लापरवाही की ठंड से कांप रहे स्मार्ट सिटी के रैन बसेरे
पहाड़ों में बर्फ के कारण मैदानी इलाकों में रात के तापमान में हो रही गिरावट सर्दी बढ़ा रही है। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने अभी तक सड़कों पर सो रहे बेसहारा लोगों के प्रति संवेदना नहीं दिखाई है।
जागरण संवाददाता, करनाल : पहाड़ों में बर्फ के कारण मैदानी इलाकों में रात के तापमान में हो रही गिरावट सर्दी बढ़ा रही है। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने अभी तक सड़कों पर सो रहे बेसहारा लोगों के प्रति संवेदना नहीं दिखाई है। कहने को करनाल स्मार्ट होने को अग्रसर है, लेकिन यहां गरीब सिर ढकता है तो पांव को ठंड लगती है, पांव ढकता है तो सिर को। सर्दी के बावजूद बेघर लोगों को ठंड से बचाने के लिए प्रशासन और समाजसेवियों को गर्म बिस्तर रात में बाहर निकलने रोक रहे हैं। हालात ये हैं कि फुटपाथ पर रात बिताने वाले लगभग 1200 लोग सर्दी में सोने को मजबूर हैं। सर्दी की सबसे अधिक मार विक्षिप्त लोगों (मनोरोगियों) पर पड़ रही है। नगर निगम अभी तक पोटा केबिन तैयार नहीं करवा पाया है और इनमें बिस्तर उपलब्ध करवाए गए हैं।
फुटपाथ पर रात गुजारने वालों को नहीं पता रैन बसेरा
शहर में पांच पोटा कैबिन रखवाए गए हैं बावजूद लोगों को रात काटने के लिए सर्द मौसम में सोना पड़ रहा है। चार दिन से पहाड़ों में बर्फ पड़ने के कारण मैदानी इलाकों में बढ़ी ठंड के बावजूद शहर के पोटा कैबिनों की सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं की जा रही है। ऐसे में जिन लोगों के सिर पर छत नहीं उन पर क्या बीत रही है इस बात का अंदाजा लगाना आसान नहीं है। रात में पड़ रही ठंड में बेसहारा लोग पुल के नीचे या फिर किसी अन्य ओट का सहारा लेकर रात बिता रहे हैं। कहने को तो जिले में रेन बसेरे की व्यवस्था है लेकिन सच्चाई यह भी है कि अधिकतर लोगों को रेन बसेरे का पता ही मालूम नहीं है। इसके अलावा, रेन बसेरों तक पहुंचाने के लिए अधिकारियों के वाहन अभी तक स्टार्ट नहीं हो सके हैं।
रैन बसेरा को दर्शाने वाले सांकेतिक बोर्ड नहीं
सरकार की योजनाओं का गली-गली ढिढोरा पीटने वाले अधिकारियों के लिए शहर में रैन बसेरों के सांकेतिक बोर्ड लगा पाने की योजना नहीं बना पा रहे हैं। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों की लापरवाही इस हद तक है कि शहर में काछवा पुल के नीचे, न्यायपुरी कॉलोनी के सामने रेडक्रास की इमारत में बने रेन बसेरा, हांसी रोड पुल के पास प्रेम नगर में बने नए रेन बसेरा, बस स्टैंड, लघु सचिवालय, कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के गेट पर रखे पोटा केबिन को दर्शाने वाले सांकेतिक बोर्ड तक नहीं लगवाए गए हैं। पिछले वर्ष नगर निगम की ओर से 12.50 लाख रुपये की लागत से पांच पोटा केबिन रखवाए गए थे, लेकिन शहर में मेहमानों को रात को विश्राम के लिए जगह ढूंढनी हो तो उसे पहले लोगों से पूछताछ करनी पड़ती है।
मार्केट के शेड व पुल के नीचे सोने को मजबूर
दैनिक जागरण प्रतिनिधि ने रात दस बजे निर्मल कुटिया पुल के नीचे सो रहे रामसरूप से बात की तो उन्होंने बताया कि शहर में रेन बसेरा कहां इसकी जानकारी नहीं है। शहर में दिन में मजदूरी करते हैं और रात को यहीं रात काट लेते हैं अभी तक किसी अधिकारी या कर्मचारी ने उन्हें रेन बसेरा में सोने के लिए नहीं कहा है। इसके अलावा, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, कुंजपुरा रोड, नागरिक अस्पताल, सेक्टर-12 मार्केट में बेसहारा लोगों को फुटपाथ व दुकानों के शटर की ओट में सोते हुए देखा गया। गरीब यात्री स्टेशन पर रात को सर्द हवा में सोने को मजबूर हैं।
स्मार्ट सिटी के नाम पर खदेड़ रही पुलिस
बस स्टैंड पर रिक्शा चालक साहिल व पंकज ने बताया कि रात को सवारी के लिए बस स्टैंड पर खड़े होते हैं तो स्मार्ट सिटी के नाम पर उन्हें खदेड़ा जा रहा है। सवारी न मिलने पर न तो रिक्शे पर सोने दिया जाता है और न ही मार्केट में किसी शेड की ओट में। रात तीन बजे तक एक-दो सवारियों से दिहाड़ी की कोशिश रहती है। दो दिन पहले जब रेलवे स्टेशन के पास पोटा केबिन में गए तो वहां ताला लगा हुआ था। इसके अलावा, लघु सचिवालय केबिन व प्रेम नगर कैबिन में भी सफाई का अभाव है। नियम के मुताबिक जिला प्रशासन की ओर से सर्दी से बचने के लिए शहर में जगह-जगह पर अलाव की व्यवस्था करनी होती है लेकिन कहीं पर भी अलाव की व्यवस्था देखने को नहीं मिली।
कैबिन में एक समय में सो सकते हैं 10 लोग
नगर निगम अधिकारी प्रवीण चुघ ने बताया कि पोटा कैबिन पूरी तरह से रेडीमेड है। कंटेनर की तरह दिखने वाले एक पोटा कैबिन की कीमत लगभग 2.50 लाख रुपये है। ऐसे में शहर में अलग-अलग जगह 100 से अधिक लोग इन पोटा कैबिन में रात को सो सकते हैं। इस संबंध में नगर निगम कमिश्नर के साथ बैठक की गई है और जल्द रैन बसेरों में बिस्तरों की सुविधा उपलब्ध होगी। प्रेम नगर में 80 लोगों के लिए रेन बसेरा बनकर तैयार है, यहां पर परिवार सहित लोग रह सकते हैं। दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधा है और कैंटिन भी बनाई गई है। रेडक्रास भवन में 50 से अधिक लोगों के ठहराव की व्यवस्था है। प्रेमनगर का पोटा केबिन लघु सचिवालय के पास शिफ्ट किया जाएगा।