अभिभावकों की जेब को झटका देने की तैयारी
जागरण संवाददाता, करनाल : नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत से पहले अभिभावकों की जेब को फिर
जागरण संवाददाता, करनाल :
नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत से पहले अभिभावकों की जेब को फिर से झटका देने की तैयारी है। सीबीएसई से संबंधित विद्यालयों में मनमानी से एनसीईआरटी की बजाए निजी प्रकाशकों की पुस्तकें बेची जाएंगी। यह पुस्तकें एनसीईआरटी की किताबों की तुलना में पांच से 10 गुणा ज्यादा महंगी होती है। इसकी एवज में विद्यालयों के साथ कमिशन की सांठगांठ की जाती है। विद्यालय भी लालच में फंसकर अभिभावकों पर अतिरिक्त बोझ डाल देते हैं।
नए शैक्षणिक शुरूआत से पहले निजी प्रकाशकों की पुस्तकें विद्यालयों में बिकवा कर हर साल करोड़ों रुपये का गड़बड़झाला किया जाता है। यह राशि अभिभावकों की जेब से निकाली जाती है। विद्यालय में निजी प्रकाशकों की स्टाल लगाकर उनकी पुस्तकें बिकवाई जाती है। निजी प्रकाशकों के कहने पर ही पुस्तकों की सूची विद्यालय तैयार करते हैं और यह सूची कक्षा अनुसार अभिभावकों को दी जाती है। सूची में शामिल होने वाली अधिकतर पुस्तकें बुक शॉप पर नहीं मिलती तो साथ ही अभिभावकों पर यह दबाव रहता है कि वह किताबें विद्यालय से ही खरीदेंगे। इस पूरे मामले में एनसीआरटी की पुस्तकों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। एनसीआरटी की एक पुस्तक 50 रुपये में मिलती है तो उसी पाठ्यक्रम से तैयार निजी प्रकाशक की पुस्तक पांच से 10 गुना तक महंगी होती है।
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कुछ विद्यालय में नर्सरी, एलकेजी व यूकेजी की पुस्तकें बिकी
कुछ विद्यालयों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकों की पहली खेप बिक चुकी है। नर्सरी, एलकेजी व यूकेजी की किताबें बेची जा चुकी हैं तो अधिकतर विद्यालयों में यह किताबें बेचने की तैयारी चल रही है।
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10वीं तक की पुस्तकें, 11वीं व 12वीं की प्रेक्टिकल बुक बेची जाती है
निजी प्रकाशकों की पुस्तकें से पहली से 10वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के बेची जाती है। 11वीं व 12वीं कक्ष की प्रेक्टिकल बुक बेची जाती है। यह पुस्तकें विद्यार्थियों को मजबूरी में लेनी पड़ती है। क्योंकि विद्यालय एनसीआरटी की बुक की जगह इन पुस्तकों को प्राथमिकता देता है।
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सीबीएसइ ने अक्टूबर में मांगे थे एनसीईआरटी की बुक के आर्डर
सीबीएसइ ने विद्यालयों से अक्टूबर में एनसीईआरटी की बुक के आर्डर मांगें थे। ताकि विद्यालयों से आई डिमांड के अनुसार एनसीईआरटी से पुस्तकें मंगवाई जा सके। एनसीईआरटी भी संख्या के अनुसार पुस्तकें तैयार कराएं। लेकिन विद्यालयों ने यह आर्डर देने में रुचि नहीं दिखाई।
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हाईकोर्ट के आदेश को नहीं मान रहे स्कूल
अभिभावक एकता संघ के महासचिव नवीन अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा माफिया व प्राइवेट पब्लिशर का गठजोड़ बड़ा मजबूत होता जा रहा है। हाइकोर्ट व सीबीएसई के आदेश को भी निजी विद्यालय नहीं मान रहे हैं। अच्छी गुणवत्ता की एनसीआरटी की बुक की बजाए निजी प्रकाशकों की पुस्तकें जबरन बेची जा रही हैं। इस मामले में सरकार व प्रशासन हस्तक्षेप करे। इस बार भी यह पुस्तकें बेची जाती हैं तो संघ आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगा।
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एनसीईआरटी की बुक नहीं बेचने पर होगी कार्रवाई : सपना जैन
खंड शिक्षा अधिकारी सपना जैन ने कहा कि एनसीआरटी की जगह प्राइवेट पब्लिशर की बुक बेचने वाले विद्यालयों पर नियमानुसार कार्यवाही होगी। हाईकोर्ट का आदेश है कि विद्यालयों में एनसीआरटी की पुस्तकें ही लगाई जाती है। इन आदेशों की पालना कोई नहीं करता है ते उस पर कार्यवाही होगी।