शहरवासियों को प्राणवायु देने वाले 131 हरे पेड़ों की चढ़ाई जा रही बलि
कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज फेज-2 के तहत होने वाले निर्माण कार्य के लिए 131 हरे पेड़ों पर आरी चलाई जा रही है।
-- कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज फेज-2 के तहत होगा निर्माण कार्य
जागरण संवाददाता, करनाल : पेड़ों से हमें जीवन मिलता है..यह पाठ बचपन से पढ़ाया जाता है। विकास के दौरान शायद इसके मायने कमजोर होते जा रहे हैं। कोरोना के दौरान जहां प्रदेश सरकार ने जंगल बढ़ाने की घोषणा की थी और शहर में आक्सी-वन का प्रोजेक्ट अभी पाइप लाइन में है। इसी के बीच पुरानी कचहरी में 131 हरे पेड़ों को बलि चढ़ाया जा रहा है। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज एवं अस्पताल और वन विभाग के साथ हुए इकरार के बाद श्रमिकों ने पेड़ों को काटना शुरू कर दिया है। पेड़ों की कटाई को समय की जरूरत बताया जा रहा है लेकिन बदले में इसकी कमी कैसे पूरी की जाएगी, इस पर स्थायी योजना दिखाई नहीं पड़ रही है।
कोरोना ने पढ़ाया पेड़ों की उपयोगिता का पाठ
कोरोना महामारी के आक्सीजन के लिए लोगों को भटकना पड़ा जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पेड़ों से स्वास्थ्य लाभ मिला। हालात ऐसे बने कि जब आक्सीजन की कमी के कारण सांसें टूटने लगी तो लोगों को प्राणवायु देने वाले पौधों की सुध आई। कोविड की दूसरी लहर में लोग पीपल-बरगद और नीम के पौधे रोपित करते देखे गए। प्राणवायु प्रोत्साहन को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से पौधारोपण पर जोर दिया गया और करनाल में आक्सीवन प्रोजेक्ट की घोषणा की गई। बुजुर्ग पेड़ों पर पेंशन योजना भी लागू की गई।
मदर एंड चाइल्ड अस्पताल का निर्माण
कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज फेज-2 के तहत उक्त जगह को खाली किया जा रहा है। प्रोजेक्ट के तहत कालेज में 200 बेड का मदर एंड चाइल्ड अस्पताल बनाया जाएगा। 50 बेड का ट्रामा सेंटर तैयार किया जाएगा। ये दोनों ही प्रोजेक्ट जिले के लिए काफी महत्वपूर्ण होंगे। प्रोजेक्ट में मल्टी पार्किंग, विद्यार्थियों के लिए हास्टल व्यवस्था की जाएगी। मेडिकल कालेज के निदेशक डा. जगदीश दुरेजा का कहना है कि प्रदेश सरकार की ओर से प्रस्ताव को पास कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने के लिए पूरे प्रयास किए जाएंगे और फेज 2 का कार्य पूरा होने के बाद मरीजों को काफी लाभ मिलेगा। पेड़ों की कटाई के बदले में पौधारोपण किया जाएगा।
वर्षों से खड़े हरे पेड़
पर्यावरण संरक्षण समिति अध्यक्ष एसके अरोड़ा ने बताया कि विकास को लेकर लगातार जंगलों को साफ किया जा रहा है लेकिन बदले में पौधारोपण की तरफ सरकारी विभाग गंभीर नहीं हैं। शहर के अंदर सड़कें चौड़ी करने व हाईवे बनाने को लेकर वर्षों पुराने हजारों हरे पेड़ों को बलि चढ़ाया गया है और अब पुरानी कचहरी में कटाई को अंजाम दिया जा रहा है। एक पेड़ को जवान होने में वर्षों लगते हैं जिसे काटा जा रहा है जबकि बदले में दस पौधे लगाने का दावा किया जाता है। पौधे को पेड़ बनने में कम से कम चार वर्ष लगते हैं। अरोड़ा का आरोप है कि विभागीय अधिकारियों की ओर से भी कभी इस तरह की जानकारी नहीं दी जाती कि पहले काटे गए पेड़ों के बदले में लगाए गए पौधे कितने पनपे ?