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रोडवेज यात्रियों की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं, कोहरा गिरना शुरू बसों में फॉग लाइट तक नहीं

कोहरे ने दस्तक दे दी है। हादसों पर नियंत्रण रहे इसके लिए रोडवेज बसों में जो जरूरी इंतजाम होने चाहिए वह नहीं हैं। रोडवेज प्रशासन बसों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है। हरियाणा रोडवेज की बसों के आगे फॉग लाइट नहीं है पीछे रिफ्लेक्टर नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 09:26 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 09:26 AM (IST)
रोडवेज यात्रियों की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं, कोहरा गिरना शुरू बसों में फॉग लाइट तक नहीं
रोडवेज यात्रियों की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं, कोहरा गिरना शुरू बसों में फॉग लाइट तक नहीं

जागरण संवाददाता, करनाल : कोहरे ने दस्तक दे दी है। हादसों पर नियंत्रण रहे इसके लिए रोडवेज बसों में जो जरूरी इंतजाम होने चाहिए वह नहीं हैं। रोडवेज प्रशासन बसों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है। हरियाणा रोडवेज की बसों के आगे फॉग लाइट नहीं है पीछे रिफ्लेक्टर नहीं है। कोहरे में बिना किसी सुरक्षा प्रबंधों के बसों को भेजा जा रहा है। धुंध से निपटने के लिए हरियाणा रोडवेज पूरी तरह से अपडेट भी नहीं है। बसों के आगे मात्र आगे दो हेड लाइट हैं, जिनके सहारे चालक धुंध में बसें चलाते हैं। जिन सड़कों पर सफेद पट्टी लगी होती है वहां कुछ सहायता मिल जाती है। लेकिन रोडवेज ने अपने स्तर पर धुंध से निपटने के लिए फॉग लाइट के प्रबंध तक नहीं किए गए हैं। रोडवेज में 170 बसों का बेड़ा है, लेकिन ज्यादातर में फॉग लाइट की व्यवस्था नहीं है। जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। गहरी धुंध में अहम रोल है फॉग लाइट का

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गहरी धुंध में सामान्य लाइट में बहुत ही कम दिखाई देता है, जबकि फॉग लाइट से सामने वाले वाहन को भी दूर से ही दिखाई पड़ जाता है। इस समय धुंध सबसे अधिक होती है। डिपो में फॉग लाइट न होने से ज्यादा परेशानी लंबे रूटों पर जाने वाले चालकों को होती है या जो डे-नाइट शिफ्ट पर चलते हैं। फॉग लाइट क्यों जरूरी है

फॉग लाइट प्राकृतिक रोशनी कम होने, कोहरे या कम ²श्यता की स्थिति में जलने वाली स्वचालित लाइट है। जो कि दुर्घटना के खतरे को कम कर सकती है। फॉग लाइट कम बीम का उत्सर्जन करती है, सड़क की सतह पर नीचे की ओर पड़ती है जो रोशनी को फैलाव से रोकती है। वर्कशॉप में लगाई जानी हैं फॉग लाइट, चालक-परिचालक की हद में नहीं

डिपो के चालक-परिचालकों बसों में अब तक फॉग लाइट न लग पाने का ठिकरा विभाग के सिर फोड़ा है। कर्मचारियों के मुताबिक फॉग लाइट वर्कशॉप में लगाई जानी हैं, वह सिर्फ लाइटें लगाने के लिए निवेदन कर सकते हैं। फॉग के सीजन को देखते हुए यह लाइटें काफी समय पहले लग जानी चाहिए थी। चूंकि फॉग के दौरान बसों को चलाने में काफी दिक्कत आती है। विजिबिलिटी कम हो जाने पर सड़क पर सामने से आ रहा वाहन दिखाई नहीं देता। ऐसे में हादसा होने की पूरी संभावना बनी रहती है। एक बस में दो फॉग लाइट अनिवार्य

कोहरों में चालक को कोई परेशानी नहीं हो और यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए धुंध शुरू होने से पहले ही सभी बसों में दो फॉग लाइट लगाई जाती है। एक बस में दो फॉग लाइटों का अनिवार्य होना जरूरी है। डिप्टी ट्रांसपोर्ट कंट्रोलर बीआर डबवाल से सीधी बातचीत धुंध शुरू हो चुकी चुकी है, अब तब तक बसों में फॉग लाइट क्यों नहीं लगाई गई?

- फॉग लाइटें लगाई जा रही हैं, डे-नाइट चलने वाली बसों में प्राथमिकता से लगाया जा रहा है। दिन में क्या धुंध नहीं गिरती, फिर सभी बसों में क्यों फॉग लाइट नहीं लगाई जा रही?

- मैंने यही कहा है कि नाइट सर्विस में प्राथमिकता से लगा रहे हैं, दिन में चलने वाली बसों में चालक की डिमांड के अनुसार फॉग लाइट लगवाई जा रही हैं। फॉग लाइट धुंध के सीजन से पहले लग जानी चाहिए थी, देरी क्यों हुई?

- सोमवार तक सभी बसों को कवर कर लिया जाएगा। प्रदेश की सभी बसों में फॉग लाइट लगाने का काम पूरा हो जाएगा।


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