पीएम के तुगलकी फरमान से विदेशों में भारतीय मुद्रा हुई जीरो : मनीष तिवारी
जागरण संवाददाता, करनाल : पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष
जागरण संवाददाता, करनाल : पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस तुगलकी फरमान से विदेशों में भारतीय मुद्रा जीरो हो गई है। देश में भारतीय मुद्रा की विश्वसनीयता खत्म हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस मुल्क में अपने ही लोग अपनी ही करंसी पर भरोसा ना करें तो बाद में क्या होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। अपने ही देश की 86 प्रतिशत करेंसी को नरेंद्र मोदी ने समाप्त कर दिया है। गांव कलवेहड़ी स्थित बाबा रामदास विद्यापीठ के 10वें वार्षिक समारोह में बतौर मुख्यातिथि भाग लेने आए पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि 1978 में काले धन को समाप्त करने के लिए एक हजार के नोट बंद हुए थे। उसके बाद 1980 में ही आतंकवाद की शुरूआत हुई थी। 40 साल में इतनी ब्लैक मनी कैसे पैदा हो गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यदि ब्लैक मनी को खत्म ही करना था तो फिर दो हजार के नोट की शुरूआत क्यों की गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री तो यह कह रहे है कि पिछले कई महीनों से इस योजना पर काम चल रहा था तो यह योजना लीक कैसे हो गई। घोषणा से महज एक घंटा पहले पश्चिम बंगाल में भाजपा ने एक करोड़ नगद कैसे जमा करवा दिए। उन्होंने कहा कि यदि यह योजना छह महीने पहले की थी तो उसमें आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर रघुराजन के हस्ताक्षर नोटों पर क्यों नहीं हैं। मोदी ने आरबीआई की स्वायतता ही खत्म कर दी है।
उन्होंने मोदी के इस फरमान को तुगलकी अर्थशास्त्र बताया और कहा कि मोदी ने अपनी मां को ही नहीं बल्कि देश की करोड़ों मां को लाइन में खड़ा कर दिया है। इसके घातक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान 40 साल से प्रोक्सीवार कर देश को नुकसान पहुंचा रहा है, लेकिन मोदी के एक फैसले ने देश को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है। पिछले साल संसदीय सत्र में खुद भाजपा ने स्वीकार किया था कि देश में 0.02 प्रतिशत फेक करंसी है तो फिर इसे खत्म करने के लिए 124 करोड़ लोगों को कतार में खड़ा करने की क्या जरूरत थी। इस मौके पर वैद्य देवेंद्र बत्तरा, कांग्रेस नेता किशोर नागपाल, कपिश मेहरा सहित अन्य कांग्रेसी मौजूद थे।
खाता खोलना अनिवार्य नहीं : तिवारी
तिवारी ने यह भी कहा कि कोई व्यक्ति बैंक में खाता खोले यह अनिवार्य नहीं है। इसका कोई कानून नहीं है। कोई भी व्यक्ति कैश से लेनदेन करता है तो गुनाह नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत की जनसं या 124 करोड़ है। देश में कुल 35 करोड़ लोगों के बैंक में खाते हैं। 85 करोड़ लोगों ने बैंक में खाते ही नहीं खुलवाए। दो करोड़ लोग आयकर देते हैं। तीन करोड़ लोग रिटर्न फाइल भरते हैं। 60 से 65 करोड़ लोगों के आधार कार्ड बने हैं। 65 प्रतिशत कृषि पर निर्भर हैं। किसान, दुकानदार, छोटे व्यापारी, मजदूर व आम लोग कैश से लेनदेन करते हैं, लेकिन सरकार ने यह कहा कि कैश का मतलब काला धन है। यह मोदी की विकृत बुद्धि का प्रमाण है।