इस सामूहिक दुष्कर्म मामले में हैं कई पेंच, न पीड़िता का पता और न जगह मालूम
इंसानियत को तार-तार करने वाले इंद्री सामूहिक दुष्कर्म कांड के दरिंदों के खिलाफ पुलिस 13 दिन बाद भी कोई ठोस सुबूत नहीं जुटा पाई।
जेएनएन, करनाल। इंसानियत को तार-तार करने वाले इंद्री सामूहिक दुष्कर्म कांड के दरिंदों के खिलाफ पुलिस 13 दिन बाद भी कोई ठोस सुबूत नहीं जुटा पाई। इस कांड में पुलिस ने दो आरोपितों को पकड़ने का दावा किया, लेकिन अभी तक कुछ ऐसे सवाल हैं जो उसकी कार्यप्रणाली को ही कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। पुलिस यह पता लगाने में कामयाब नहीं हुई कि वारदात हुई कहां? पीड़िता है कौन? दुष्कर्म हुआ तो उसके सुबूत क्या हैं? पुलिस ने दुष्कर्म के आरोप में जिस युवक को पकड़ा था, उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वीडियो बनाने के आरोप में जिस युवक को पकड़ा है, उसका रिमांड खत्म हो रहा है।
इसलिए पुलिस सवालों के घेरे में
- पुलिस ने दुष्कर्म कांड की शिकायत करने वाले पूर्व सरपंच रामकुमार के बेटे को वीडियो बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है, लेकिन अभी तक वह मोबाइल बरामद नहीं किया, जिससे यह वीडियो बना। इस युवक को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने ग्राउंड बनाया कि दुष्कर्म के आरोपित ने इसका नाम लिया है। लेकिन इसे साबित करने के लिए पुलिस के पास अभी तक कुछ नहीं है। शिकायतकर्ता का कहना है कि यदि उसका बेटा ही इस वारदात में शामिल होता तो वह पुलिस को शिकायत ही क्यों करता।
- पुलिस ने दावा किया कि वीडियो छह साल पुराना है, यानी वारदात 2012 की है, लेकिन इसका प्रमाण क्या है? एसएचओ सतप्रकाश इस सवाल पर चुप हो जाते हैं। उनका कहना है कि क्योंकि आरोपी ने ऐसा बताया था। सतप्रकाश की सारी जांच आरोपितों के बयानों पर आधारित है। महिला अधिकार कार्यकर्ता व पंजाब हरियाणा की एडवोकेट आरती ने बताया कि यह दुष्कर्म की घटना तो हैं, बल्कि इससे भी बड़ी बात यह है कि दुष्कर्म करने वालों ने दरिंदगी की सारी हद पार कर दी। ऐसे में इस मामले की जांच अलग तरीके से होनी चाहिए।
- पुलिस ने अभी तक दुष्कर्म का वीडियो जांच के लिए एफएसएल में क्यों नहीं भेजा, जबकि यह काम सबसे पहले किया जाना था। क्योंकि इससे पता चलता कि यह कितना पुराना है। इससे दुष्कर्म करने वालों के स्कैच तैयार करने में मदद मिलती। दुष्कर्म करने वालों की संख्या पता चलती। एसएचओ ने बताया कि अब वीडियो को एफएसएल में भेजा जाएगा। बड़ा सवाल यह है कि उन्हें आरोपितों को पकड़कर उनका रिमांड लेने की जल्दी थी, लेकिन वीडियो की जांच में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई। ऐसा क्यों?
मामला मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग को भेजा गया
इधर एडवोकेट आरती ने बताया कि ऐसा लग रहा है कि पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। अभी तक की जांच से महसूस हो रहा है कि पुलिस मामले को सुलझाने की दिशा में कुछ नहीं कर हरी है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि पीड़िता है कहां? पुलिस इस दिशा में क्यों जांच नहीं कर रही है। जितनी घिनौनी यह वारदात है, इससे भी बड़ी बात यह है कि पुलिस मामले को संजीदगी से नहीं ले रही है। इस वजह से उन्होंने तय किया कि अब मानव अधिकार आयोग व महिला आयोग से अपील की जाएगी कि इसमें दखल देकर तर्क संगत जांच की दिशा में काम हो।
क्या है मामला
इंद्री के गांव धानो खेड़ी में एक लड़की के साथ कई लड़कों ने दुष्कर्म कर वीडियो बनाई। पीडि़ता को गायब कर दिया। बाद में वीडियो वायरल की। समाजसेवी और पूर्व सरपंच रामकुमार को वीडियो मिली तो दर्ज कराया मामला।