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रामायण मानव जीवन का दर्पण : सत्यानंद

जागरण संवाददाता, करनाल : उत्तम औषधालय में कार्तिक मास की कथा में महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानं

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 06:29 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 01:42 AM (IST)
रामायण मानव जीवन का दर्पण : सत्यानंद
रामायण मानव जीवन का दर्पण : सत्यानंद

जागरण संवाददाता, करनाल : उत्तम औषधालय में कार्तिक मास की कथा में महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानंद महाराज ने प्रवचनों से भक्तों को सराबोर किया। उन्होंने कहा कि दर्पण शब्द का अर्थ होता है शीशा। शीशे के सामने जब आदमी खड़ा होता है उसके वास्तविक स्वरूप का परिचय शीशा बताता है। आगे आने वाली व्यवस्था का पूर्ण रूपेण संकेत और सावधान भी करता है।

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धर्म सम्राट चक्रवर्ती राजा दशरथ का समय राजकाल की व्यवस्था को करते हुए समय व्यतीत हो गया। अचानक सम्राट चक्रवर्ती राजा दशरथ अपनी नित्य क्रिया को सम्पन्न करने के बाद शीशे को उठाया। सम्राट के सामने वर्तमान और भविष्य झलकने लगा। शीशा देखने के बाद महसूस हुआ कि मैं वृद्ध अवस्था को प्राप्त हो गया हूं। मेरे कानों के पास बाल सफेद हो गए हैं। अब हमको अपने सिर के ऊपर से राजा का ताज उतारकर श्रीराम को समर्पित कर देना चाहिए। यह रामायण भूत, भविष्य और वर्तमान को प्रदर्शित करता है। यही रामायण का सारांश है। इस अवसर पर वैद्य देवेंद्र बत्रा, दर्शना बत्रा, मानव, सुभाष गुरेजा, भारत भूषण, सुभाष वधावन, राजेंद्र मोहन, रामलाल, डॉ. दीनानाथ ने हवन करके पुण्य प्राप्त किया।


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