रोडवेज टिकटों में गड़बड़ी का मामला : परिवहन मंत्री ने दिए विजिलेंस जांच के आदेश
अहम बात यह है कि इससे पहले परिवहन विभाग की स्टेट ऑडिट टीम अपने स्तर पर जांच कर चुकी है। जिसकी रिपोर्ट मुख्यालय में जमा करा दी गई है।
जागरण संवाददाता, करनाल : रोडवेज में टिकट में गड़बड़ी को लेकर परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं। आदेशों में कहा गया है कि मामले की पड़ताल के बाद जो भी दोषी सामने आएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसकी पुष्टि जांच कमेटी के एक सदस्य ने की है। अहम बात यह है कि इससे पहले परिवहन विभाग की स्टेट ऑडिट टीम अपने स्तर पर जांच कर चुकी है। जिसकी रिपोर्ट मुख्यालय में जमा करा दी गई है।
विभागीय जांच में कुछ खामियां मिलने के बाद इस पूरे मामले की दोबारा से विजिलेंस जांच कराने के आदेश दिए गए हैं। मामले के सामने आने के बाद कर्मचारी यूनियनों ने काफी हंगामा किया था। उन्होंने रोडवेज अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप भी लगाए थे। जिसके बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहा। हालांकि प्राथमिक जांच में टीम ने फर्जीवाड़े से इन्कार किया है।
जीएम पर गिरी थी गाज
इस मामले में मजबूती से अपना पक्ष रखने में नाकामयाब हुए जीएम रोडवेज अश्विनी डोगरा का तबादला कर दिया गया है। डिपो में टिकट विवाद सामने आने के बाद उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए मुख्यालय बुलाया गया था, लेकिन वह कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। बताया जा रहा है कि कई अन्य मामलों को लेकर उनकी कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में थी, जिसको लेकर यह कार्रवाई हुई है।
यह है मामला
16 अक्टूबर से 2 नवंबर 2018 तक रोडवेज के कर्मचारियों की तरफ से अनिश्चितकालीन हड़ताल की गई। ऐसे में स्थानीय अधिकारियों ने प्रशिक्षण, आउटसोर्सिग पर लगे स्टाफ को कंडक्टर के रूप में तैयार किया। साथ ही पुलिस, फायर ब्रिगेड, सिटी बस सर्विस, स्कूल बसों के ड्राइवरों को बुलाया गया। इनको रोडवेज की टिकटें इसलिए नहीं दे पाए कि ऑनलाइन सिस्टम में स्थायी कर्मचारियों के नाम से ही टिकटें इश्यू की जाती हैं। बुकिग ब्रांच ने रोडवेज टिकटों को जारी नहीं किया। ऐसे में स्थानीय अधिकारियों ने लोकल स्तर पर दूसरी टिकटों को छपवाया था।
18 अक्टूबर से 27 अक्टूबर तक स्थानीय प्रिटिग मशीन से लगभग 80 हजार रुपये में करीब 94 लाख की टिकटें छपवाई गई। इनमें से 57 लाख रुपये की राशि विभाग ने मुख्यालय को जमा करा दी थी, बाकी टिकटें नहीं मिलने पर सवाल खड़े हुए थे।
कबाड़ से भरे स्टोर में किसने रखी थी टिकटें, यह पता लगाने में रहे नाकामयाब
अभी तक हर पहलु पर मामले में जांच हो चुकी है। 57 लाख रुपये के टिकट कबाड़ से भरे स्टोर में किसने रखे, इस सवाल का जवाब जांच टीम नहीं दे पाई है। गहनता से जांच के बाद भी टीम को कोई ऐसा सुराग नहीं मिला है, जिससे पता लग सके कि स्टोर में टिकटें कौन रखकर गया था।