खराब होती जा रही करनाल की आबोहवा, 253 तक पहुंचा पीएम-10 स्तर
करनाल की आबोहवा भी खराब होती जा रही है। सख्ती के बाद भी जलाए जा रहे धान अवशेषों के कारण जिले में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। धान की कटाई और आगजनी के मामलों के कारण स्थिति और विकट होती जा रही है। हवा की मंद गति के कारण भी मौसम साफ नहीं हो पा रहा है।
जागरण संवाददाता, करनाल
करनाल की आबोहवा भी खराब होती जा रही है। सख्ती के बाद भी जलाए जा रहे धान अवशेषों के कारण जिले में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। धान की कटाई और आगजनी के मामलों के कारण स्थिति और विकट होती जा रही है। हवा की मंद गति के कारण भी मौसम साफ नहीं हो पा रहा है।
सुबह सैर करने के लिए जो लोग बाहर निकलते हैं प्रदूषण के कारण असहज महसूस कर रहे हैं। शहर में वायु प्रदूषण के 12 पैरामीटर में से दो मुख्य पैरामीटर पार्टीकुलेट मैटर 10 (पीएम-10) और पार्टीकुलेट मैटर (सूक्ष्म) 2.5 (पीएम-2.5) की जांच की गई। उनकी जो रिपोर्ट आई है, वह हैरान कर देने वाली है। रिपोर्ट में पीएम-10 की मात्रा 253 माइक्रोग्राम तथा पीएम-2.5 की मात्रा 160 माइक्रोग्राम पाई गई।
आंकड़े बताते हैं कि प्रदूषण का स्तर जिस प्रकार से बढ़ रहा है वह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। जबकि स्वच्छ पर्यावरण के लिए पीएम-10 100 माइक्रोग्राम होना चाहिए और पीएच-2.5 की मात्रा 60 तक होनी चाहिए। क्या है पीएम-10
पीएम-10 हवा में प्रदूषण से उत्पन्न सूक्ष्म कण होते हैं। रोजमर्रा की जो बीमारियां हैं वे इन्हीं की देन हैं। ये सांस से हमारे फेफड़ों में जाते हैं। सांस की नली में जमकर दमा, खांसी, सांस लेने में तकलीफ व आंखों में जलन जैसी बीमारियां पैदा करते है। क्या है पीएम-2.5
यह हवा में प्रदूषण से उत्पन्न अति सूक्ष्म कण होते हैं, जो सांस के माध्यम से हमारे शरीर में जाकर हृदय में पहुंच कर नाड़ियों में सूजन पैदा करते है। इससे हार्ट अटैक का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। दिमाग में पहुंचने पर पक्षाघात तथा ब्रेन डैमेज जैसी खतरनाक बीमारी को जन्म देते है। हमारे पूरे शरीर की नसों में सूजन उत्पन्न कर कई बीमारियों को जन्म देता है। इसलिए पीएम-10 तथा पीएम-2.5 एक महत्वपूर्ण प्रदूषण का मानक रखा गया है। क्या है मौसम का हाल
बुधवार को अधिकतम तापमान 31.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जबकि न्यूनतम तापमान 14.8 डिग्री सेल्सियस रहा। सुबह के समय नमी की मात्रा 65 फीसदी दर्ज की गई जो शाम को घटकर 70 फीसद रह गई। हवा 2.7 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मुताबिक आने वाले 24 घंटे में मौसम साफ रहेगा। तेज हवा चलने के बाद मौसम ठीक होगा
मौसम विशेषज्ञ डॉ. डीएस बुंदेला के मुताबिक काफी किसान सख्ती के बाद भी धान के अवशेषों को जला रहे हैं, जो गलत है। धुएं के कारण पर्यावरण खराब होता जा रहा है। इस समय जैसा मौसम बना हुआ है वह सेहत के लिए ठीक नहीं है। तेज हवा के चलने से ही मौसम साफ होगा। दूसरा विकल्प अच्छी बरसात हो, लेकिन इस समय दोनों ही संभावनाएं नजर नहीं आ रही हैं। क्या कहते हैं अधिकारी
फसल अवशेषों को आग लगाने के मामलों को लेकर जिला प्रशासन गंभीर है। अवशेष जलाने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। चालू खरीफ सीजन के दौरान अब तक जिला में पराली में आग लगाने के सेटलाइट से 300 से अधिक मामले प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा और भी लोकेशन हैं, जहां इस तरह के मामले हुए। ऐसे सभी लोगों की पहचान कर ली गई है। गांव के पटवारी से उनकी रिपोर्ट मांगी जा रही है, ताकि उसका विवरण तैयार करके खेत के मालिक के खिलाफ कार्यवाही की जा सके। पहले ही जिला में धारा 144 लगाकर लोगों को आगाह कर दिया गया था कि फसल कटाई के बाद खेतों मे बचे अवशेषों को आग ना लगाएं।
- विनय प्रताप सिंह, डीसी करनाल