मति से गांव की धर्मशाला व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पांच से अधिक लोगों को जमा नहीं होने दिया था। सरपंचों के पास अधिकार न होने के कारण ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा रही है। उच्चाधिकारियों को सूचना देने के बावजूद गांवों में संक्रमण बचाव के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।


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