Move to Jagran APP

योजना के नाम पर लुटते रहे गरीब, शिकायत पर जिम्मेदार रहे निष्क्रिय

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के तहत कन्यादान राशि दो लाख रुपये के फार्म के नाम पर पांच हजार लोगों से पांच-पांच सौ रुपये की लूट के लिए अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Mar 2019 10:33 AM (IST)Updated: Fri, 01 Mar 2019 10:33 AM (IST)
योजना के नाम पर लुटते रहे गरीब, शिकायत पर जिम्मेदार रहे निष्क्रिय
योजना के नाम पर लुटते रहे गरीब, शिकायत पर जिम्मेदार रहे निष्क्रिय

जागरण संवाददाता करनाल: बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के तहत कन्यादान राशि दो लाख रुपये के फार्म के नाम पर पांच हजार लोगों से पांच-पांच सौ रुपये की लूट के लिए अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है। पीड़ित शिकायत करते रहे, लेकिन अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। पीड़ितों ने बताया कि जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो उन्होंने भी समझा कि फार्म बेचने वाले सही है। इसलिए हर कोई पांच-पांच सौ रुपये में फार्म खरीदने के लिए उमड़ पड़ा। हालात यह रहे कि फार्म ब्लैक में बिके। सरेआम ठगी का यह धंधा एक दो दिन नहीं बल्कि दो माह तक चलता रहा। इधर, जिला मुख्यालय पर संबंधित विभाग समेत पुलिस और जिला प्रशासन की ओर से न तो ठगों के खिलाफ कोई कार्रवाई की, न ही लोगों को इस बाबत जागरूक किया। अब जबकि ठग पैसे लूट कर फरार हो गया तो जिला कार्यक्रम अधिकारी पीड़ितों को नसीहत दे रहे हैं। बड़ा सवाल कैसे ठग इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे गए?

loksabha election banner

1.

किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली?

पीड़ित महिला कुसुम व सुनीता ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि योजना के नाम पर फार्म जमा हो रहे हैं तो उन्होंने समाज कल्याण विभाग व महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी के कार्यालय में शिकायत की। इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ। इधर, ठग सरेआम टेबल कुर्सी लगा कर फार्म बेच रहे थे। वह एक दो नहीं बल्कि उनकी संख्या तीन से चार होती थी। इससे लोगों को विश्वास उन पर जमता चला गया। पहले ही चरण पर अधिकारी इस ओर ध्यान देते तो ठग पकड़े जा सकते थे। 2

कहां है सीआईडी विभाग ?

सीआईडी विभाग के पास जिम्मेदारी है कि यदि कुछ भी गलत चल रहा है तो इसकी जानकारी मुख्यालय समेत चंडीगढ़ तक भिजवाई जाए। इस मामले में सीआईडी फेल ही नहीं बल्कि बुरी तरह से विफल रही है। यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने कहा कि सीआईडी विभाग के कर्मचारी दिन भर बस राजनीतिक गतिविधियों की रिपोर्ट ही बना रहे हैं। समाज में क्या गलत हो रहा है इस ओर उनका ध्यान ही नहीं है। ठगी की वारदात यह साबित करने के लिए काफी है। 3.

अफवाहों पर रोक लगाने की दिशा में कुछ नहीं हुआ

योजना की अफवाह उड़ रही थी। जिले भर में ठगों का गिरोह सक्रिय था। सुबह से शाम के पांच बजे तक फार्म बेचे जा रहे थे। प्रशासन की ओर से इस पर रोक लगाने की दिशा में कुछ नहीं हुआ। लोगों को बताया ही नहीं गया कि इस तरह की कोई योजना नहीं है। यदि यह कदम उठा लिया जाता तो कम से कम लोग ठगों के झांसे में आने से बच सकते थे। लोग ही ठगों को पकड़वा सकते थे। प्रशासन ने किसी भी स्तर पर इन अफवाहों पर रोक लगाने की पहल नहीं की। अब भी पीड़ितों को ही धमकाया जा रहा

वीरवार को एक बार फिर से बड़ी संख्या में महिलाएं मुख्य डाकघर में जमा हो गयी। महिला एवं बाल विकास कार्यालय और पुलिस को दी टीम मौके पर पहुंची। महिलाएं डाकघर मं जबरन घुसने का प्रयास कर रहीं थी। दोपहर 2 बजे तक स्थिति तनावपूर्ण रही। यहां नाकाम रहने पर महिलाएं डीसी आफिस पहुंची। यहां भी उनकी बात नहीं सुनी गई। पुलिस और सीडीपीओ मधु पाठक ने पीड़ित महिलाओं को धमकाया। इससे महिलाएं भड़क गई। फूसगढ़ के मुनीष, राहुल, मुबारकाबाद के अनिल कुमार, मीरा घाटी निवासी सुनील शर्मा, नरुखेड़ी के सतबीर, राजेंद्र नरवाल, वाल्मीकि बस्ती निवासी सलीना, फूसगढ़ की सुमन, गीता, सुदेश, आन विहार निवासी खजानी, मंगलौरा निवासी रेखा ने बताया कि अधिकारी उन्हें बहका रहे हैं। उनके फार्म लिए नहीं जा रहे हैं। अभी भी कोई एफआइआर नहीं दर्ज

पांच हजार लोगों के साथ ठगी हो जाए। दो दिन से महिलाएं लगातार प्रदर्शन कर ही है। इसके बाद भी ठगी की वारदात को लेकर दूसरे दिन भी प्रशासन की ओर से कोई एफआइआर दर्ज नहीं करायी गयी। कांग्रेस के प्रदेश सचिव पंकज पूनिया ने कहा कि इतनी बड़ी ठगी पर प्रशासन का यह रवैया कई सवाल खड़े कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रशासन पर कोई कंट्रोल नहीं है। ऐसा लग रहा है कि हर अधिकारी मनमानी कर रहा है। पीड़ितों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इस घटना से पता चल रहा है कि आम आदमी के लिए कोई कानून व्यवस्था नहीं है। फोटोस्टेट दुकान सुबह खुली

मुख्य डाकघर के सामने बुधवार को जिस फोटोस्टेट दुकान संचालक को दोपहर को उठा कर ले गई थी और शाम तक पुलिस उसे कस्टडी में लेकर पूछताछ की थी। उसी दुकानदार ने वीरवार सुबह फिर दुकानदार ने फोटोस्टेट करनी शुरू कर दी। पुलिस अगर कार्रवाई करती तो शहर में अन्य फोटोस्टेट दुकानदारों को इससे सबक मिलता। डाकघर में जो ग्रामीण पहुंच रहे थे सभी का यही कहना था शहर के अलग-अलग हिस्से में फोटोस्टेट की दुकान से पूरा फार्म भरने के 50 से 150 रुपये दिए हैं जोकि कंप्लीट लिफाफा बनाकर दे रहे हैं। व्यक्तिगत शिकायत पर हो सकती है कार्रवाई

महिला एवं बाल विकास की जिला कार्यक्रम अधिकारी राजबाला ने बताया कि 24 फरवरी को जब कार्यालय में शिकायत मिली तो सभी सीडीपीओ को पत्र जारी कर लोगों को जागरूक करने के लिए कहा गया। इसकी सूचना मुख्यालय को भी भेज दी गई। जब तक हमारे सामने किसी आरोपित व्यक्ति का नाम नहीं आएगा हम किसी के खिलाफ पुलिस में शिकायत नहीं कर सकते। इस तरह की कोई योजना नहीं है, समाचार पत्रों से ग्रामीणों को जागरूक होना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.