कार्तिक मास में निकाली गई प्रभातफेरी
जागरण संवाददाता, करनाल : उतम औषधालय में महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानंद तीर्थ ने प्रवचनों से भक्तो
जागरण संवाददाता, करनाल : उतम औषधालय में महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानंद तीर्थ ने प्रवचनों से भक्तों को सराबोर किया। सुबह हवन के बाद राधा-कृष्ण की पालकी सजाकर प्रभातफेरी निकाली। नगर परिक्रमा करते हुए प्रभातफेरी गोपाल मंदिर पहुंची और उत्तम औषधालय में विश्राम लिया। महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानंद तीर्थ ने कहा कि रामायण में ऐसा प्रसंग आया है काकभुशंडी के जीवनकाल में एक बार बहुत ही भीषण अकाल पड़ गया, जिसके चलते इनको बहुत भारी द्ररिद्रता का सामना करना पड़ा। इन्होंने अपने को निर्धन और गरीब की संज्ञा देते हुए अपने देश को छोड़कर किसी अन्य देश में चले गए। वहां पर शिव मंदिर में भजन कीर्तन करने लगे। इनके पास गुरु लोमष ऋषि का पदार्पण हुआ। काकभुशण्डी ने वहां पर अपने गुरु लोमष ऋषि को प्रणाम नहीं किया तब भगवान शंकर को महाक्रोध आ गया। उन्होंने काक भुशण्डी को महाकाल चक्र से मारने के लिए तैयार हो गए। ऐसी स्थिति देख लोमष ऋषि भगवान शंकर से प्रार्थना की कि इसे माफ कर दो, शंकर जी ने उसे माफ कर दिया। काकभुशण्डी परम वरदान दिया और भगवान राम का परम भक्त होने का वरदान दिया।
पंडित एमना गौड़ ने महाराज दशरथ और केकयी के वार्तालाप को विस्तार से वर्णन किया। पंडित चेतन देव ने कथा करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण ने भीष्म जी से इस व्रत का वृतांत कहा, सर्वप्रथम भीष्म जी ने इस व्रत को किया, इसी कारण से यह व्रत भीष्म पंचक के नाम से प्रसिद्ध हुआ। तब भीष्म जी कहने लगे हे भगवन त्रिलोकी नाथ होते हुए आप पांडवों की ओर से ही दूत बनकर क्यों आए। तब कृष्ण जी हंस कर बोले हे गंगा पुत्र यद्यपि यह गुप्त वार्ता है फिर भी मैं तुम से कहता हूं उन्होंने ऐसा व्रत किया है, जिसके लिए मैं वशीभूत हूं। इस अवसर पर वैद्य देवेंद्र बत्रा, दर्शाना, सुभाष गुरेजा, स्वामी सत्यानंद तीर्थ, भारत भूषण, रा¨जद्र मोहन शर्मा, सुभाष वधावन, हर्ष अलग, रामप्रकाश कुलदीप कौर, रानी, राज ग्रोवर मौजूद रहे।