बच्चों में माता-पिता के संस्कारों का अहम योगदान : प्रदीप मलिक
मंडल बाल कल्याण अधिकारी प्रदीप मलिक ने कहा कि मनुष्य जीवन चलने का नाम है। ठहरा हुआ पानी हमेशा गंदगी फैलाता है। बाल्यावस्था से ही बच्चों को जीवन आदर्श व संस्कार निर्माण का कार्य माता-पिता व घर के बड़े बुजुर्गो का काम होता है।
जागरण संवादाता, करनाल : मंडल बाल कल्याण अधिकारी प्रदीप मलिक ने कहा कि मनुष्य जीवन चलने का नाम है। ठहरा हुआ पानी हमेशा गंदगी फैलाता है। बाल्यावस्था से ही बच्चों को जीवन आदर्श व संस्कार निर्माण का कार्य माता-पिता व घर के बड़े बुजुर्गो का काम होता है। ऐसे ही शिक्षण संस्थान पाठ्यक्रम की शिक्षा के साथ-साथ व्यवहारिक व नैतिक मूल्य बच्चों को प्रदान करें तो जीवन की विषम परिस्थितियों में भी बच्चे खेलते-खेलते पार पा जाएंगे एवं खुद को सुरक्षित व संरक्षित महसूस करेंगे।
वे सोमवार को कर्ण लेक करनाल के पास स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की ओर से आयोजित बाल सलाह परामर्श एवं कल्याण केंद्र के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि बच्चों में सबसे पहले माता-पिता के संस्कारों का प्रभाव होता है। बच्चों के जीवन में माता-पिता के संस्कारों का अहम योगदान है। अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें।
बाल सलाह परामर्श कल्याण केंद्रों की स्थापना के राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने कहा कि मनोवैज्ञानिक परामर्श के माध्यम से बच्चों को जागरूक किया जा सकता है। यह आज के समय की यह जरूरत भी है। उन्होंने कहा कि संस्कार एवं नैतिक मूल्यों की सीख भले ही नीम की पत्तियों की तरह कड़वी लगती हो, लेकिन बच्चों के भविष्य निर्माण हेतु जरूरी है। घरेलू एवं शैक्षणिक वातावरण मित्रवत होना चाहिए, ताकि बच्चे जिज्ञासावश उत्पन्न सभी सवाल पूछ सकें। क्योंकि जैसे-जैसे किशोरावस्था की शुरुआत होती है। बच्चों का सामाजिक विकास भी होने लगता है, शारीरिक विकास में हार्मोनल बदलाव बहुत बड़ा कारण होता है। इन सब की वजह से बच्चे जीवन में नए अनुभव करने लगते हैं। इस मौके पर राज्य कोऑíडनेटर उदय चंद, परामर्शदाता विमल राय, समाजसेवी सुरजीत सुबरी, विश्वदीप, अभिजीत, राकेश कुमार, कार्यक्रम अधिकारी अनुज कुमार व लेखाकार भावना मौजूद रहे।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप